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शिवपूजन सहाय का जीवन परिचय

शिवपूजन सहाय का जीवन परिचय

दोस्तों, आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको एक प्रमुख लेखक शिवपूजन सहाय जी के जीवन के बारे में जानकारी देने वाला हूं यदि आप उनके जीवन के बारे में जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।

शिवपूजन सहाय का जीवन परिचय

शिवपूजन सहाय का जन्म सन् 1893 में उनवांस गांव भोजपुर बिहार में हुआ था। इनको बचपन में भोलानाथ नाम से पुकारा जाता था, लेकिन इनका असली नाम तारकेश्वर नाथ था बाद में इनका नाम बदलकर शिवपूजन सहाय कर दिया गया था। इनके पिताजी का नाम श्री बालेश्वर सहाय था और इनकी माता जी का नाम श्रीमती राजकुमारी देवी था।

इनके पिताजी का देहांत बहुत कम उम्र में ही हो गया था जिसकी वजह से इनके ऊपर घर की कुछ जिम्मेदारियां भी आ गई थी इनकी माताजी एक धार्मिक स्वाभाव की महिला थी। इनकी प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत अपने गांव की पाठशाला से ही हुई थी, इन्होंने 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद बनारस की अदालत में नौकरी की थी।

इनका विवाह मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही हो गया था, लेकिन कुछ दिनों के बाद ही इनकी पत्नी की मृत्यु भी हो गई थी। जिसके कारण इनको दूसरा विवाह करना पड़ा। दूसरा विवाह होने के बाद इन्होंने आरा के जी एकेडमी स्कूल में शिक्षक के पद पर नौकरी करना शुरू किया। यह कुछ दिनों तक शिक्षक की नौकरी करने के बाद नौकरी छोड़कर असहयोग आंदोलन से जुड़ गए। यह अपने समय के लेखक में बहुत लोकप्रिय और सम्मानित व्यक्ति थे।

शिवपूजन सहाय अपने समय के लेखकों में बहुत लोकप्रिय और सम्मानित व्यक्ति थे। उन्होंने जागरण, हिमालय, माधुरी, बालक आदि कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं का संपादन किया। इसके साथ ही वे हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका मतवाला के संपादक-मंडल में थे। सन् 1963 में उनका देहांत हो गया।वे मुख्यतः गद्य के लेखक थे।

यह सन् 1920-1921 में गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े रहे। इसके बाद इनको आरा के नगर प्रचारिणी सभा का सहकारी मंत्री चुन लिया गया था। सन् 1921 में ही इन्होंने कलकत्ता में पत्रकारिता आरंभ की उसके बाद इन्होंने राजेंद्र अभिनंदन ग्रंथ में संपादन कार्य शुरू किया था।

यह संपादन कार्य करते रहे और इन्होंने कई कथा व उपन्यास को भी लिखा था, इनका इसी तरह से जीवनयापन होते हुए सारा जीवन पत्र-पत्रिकाएं व कथा एवं उपन्यास में व्यतीत हो गया।

शिवपूजन सहाय जी की मृत्यु 21 जनवरी 1963 को बिहार के पटना शहर में हुई थी उनकी मृत्यु हिंदी साहित्य में एक साहित्यिक संत का अंत भी माना जाता है। यह हमेशा से एक धारणा रखते थे की हिंदी भाषा देश-विदेश की भाषा बन जाए। इसीलिए इन्होंने अपना पूरा जीवन हिंदी साहित्य को समर्पित कर दिया था।


शिवपूजन सहाय की प्रमुख कृतियां-

  • वे दिन वे लोग - 1963
  • कहानी का प्लॉट - 1965
  • मेरा जीवन - 1985
  • स्मृतिशेष - 1994
  • हिन्दी भाषा और साहित्य - 1996
  • ग्राम सुधार - 2007
  • देहाती दुनिया - 1926
  • विभूति - 1935
  • माता का आँचल
  • सम्पादन कार्य[संपादित करें]
  • द्विवेदी अभिनन्दन ग्रन्थ - 1933
  • जयन्ती स्मारक ग्रन्थ - 1942
  • अनुग्रह अभिनन्दन ग्रन्थ - 1946
  • राजेन्द्र अभिननदन ग्रन्थ - 1950
  • आत्मकथा
  • रंगभूमि
  • समन्वय
  • मौजी
  • गोलमाल
  • जागरण
  • बालक
  • हिमालय
  • हिन्दी साहित्य और बिहारमाधुरी