हम जानते हैं कि प्रत्येक पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बना है। प्रत्येक परमाणु के केंद्र में नाभिक होता है जिसमें धनावेशित कण प्रोटॉन तथा अनावेशित कण न्यूट्रॉन होते हैं। ऋणावेशित कण इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर निश्चित कक्षाओं में घूमते रहते हैं।
एक इलेक्ट्रॉन पर उतना ही ऋणात्मक आवेश होता है जितना कि एक प्रोटोन पर धनात्मक आवेश होता है। परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की कुल संख्या, उसके नाभिक (nucleus) में उपस्थित कुल प्रोटॉन की संख्या के बराबर होती है, अतः परमाणु (atomic) विद्युत उदासीन होता है।
बद्घ इलेक्ट्रॉन
वे इलेक्ट्रॉन जो परमाणु में नाभिक (atomic) के निकट की कक्षाओ में घूमते हैं, बद्घ इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं क्योंकि ये इलेक्ट्रॉन्स, नाभिक से तीव्र आकर्षण (attraction) बल द्वारा बंधे होते हैं।
मुक्त इलेक्ट्रॉन
वे इलेक्ट्रॉन जो नाभिक (nucleus) से दूर सबसे बाहरी कक्षा में होते हैं, नाभिक से अपेक्षाकृत क्षीण (Weak) आकर्षण बल से बंधे होते हैं तथा ये अल्प ऊर्जा प्राप्त करके ही अपने परमाणु (atomic) से अलग हो सकते हैं। इन इलेक्ट्रॉनों को मुक्त इलेक्ट्रॉन्स (free electron) कहते हैं। घर्षण विद्युत के लिए ये मुक्त इलेक्ट्रॉन्स (Free electrons) ही उत्तरदाई होते हैं।
धनात्मक और ऋणात्मक आवेश
जब किन्हीं दो पदार्थों (substance) को आपस में रगड़ा जाता है, तो एक पदार्थ में से (जिसमें इलेक्ट्रॉन, दूसरे पदार्थ की अपेक्षा कम बल से सम्बद्ध होते हैं) इलेक्ट्रॉन्स (Electron) निकलकर दूसरे पदार्थ में चले जाते हैं, इसलिए पहले पदार्थ में इलेक्ट्रॉन की कमी हो जाने से वह धन आवेशित (Charge) हो जाता है और दूसरा पदार्थ, इलेक्ट्रॉनो की अधिकता के कारण ऋण आवेशित (charge) हो जाता है।
उदाहरण- जब कांच की छड़ (rod) को रेशम से रगड़ने पर, कांच की छड़ से इलेक्ट्रॉन निकलकर रेशम (silk) में चले जाते हैं जिससे कांच (glass) की छड़, इलेक्ट्रॉनों की कमी के कारण धनावेशित तथा रेशम, इलेक्ट्रॉनों की अधिकता के कारण ऋणावेशित हो जाता है। इसी प्रकार, एबोनाइट (Ebionite) की छड़ को फलालेन (या फर) से रगड़ने पर फलालेन (fur) से इलेक्ट्रॉन निकलकर एबोनाइट की छड़ पर आ जाते हैं, जिससे एबोनाइट की छड़ इलेक्ट्रॉनों (electron) की अधिकता के कारण ऋणावेशित (-) तथा फलालेन (या फर), इलेक्ट्रॉनों की कमी के कारण धनावेशित (+) हो जाती है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- जिस वस्तु से इलेक्ट्रॉन दूसरी वस्तु (object) में आ जाते हैं, वह इलेक्ट्रॉनों (electron) की कमी के कारण धनावेशित हो जाती है।
- जिस वस्तु में इलेक्ट्रॉन दूसरी वस्तु से आते हैं, वह इलेक्ट्रॉनों की अधिकता के कारण ऋणावेशित (negative) हो जाती है।
- एक वस्तु पर जितना आवेश (charge) होता है, दूसरी वस्तु पर ठीक उतना ही विपरीत (opposite) प्रकृति का आवेश होता है।