कोलाइडी कणों का परिक्षेपण माध्यम में तीव्र व निरंतर टेढ़ी मेढी गति ब्राउनी गति कहलाती है और इसकी खोज ब्रिटिश वैज्ञानिक रॉबर्ट ब्राउन सन् 1827 में की थी।
ब्राउनी गति का उदाहरण
दूसरे शब्दो में, अतिसूक्ष्मदर्शी से देखने पर कोलॉइडी कण टेढ़े मेढ़े करते हुए दिखते हैं इसे ब्राउनी गति कहते हैं।
अन्य शब्दो में, किसी कोलाइडी विलयन में कोलाइडी कणों का टेढ़े मेढ़े तरीके से गति करने ब्राउनी गति कहलाता है।
कारण- ब्राउनी गति कोलाइडी कणों के परिक्षेपण माध्यम के अणुओं से टकराने पर उत्पन्न होती हैं।
कोलॉइडी कणों पर विद्युत आवेश
कोलाइडी विलयन विद्युत उदासीन होता है, किंतु कोलाइडी कण विद्युत आवेशित होते हैं। किसी कोलाइडी विलयन में उपस्थित सभी कोलाइडी कणों पर समान आवेश होता है जिसके कारण ये एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते करते हैं। कोलाइडी कणों का विद्युत आवेश और ब्राउनी गति कोलाइडी विलयन को स्थायित्व प्रदान करती है। कोलाइडी कणो पर विद्युत आवेश की उत्पत्ति अनेक कारणों से हो सकती है। इनमें से मुख्य कारण निम्नलिखित हैं।
कोलाइडी कणों में विलयन से आयनों को अधिशोषित करने की प्रवृत्ति होती है। आयनिक कोलाइडी कण विलयन से उन आयनों को अधिशोषित करते हैं जो उनके उभयनिष्ठ होता है। जिससे उसपर अधिशोषित आयनों का आवेश को उपस्थित हो जाता है। अथवा उसके पृष्ठ पर एक विद्युत आवेश बन जाता है जिसे प्राथमिक विद्युत स्तर कहा जाता है। कोलाइडी कण को उदासीन बनाए रखने के लिए विपरीत आवेशित आयन का दूसरा स्तर बन जाता है जो गोण विद्युत स्तर कहलाता है। यह विद्युत स्तर काय के चारों ओर विलयन में विसरित रहता है।
अधिशोषित आयन का आवेश कोलाइडी कण पर प्रदर्शित होता है किन्तु कोलाइडी विलयन उदासीन होता है। जैसे Nacl विलयन में परिक्षिप्त Agcl कणों Cl⁻ के कारण ऋणावेशित होता है।
अंतिम निष्कर्ष- दोस्तों आज मैंने इस पोस्ट के द्वारा आपको ब्राउनी गति के बारे में व कई उदाहरण भी बताए हैं। अगर आपको मेरी यह पोस्ट पसंद आती है तो इसे जरूर शेयर करें और हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वॉइन अवश्य करें जिसमें आपको नोट्स की अपडेट तुरंत मिल जाती है।