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आसमान के ऊपर कौन रहता है? | अंतरिक्ष का रहस्य

आसमान के ऊपर कौन रहता है? | अंतरिक्ष का रहस्य

इस लेख के माध्यम से हमने आसमान के ऊपर रहने वाले "जीवन" की विभिन्न संभावनाओं का पता लगाया। विज्ञान, म्य्थोलॉजी, और अंतरिक्ष की खोज- हर दृष्टि से हमने आसमान के ऊपर के "जीवन" का खोज किया है।

भाग 1: विज्ञान की दृष्टि (Scientific Perspective)

विज्ञान के अनुसार, आसमान के ऊपर अंतरिक्ष (Space) होती है। इसमें नकरात्मक विद्युतावेश (negative charge) वाले इलेक्ट्रॉन, पॉजिटिव विद्युतावेश वाले प्रोटॉन और न्यूट्रॉन समाविष्ट होते हैं। यहाँ जीवन (Life) के लिए आवश्यक जीवन-संचालन तत्व (Life-sustaining elements) जैसे ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि नहीं होते।

भाग 2: म्य्थोलॉजी (Mythology)

विभिन्न संस्कृतियों के अनुसार, आसमान के ऊपर देवता (Gods) या स्वर्ग (Heaven) माना जाता है। हिंदू म्य्थोलॉजी में आसमान के ऊपर स्वर्ग होता है जहाँ देवता वास करते हैं।

भाग 3: अंतरिक्ष अन्वेषण (Space Exploration)

अंतरिक्ष यात्री (Astronauts) और स्पेस स्टेशन (Space Stations) आसमान के ऊपर वास करते हैं। यह अस्थायी (temporary) रहने की जगह होती है, जहाँ मानव अंतरिक्ष का अन्वेषण कर सकते हैं।

आसमान: उसका स्वरूप, विस्तार और रहस्य

हमारी जीवन यात्रा पृथ्वी पर ही सीमित नहीं है, बल्कि हम आसमान और ब्रह्मांड के रहस्यों का अन्वेषण भी करते हैं। आसमान का अनूठा स्वरूप और उसकी गहराई हमारी जिज्ञासा को बढ़ाता है।

पृथ्वी के ऊपर क्या है?

पृथ्वी के ऊपर और उसके चारों ओर विस्तृत आसमान है, जिसमें सूर्य, चंद्र, तारे और अन्य आकाशीय शरीर चमकते हैं। आसमान के ऊपर कोई नहीं रहता, बल्कि वह आसमान ही है, जिसका अंत नहीं है। वह ब्रह्मांड है, जिसमें अनगिनत तारा-मंडल, गैलेक्सियाँ और आकाशीय शरीर फैले हुए हैं।

आसमान कहां है? | आसमान की स्थिति

जब हम अपनी दृष्टि को ऊपर की ओर ले जाते हैं, हमें जो नीले रंग का फैलाव दिखता है, वह ही हमारा आसमान है। यहीं पर सूर्य, चंद्र, तारे और बादल हमें दिखाई देते हैं। इसके अलावा, बादल से वर्षा होती है, जो हमारे जीवन को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

जब हम अपनी दृष्टि को ऊपर की ओर ले जाते हैं, हमें जो नीले रंग का फैलाव दिखता है, वह ही हमारा आसमान है। यहीं पर सूर्य, चंद्र, तारे और बादल हमें दिखाई देते हैं। इसके अलावा, बादल से वर्षा होती है, जो हमारे जीवन को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

आसमान हमारे सिर के ऊपर दिखाई देता है, जब हम ऊपर देखते हैं। इसमें चमकते हुए तारे, चंद्रमा और सूर्य दिखाई देते हैं। आसमान में बादल बनते हैं और उनसे ही पृथ्वी पर वर्षा होती है, जो हमारी जीवन धारा को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

धरती से आसमान की ऊंचाई कितनी है?

धरती से आकाश की ऊचाई नापने के लिए हम वायुमंडल के विभिन्न तबकों को देखते हैं। ये तबके ऊर्जा वितरण, तापमान, और गैसों की मात्रा के हिसाब से बदलते हैं।

  • त्रोपोस्फ़ीयर (Troposphere): यह तबका सतह से लगभग 8 किमी (पोलों पर) से 14.5 किमी (भूमध्य रेखा पर) तक फैला होता है। यहाँ पर हमारे मौसम के अधिकांश परिवर्तन होते हैं।
  • स्ट्रैटोस्फ़ीयर (Stratosphere): यह तबका त्रोपोस्फ़ीयर के ऊपर होता है और लगभग 50 किमी तक फैला होता है। यहां ओजोन परत (जो धरती को उल्लेखनीय रूप से सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती है) स्थित होती है।
  • मेसोस्फ़ीयर (Mesosphere): यह 50 से 85 किमी तक फैला होता है। इसे शूटिंग स्टार का तबका भी कहा जाता है क्योंकि यहां बहुत सारे मिनीट धूल कण जल जाते हैं।
  • थर्मोस्फ़ीयर (Thermosphere): यह 85 से 600 किमी तक फैला होता है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) इस तबके में घूमता है।
  • एक्सोस्फ़ीयर (Exosphere): यह वायुमंडल का सबसे ऊपरी भाग होता है और यह लगभग 700 किलोमीटर से शुरू होता है। एक्सोस्फ़ीयर में गैस के अणु बहुत कम होते हैं, और ये इतने दूर होते हैं कि वे एक दूसरे से टकराने के बजाय अंतरिक्ष में बिखर जाते हैं। इसके कारण, इसे वायुमंडल का अंत और अंतरिक्ष की शुरुआत माना जाता है।

    एक्सोस्फ़ीयर को अक्सर वायुमंडल का "स्वर्ग" कहा जाता है क्योंकि इसके परे सूर्यीय पदार्थ और ग्रहीय पदार्थ में कोई अंतर नहीं होता है।इसके ऊपर विभाजन बहुत कम स्पष्ट होता है, क्योंकि एक्सोस्फ़ीयर के परे सूर्यीय अंतरिक्ष शुरू होती है। यहां, गैस के अणु सूर्य की गति के विपरीत दिशा में प्रवाहित होते हैं, इसे सोलर विंड कहते हैं।

    एक्सोस्फ़ीयर इतना पतला होता है कि इसमें ध्वनियाँ या अन्य वायुमंडलीय प्रक्रियाएँ प्रवाहित नहीं हो सकती हैं। यहाँ ध्वनि की गति शून्य होती है, इसलिए इसे ध्वनियाँ का सीमा (कर्मण लाइन) भी कहा जाता है। यह वह स्थान है जहां अंतरिक्ष यात्रा शुरू होती है।