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बिंदु स्त्राव किसे कहते है? | रसस्राव | वाष्पोत्सर्जन का मापन

बिंदु स्त्राव किसे कहते है? | रसस्राव | वाष्पोत्सर्जन का मापन

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको बिंदु स्त्राव व रसस्राव के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो| 

बिंदु स्त्राव क्या है?

पत्तियों के उपांत (margin) से जल का छोटी-छोटी बूंदों के रूप में स्त्राव (secretion) बिंदु स्त्राव कहलाता है।

बिंदु स्त्राव का अध्ययन सर्वप्रथम बर्गरस्टीन (bergerstein, 1887) ने किया था। बिंदु स्त्राव सभी पौधों में नहीं पाया जाता है। यह केवल 345 वंशो में पाया गया है। यह सामान्यतः शाकीय पौधों में पाया जाता है, जैसे- गार्डन नैस्टर्शियम (garden nasturtium), आलू, टमाटर, जई, बंदगोभी आदि। जल की यह हानि (स्त्राव) पत्ती की शिराओं के अंत पर स्थित छोटे-छोटे छिद्रों के द्वारा होती है, जिन्हें जलरंध्र (water stomata) कहते हैं।

जलरंध्र के निर्माण में एक छिद्र तथा उसके भीतर की ओर ढीले रूप में व्यवस्थित मृदूतकी कोशिकाएं भाग लेती है जिन्हें ऐपीथेम (epithem) कहते हैं। जलरंध्र सदैव खुले रहते हैं। ऐपीथेम के पीछे जाइलम वाहिकाओं (xylem vessels) तथा वाहिनिकाये खुलती है। इनके द्वारा स्त्रावित जल ऐपीथेम से होकर जलरंध्रों (water stomata) से बूंदों के रूप में बाहर निकलता है।

जलरंध्र के निर्माण में एक छिद्र तथा उसके भीतर की ओर ढीले रूप में व्यवस्थित मृदूतकी कोशिकाएं भाग लेती है जिन्हें ऐपीथेम (epithem) कहते हैं।

बिंदु स्त्राव प्रायः उष्णआर्द्र (warm and humid) जलवायु के पौधों में होता है। जल सक्रिय जल अवशोषण के लिए उचित परिस्थितियों में पाया जाता है। यह प्रायः रात्रि अथवा प्रातःकाल में पाया जाता है जब जल अवशोषण अधिक परंतु वाष्पोत्सर्जन कम होता है जिसके फलस्वरूप जाइलम वाहिकाओं में मूलदाब (root pressure) बढ़ जाता है, जिसके कारण जल वाहिकाओं से निकलकर जलछिद्रो द्वारा बाहर निकल आता है। इस जल में विलेय पाये जाते हैं इसी कारण जल के सूखने पर पत्ती की सतह पर सफेद धब्बे दिखायी देते हैं।

रसस्राव किसे कहते है?

पौधे के किसी अंग के कट जाने या फट जाने से जल तथा उसमें घुले अनेक पदार्थ (कोशिका-रस) बाहर रिसने लगते हैं। यह क्रिया रसस्त्राव (bleeding) कहलाती है। ताड़ के पेड़ों के तनों से ताड़ी (toddy juice) का निकालना, रबड़ के पौधों से रबड़क्षीर (latex) का निकालना रसस्त्राव के ही उदाहरण है। इस प्रकार रसस्त्राव आर्थिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण क्रिया है।

वाष्पोत्सर्जन का मापन

वाष्पोत्सर्जन का मापन वाष्पोत्सर्जनमापी अथवा पोटोमीटर (potometer) की सहायता से किया जाता है। पोटोमीटर कई प्रकार के होते हैं, जैसे- गैनांग, फार्मर, बोस आदि।

वाष्पोत्सर्जन का मापन वाष्पोत्सर्जनमापी अथवा पोटोमीटर (potometer) की सहायता से किया जाता है। पोटोमीटर कई प्रकार के होते हैं, जैसे- गैनांग, फार्मर, बोस आदि।

गैनांग पोटोमीटर द्वारा वाष्पोत्सर्जन दर ज्ञात करना

गैनांग पोटोमीटर में एक संकरी पतली कांच की नली क्षेतिज रूप में लगी रहती है। तथा इसके एक चौड़े सीधे सिरे से पत्ती सहित एक शाखा पानी में काटकर डाल देते हैं और उसे कार्क द्वारा वायुरोधक कर देते हैं। इस नली का दूसरा सिरा पानी से भरे बीकर में डाल देते हैं। यह नली बीच में एक चोड़ी, सीधी नली (रिजरवायर) से जुड़ी रहती है जिसमें एक टोंटी (bottleneck) लगी रहती है।

यह जल को संचित करने का कार्य करती है। मुड़ी हुई नली के उस सिरे को जो पानी से भरे बीकर में है, कुछ उठाकर हवा का एक बुलबुला नली में प्रविष्ट करा देते हैं तथा पैमाने पर उसकी स्थिति नोट कर लेते हैं। पत्तियां द्वारा वाष्पोत्सर्जन होने से बुलबुला गति करता है जिसका समय तथा दूरी ज्ञात कर ली जाती है।

रिजरवायर (reservoir) की टोंटी खोलकर बुलबुले को पुनः पीछे धकेल दिया जाता है तथा फिर से गणना की जाती है। इस पोटोमीटर के द्वारा विभिन्न परिस्थितियों, जैसे- प्रकाश, ताप, वायु, आदि में भी वाष्पोत्सर्जन की दर (transpiration rate) ज्ञात कर सकते हैं।

वाष्पोत्सर्जन एवं बिंदु स्त्राव में अंतर

क्रमांक वाष्पोत्सर्जन बिंदु स्त्राव
1. यह दिन में होता है। यह रात्रि (night) में या सुबह होता है।
2. पानी वाष्प के रूप में बाहर निकलता है। पानी तरल (liquid) के रूप में बाहर निकलता है।
3. जलवाष्प शुद्ध होती है। कई तरह के पदार्थ (substance) बिंदु स्त्राव जल में मिले रहते हैं।
4. यह रंध्रों, वातररंध्रों या उपत्वचा द्वारा होता है। यह जलरंध्र (hydathodes) द्वारा होता है।
5. यह एक नियमित (regulated) क्रिया है। यह एक अनियमित (non-regulated) क्रिया है।