कोलाइड प्रावस्था– सन् 1861 में थॉमस ग्राहम ने विलेय पदार्थों को द्रव अवस्था में विसरित होने के आधार दो वर्गो में विभाजित किया था। क्रिस्टलाभ या क्रिस्टलाइड और कलिल या कोलाइड।
क्रिस्टलाभ या क्रिस्टलाइड
वे पदार्थ जो विलयन में उपस्थित होने पर चर्म-पत्र या जंतु झिल्ली से होकर शीघ्रता से विसरित हो जाते हैं। ऐसे पदार्थ को क्रिस्टलाभ कहा गया। जैसे- यूरिया, नमक, चीनी आदि
कलिल या कोलाइड
ऐसे पदार्थ जो विलयन में उपस्थित रहने पर चर्म-पत्र या जंतु झिल्ली से होकर शीघ्रता से विसरित नहीं होते या धीमी गति से होते हैं, उन्हें कलिल या कोलाइड कहते हैं। जैसे- स्टार्च, जिलेटिन, गोंद आदि
विलयन का वर्गीकरण
विलयन का वर्गीकरण निम्न तीन विलेय वास्तविक विलयन, निलंबन, कोलाइड के कणों के आधार पर होता है जो कि निम्न है जो कि कोलाइड प्रावस्था के अन्तर्गत आता है।
वास्तविक विलयन
जब विलयन में विलेय के कण और विलायक के कण आपस में पूर्णतः घुल जाता हैं तो वह विलयन वास्तविक विलयन कहलाता है। जैसे- चीनी और पानी का विलयन
निलंबन
जब कोई ठोस के कण किसी द्रव में नहीं घुलते हो वह निलंबन कहलाते हैं। जैसे- पानी और बालू
कोलाइड
कोलाइड वास्तविक विलयन और निलंबन के बीच की अवस्था होती है, जिन्हें कोलाइड कहते हैं।
अंतिम निष्कर्ष– दोस्तों आज मैंने इस पोस्ट के द्वारा आपको बताया कि कोलाइड प्रावस्था के बारे में और उसके तीन भागों को भी बताया है अगर यह पोस्ट आपको मेरी पसंद आती है तो इसे अपनों में शेयर करें अगर आप तुरंत पढ़ाई से संबंधित जानकारी लेना चाहते हैं तो हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन अवश्य करें जी धन्यवाद।