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विद्युत स्थितिज ऊर्जा क्या है?

विद्युत स्थितिज ऊर्जा क्या है?

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको विद्युत स्थितिज ऊर्जा के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।

विद्युत स्थितिज ऊर्जा के बारे में

किन्हीं दो वस्तुओं के मध्य आकर्षण बल तथा दो वस्तु के मध्य प्रतिकर्षण बल लगता है। अतः वस्तु को एक दूसरे से दूर ले जाने में किया गया कार्य अथवा एक दूसरे के पास लाने में किया गया कार्य या कुछ कार्य मिलता है। अथवा कुछ काम करना पड़ता है। यह कार्य वस्तु के निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा से ही प्राप्त होता है। अथवा निकाय की विद्युत ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।

दो बिंदु आवेशो की विद्युत स्थितिज ऊर्जा

जैसा कि आप चित्र में देख रहे हैं कि दो बिंदु आवेश +q₁ व q₂ परस्पर r दूरी पर परावैद्युतांक K के माध्यम में बिंदु A व बिंदु B पर स्थित है। इस निकाय की स्थितिज ऊर्जा ज्ञात करने के लिए हम मानते हैं कि प्रारंभ में आवेशव +q₂ बिंदु B पर न होकर, अनंत पर है। तब निकाय की स्थितिज ऊर्जा = आवेश +q₂ को अनंत से बिंदु B तक आवेश +q₁ के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र में लाने में किया गया कार्य एकांक आवेश को अनंत से विद्युत बिंदु B तक लाने में किया गया कार्य।

किन्हीं दो वस्तुओं के मध्य आकर्षण बल तथा दो वस्तु के मध्य प्रतिकर्षण बल लगता है। अतः वस्तु को एक दूसरे से दूर ले जाने में किया गया कार्य अथवा एक दूसरे के पास लाने में किया गया कार्य या कुछ कार्य मिलता है।

ध्यान रहे कि यदि आवेश q₁ को प्रारंभ में अनंत पर मानकर इसे आवेश q₂ से दूरी r तक लाने में कार्य की गणना करें तो भी किया गया कार्य न ही होगा जितना कि आप समीकरण में देख पा रहे हैं। अतः दो आवेशों के निकाय को बनाने में आवश्यक ऊर्जा, उना आवेशो की केवल अंतिम स्थिति पर निर्भर करती है।

सजातीय आवेशों के मध्य प्रतिकर्षण बल लगता है, अतः उन्हें पास लाने में इस प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है जिससे निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा बढ़ती है तथा उन्हें दूर हटाने में प्रतिकर्षण बल स्वयं कार्य करता है जिससे निकाय की विद्युत ऊर्जा घटती है। इसके विपरीत, विजातीय आवेशों के मध्य आकर्षण बल लगता है, अतः उन्हें पास लाने में आकर्षण बल स्वयं कार्य करता है जिससे निकाय की विद्युत ऊर्जा घटती है तथा उन्हें दूर हटाने पर आकर्षण बल के विरुद्ध बाहरी कार्य करना पड़ता है जिससे निकाय की विद्युत ऊर्जा बढ़ती है।