हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको चालक के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
चालक किसे कहते हैं?
वह पदार्थ जो अपने अंदर से इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह आसानी से होने देते हैं या ऐसे पदार्थ जो इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह में बाधा नहीं डालते, विद्युत के अच्छे चालक कहलाते है। चांदी विद्युत का सबसे अच्छा कंडक्टर है। सभी धातुएं जैसे- तांबा, लोहा, ऐलुमिनियम, पारा, कार्बन, पृथ्वी, अम्ल, क्षार, तथा लवणो के घोल आदि विद्युत के चालक है। इसलिए ऐसे पदार्थों का प्रयोग विद्युत सामान बनाने में किया जाता है।
चालकों का वर्गीकरण
चालक को उनके पदार्थ के आधार पर 3 श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
- ठोस चालक- सोना, चांदी, तांबा, एल्यूमीनियम आदि
- तरल चालक- पारा, अमोनियम क्लोराइड, सल्फ्यूरिक एसिड, कॉपर सल्फेट आदि
- आर्गन, नियॉन, हीलियम आदि
अच्छे चालक की विशेषता
अच्छे चालक पदार्थों की प्रमुख विशेषताएं निम्न प्रकार है।
- चालक की प्रतिरोधकता बहुत कम एवं चालकता बहुत अधिक होनी चाहिए।
- चालक ऐसे हो कि इनके जोड़ों की सोल्डरिंग आसानी से की जा सके।
- यह चालक पदार्थ तार खींचने योग्य एवं चद्दरे बनाने योग्य होने चाहिए।
- इनकी खिंचाव छमता अच्छी होनी चाहिए।
- चालक पदार्थ नरम होने चाहिए।
पदार्थ व धातु के आधार पर चालक के प्रकार
चालक को उनके प्रकार के आधार पर विभिन्न प्रकार में विभाजित किया गया है।
सोना
विद्युत का सबसे उत्तम चालक सोना है इसकी चालकता बहुत अधिक होती है जो कि 99% होती है। इसकी कीमत (cost) अधिक होने के कारण इसका प्रयोग नहीं किया जाता है।
चांदी
- सोना विद्युत का बहुत अच्छा चालक होता है।
- इसका विशिष्ट प्रतिरोध बहुत कम होता है। 20ºC डिग्री सेल्सियस पर 1.64 माइक्रो ओम सेंटीमीटर (1.64μΩ-cm) होता है।
- महंगी होने के कारण इसका विद्युतीय कार्यों में प्रयोग सीमित है।
- इसका प्रयोग विद्युतीय यंत्र, अधिक रेटिंग की धारा के कॉन्टैक्ट्स वाले स्टार्टर में कांटेक्ट पॉइंट बनाने में होता है।
- इसकी चालकता 98% होती है।
तांबा
- चांदी के बाद यह विद्युत का बहुत अच्छा चालक है।
- शुद्ध तांबे का विशिष्ट प्रतिरोध 1.7μΩ-cm होता है।
- चांदी से कम कीमत होने के कारण इसका अत्यधिक प्रयोग तार में, ओवरहेड लाइनों में, केबलों में, अर्थ इलेक्ट्रोड में, वाइंडिंग तारों में, कांटेक्ट पॉइंट में, स्टार्टरो में, बस बार आदि में किया जाता है।
- तांबा नरम धातु है इसकी तारे एवं चद्दरे (sheets) आसानी से बनाई जा सकती है।
- इसकी चालकता 90% होती है।
लोहा
समान लंबाई व क्षेत्रफल के तांबे के चालक की तुलना में इसका प्रतिरोध 8 गुना कम होता है। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्न है।
- चुंबकीय रेखाओं के गुजरने के लिए लोहा सुगम रास्ता बनाता है।
- इसकी तारे एवं चद्दरे आसानी से बनाई जा सकती है।
- इसकी यांत्रिक शक्ति बहुत अधिक होती है। ये सस्ते होते हैं एवं इनकी उपलब्धता अच्छी होने के कारण विद्युत कार्यो में अधिक उपयोग में आते हैं।
- इसका उपयोग मशीनों की बॉडी, कवर, शाफ्ट, कंड्यूट तथा G-I पाइप बनाए जाते हैं।
पीतल
यह एक मिश्र धातु है। इसमें तांबे एवं जिंक का मिश्रण होता है। यह विद्युत का चालक है। इसकी चालकता चांदी की तुलना में 48% होती है। यांत्रिक शक्ति अधिक होने के कारण इसका प्रयोग टर्मिनलो, स्विच, होल्डर की स्क्रू, नट, बोल्ट आदि में किया जाता है।
एल्युमिनियम
तांबे के बाद एल्युमिनियम प्रमुख रूप से चालक के रूप में विद्युत के कार्यों में प्रयुक्त किया जाता है। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्न है।
- यह वजन में हल्का होता है।
- 20 डिग्री सेल्सियस पर इसका विशिष्ट प्रतिरोध 2.69×10⁻²μΩ-cm होता है।
- ओवरहेड लाइनों में इसका अधिक प्रयोग होता है।
- इसकी चालक का 60% होती है।
- इसको मजबूत बनाने के लिए चालू को के बीच स्टील की तार लगाई जाती है। इसे ACSR चालक कहते हैं। ACSR का पूरा नाम एल्युमिनियम कंडक्टर स्टील रेनफोस्ड होता है।
नाइक्रोम
यह भी मिश्र धातु है इसे 80% नीकिल व 20% क्रोमियम मिलाकर तैयार किया जाता है। इसका गलनांक उच्च होता है। इसका उपयोग विद्युत भट्टियों में, हीटर, प्रेस, गीजर, टोस्टर, विद्युत केतली के हीटिंग एलिमेंट बनाने में किया जाता है।
सीसा
इसका गलनांक टिन से अधिक होता है। इस पर रासायनिक पदार्थों का असर कम होता है। इसका प्रयोग केबलों में व सोल्डर बनाने में किया जाता है। एवं लेड एसिड बैटरी के सैलो को बनाने के लिए सीसा उपयोग में लिया जाता है। यह भी विद्युत का चालक होता है।
टिन
इस प्रकार के चालक पर जंग नहीं लगता है। इसका गलनांक कम होने के कारण यह शीघ्र पिघल जाता है। इसका उपयोग निम्न प्रकार से किया जाता है।
- सोल्डर बनाने में
- फ्यूज तार बनाने में
- तांबे की तारों की टिनिंग करने में
Gl wire
GI पूरा नाम गेल्वेनाइज्ड आयरन (galvanized iron) होता है। इस पर जंग नहीं लगती है। लोहे के ऊपर गेल्वेनाइजेशन करके जस्ते की परत चढ़ा दी जाती है। GI तार का मुख्य उपयोग स्टे तार, टेलीफोन तार, अर्थिंग तार व केबलों की यांत्रिक सुदृढता (mechanical soundness) बनाने हेतु GI पत्तियों का आवरण बनाने में किया जाता है।
पारा
पारा एक तरल धातु होता है। जब हम इसे गर्म करते हैं तो इसका वाष्पीकरण हो जाता है। पारे का इस्तेमाल हम मरक्यूरी आरक रेक्टिफायर, मरक्यूरी लैंप आदि बनाने में करते हैं।
टंगस्टन
इसका गलनांक उच्च 3400ºC होता है। यह कठोर धातु है। इसका उपयोग लैंपो, ट्यूबलाइट, के फिलामेंट बनाने में किया जाता है।
- यह हाई स्पीड स्टील बनाने में प्रयोग आता है।
- चुंबक बनाने में प्रयुक्त होने वाली स्टील में इसका प्रयोग किया जाता है।
गैंसे
नियॉन गैस, आर्गन गैस, हीलियम गैस विद्युत की चालक होती है। इनकी विशेषता यह होती है कि कम तापमान पर इसका प्रतिरोध अधिक एवं अधिक तापमान पर कम हो जाता है।
जस्ता
यह विद्युत का अच्छा चालक होता है। यह सैलो में कंटेनर बनाने के काम आता है। लोहे को जंग से बचाने के लिए जस्ती की परत चढ़ाई जाती है।