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विद्युत द्विध्रुव किसे कहते हैं? | विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण

विद्युत द्विध्रुव किसे कहते हैं? | विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको विद्युत द्विध्रुव के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो। 

विद्युत द्विध्रुव क्या हैं?

यदि दो बराबर तथा विपरीत बिंदु आवेश किसी अल्प दूरी पर स्थित हो, तो इस निकाय को विद्युत द्विध्रुव कहते हैं। द्विध्रुव के दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा को द्विध्रुव अक्ष कहते हैं। जैसा कि आप चित्र में देख रहे है जिसमें दो आवेश +q तथा -q परस्पर दूरी 2a पर स्थित है।

विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण के बारे में

द्विध्रुव आघूर्ण (dipole moment) किसी द्विध्रुव के द्विध्रुव आघूर्ण P का परिमाण किसी एक आवेश के मान तथा आवेशों के बीच की दूरी के गुणनफल के बराबर होता है।

p = q ×2a

द्विध्रुव आघूर्ण p एक सदिश राशि है। इसकी दिशा द्विध्रुव की अक्ष के अनुदिश, ऋण आवेश से धन आवेश की ओर होती है। इसका S.I. मात्रक कूलाम × मीटर है तथा C.G.S. मात्रक स्थैत - कूलाम × सेंटीमीटर है। इसका विमीय सूत्र [M⁰L¹T¹A¹] है।

द्विध्रुव आघूर्ण (dipole moment) किसी द्विध्रुव के द्विध्रुव आघूर्ण P का परिमाण किसी एक आवेश के मान तथा आवेशों के बीच की दूरी के गुणनफल के बराबर होता है।

विद्युत द्विध्रुव के उदाहरण

  1. परमाणु द्विध्रुव (atomic dipole) हम जानते हैं कि परमाणु में धनात्मक आवेश अर्थात प्रोटॉन नाभिक में स्थित होते हैं तथा ऋणात्मक आवेश अर्थात इलेक्ट्रॉन विभिन्न कक्षाओं में नाभिक के चारों ओर घूमते हैं। परमाणु में इलेक्ट्रॉनों का द्रव्यमान केंद्र प्रोटॉन के द्रव्यमान केंद्र के साथ संपाती होता है, अतः परमाणु का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है।
  2. परमाणु को जब वह बाहरी विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है तो उसके धनात्मक व ऋणात्मक आवेशों के द्रव्यमान केंद्र एक-दूसरे के सापेक्ष हट जाते हैं तथा परमाणु एक द्विध्रुव बन जाता है।
  3. अणु द्विध्रुव (molecular dipole) यदि किसी अणु में ऋणात्मक आवेशों का द्रव्यमान केंद्र, धनात्मक आवेशो के द्रव्यमान केंद्र के साथ सम्पाती नहीं होता है, अपितु उनके बीच कुछ दूरी होती है, तो ऐसे अणु को ध्रुवीय अणु (polar molecular) कहते हैं, जैसे- H₂O, NH₃, HCI आदि। ऐसे अणुओं का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य नहीं होता है, अपितु प्रत्येक अणु का कुछ परिणामी द्विध्रुव आघूर्ण होता है।
  4. इसके विपरीत, कुछ अणुओं में परमाणुओ के नाभिक व उनके इलेक्ट्रॉनों की व्यवस्था इस प्रकार होती है कि अणु में धनात्मक आवेशो का द्रव्यमान केंद्र तथा ऋणात्मक आवेशों द्रव्यमान केंद्र संपाती होता है। ऐसे अणु को अध्रुवीय अणु (non-polar molecular) कहते है जैसे- O₂, N₂, H₂ आदि। ऐसे अणुओं का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है।