हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको कार्बन के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
कार्बन क्या है?
कार्बन एक तत्व है, जो स्वतंत्र तथा संयोजित दोनों रूपों में मिलता है। स्वतंत्र कार्बन के भिन्न अपर रूप हीरा, ग्रैफ़ाइट तथा कोयला हैं।
हवा के कार्बन डाइ-ऑक्साइड में, पानी में घुले कार्बोनेट में और संगमरमर, खड़िया, अनेक चट्टानों तथा कई प्रकार के खनिज पदार्थों में संयोजित कार्बन रहता है। जीवधारी, वनस्पति, पेट्रोलियम तथा सभी कार्बनिक वस्तुओं का एक अत्यावश्यक अवयव कार्बन है।
साधारण ताप पर कार्बन सामान्यत: अक्रिय है, परंतु तप्त करने पर यह बहुत सी वस्तुओं से संयोग करता है। ऑक्सीजन से क्रिया में कार्बन मोनो-ऑक्साइड तथा डाइ-ऑक्साइड बनता है :
C + ú ½ O2= C O, C + O2 = C O2
उच्च ताप पर कार्बन द्वारा कई धातुओं के ऑक्साइड का अवकरण हो जाता है। उच्च ताप पर ऑक्सीजन से संयुक्त होने की प्रवृत्ति के कारण ही यह धन ईधंन के लिए तथा धातुकर्म में सरल अवकारक के लिए अत्यधिक प्रयुक्त होता है। अति उच्च ताप पर यह हाइड्रोजन से भी क्रिया करता है और फलस्वरूप हाइड्रोकार्बन बनते हैं।
यौगिकों में कार्बन की सामान्यतया चतु:संयोजकता रहती है तथा वलय अथवा श्रृंखला में दूसरे कार्बन परमाणु से भी संयोग करना इसका विशेष गुण है। इसीलिए असंख्य कार्बनिक यौगिक उपलब्ध हैं।
कई प्रकार के कार्बनिक यौगिकों को, जैसे लकड़ी का चूर, चीनी, पत्तियों इत्यादि को, अपर्याप्त वायु में गर्म करने से वे झुलस जाते हैं और वाष्प तथा दूसरी वाष्पशील वस्तुएँ बाहर निकल जाती हैं।
अंत में काली वस्तु बच रहती है जो विशुद्ध कार्बन रहता है, रंग रूप में हीरा कार्बन का रूप नहीं प्रतीत होता परंतु कोयला, काज, ग्रैफ़ाइट की भाँति यह भी वस्तुत: कार्बन का ही एक अपर रूप है। इन सभी प्रकार की वस्तुओं को वायु में पूर्णतया जलाने पर कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस ही मिलती है।
मात्रात्मक विचार से पूर्वोक्त सभी वस्तुओं से भार भी बराबर ही मिलता है। कार्बन के ये विभिन्न अपर रूप होते हुए भी उनके रंग, रूप, मणिभ संरचना तथा दूसरे भैतिक गुणधर्म अत्यंत भिन्न होते हैं।
योगिक किसे कहते हैं?
जब दो या दो से अधिक तत्वों को एक निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोजित किया जाता है तो इस प्रकार बने नए पदार्थ को यौगिक कहते है। यौगिक के गुण , संयोजित तत्वों के गुणों से बिल्कुल अलग होते है।
उदाहरण : जल , एक यौगिक है जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन तत्वों से मिलकर बनता है।
या
दो या दो से अधिक तत्व या पदार्थ जब एक निश्चित भार के अनुपात में रासायनिक क्रिया करके या रासायनिक बन्धो द्वारा जुड़कर एक नए पदार्थ का निर्माण करते है तो इस प्रकार बने इस नए पदार्थ को यौगिक कहा जाता है। उदाहरण : गंधक का अम्ल , साधारण नमक आदि यौगिक के उदाहरण है।
या
दो या दो से अधिक तत्व आपस में संयोग करके एक नए पदार्थ का निर्माण करते है जिसे यौगिक कहते है , इस प्रकार दो तत्वों के संयोग जो जो पदार्थ बनता है अर्थात यौगिक बनता है वह पदार्थ या यौगिक स्थायी अवस्था में पाया जाता है , लेकिन इस यौगिक के गुण , इसके तत्वों के गुणों से भिन्न पाए जाते है।
वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक प्रकार के परमाणुओं से या तत्वों से एक निश्चित अनुपात में मिलकर बनता है उसे यौगिक या रासायनिक यौगिक कहते है , यौगिक का निर्माण तभी होता है जब ये तत्व एक निश्चित अनुपात में रासायनिक बन्धो या रासायनिक क्रिया द्वारा जुड़े हुए रहते है।
जब किसी यौगिक का सूत्र लिखा जाता है तो इसमें इन तत्वों के अनुपात को भी प्रदर्शित किया जाता है , जैसे जल एक यौगिक का निर्माण है जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन तत्वों के संयोग से बनता है।
जल के निर्माण के लिए ऑक्सीजन हाइड्रोजन के दो परमाणु , ऑक्सीजन के एक परमाणु के साथ बंध द्वारा जुड़े रहते है अर्थात जल के एक अणु के निर्माण में हाइड्रोजन परमाणु के दो परमाणु और ऑक्सीजन का एक परमाणु संयोग करता है इसलिए जल के रासायनिक सूत्र को H2O द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
प्रत्येक यौगिक की एक अद्वितीय संरचना होती है , क्यूंकि प्रत्येक प्रकार के यौगिक में परमाणु एक निश्चित व्यवस्था में बन्धो में व्यवस्थित रहते है जिससे एक अद्वितीय संरचना का निर्माण करते है।