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समविभव पृष्ठ क्या है? | गुण | उदाहरण

समविभव पृष्ठ क्या है? | गुण | उदाहरण

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको समविभव पृष्ठ के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।

समविभव पृष्ठ के बारे में

equipotential surface in hindi किसी विद्युत क्षेत्र में समान विभव के बिंदुओं को मिलाने वाले काल्पनिक पृष्ठ को समविभव पृष्ठ कहते हैं। अर्थात सम विभव पृष्ठ के किन्ही दो बिंदुओं के मध्य विभवांतर शून्य होता है।

अतः यदि समविभव पृष्ठ के किसी एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक किसी आवेश को ले जाया जाये तो किया गया कार्य शुन्य होता है। यह तभी संभव है जबकि आवेश को विद्युत क्षेत्र अर्थात विद्युत क्षेत्र रेखाओं के लंबवत ले जाया जाये। इसका तात्पर्य है कि सम विभव पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर विद्युत क्षेत्र रेखाएं पृष्ठ के लंबवत होती है। दूसरे शब्दों में, सम विभव पृष्ठ प्रत्येक बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा के लंबवत होता है।

equipotential surface in hindi किसी विद्युत क्षेत्र में समान विभव के बिंदुओं को मिलाने वाले काल्पनिक पृष्ठ को समविभव पृष्ठ कहते हैं। अर्थात सम विभव पृष्ठ के किन्ही दो बिंदुओं के मध्य विभवांतर शून्य होता है।

जैसा कि आप चित्र में देख रहे हैं कि बिंदु आवेश +q के कारण विद्युत क्षेत्र रेखाए प्रदर्शित हैं। चूंकि बिंदु आवेश को केंद्र मानकर खींचे गये गोलीय पृष्ठ का प्रत्येक बिंदु, आवेश से समान दूरी पर है, अतः इस गोलीय पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर विभव होगा, अर्थात यह गोलीय पृष्ठ, समविभव पृष्ठ होगा तथा बिंदु आवेश से निकलने वाली क्षेत्र रेखाएं त्रिज्यीय तथा गोलीय पृष्ठ पर लंबवत होगी।

समविभव पृष्ठ के गुण

  1. समविभव पृष्ठ को विद्युत क्षेत्र रेखाएं सदैव लंबवत काटती है।
  2. यदि किसी आवेश को एक सम विभव पृष्ठ से किसी अन्य सम विभव पृष्ठ पर ले जाते हैं, तो कुछ कार्य करना पड़ता है जो उन दोनों प्रष्टो के साथ विभवांतर पर निर्भर करता है।
  3. किसी सम विभव पृष्ठ पर किसी आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक चलाने में कुछ भी कार्य नहीं करना पड़ता है, क्योंकि दोनों बिंदुओं पर विभव समान होता है या विभवांतर शून्य होता है।
  4. दो सम विभव पृष्ठ कभी भी एक-दूसरे को नहीं काटते हैं, अन्यथा दोनों प्रष्टो के कटाव बिंदु पर विभव के दो मान होंगे जो संभव नहीं है।
  5. किसी भी सुचालक धातु का प्रष्ट सदैव एक सम विभव पृष्ठ होता है।
  6. बिंदु आवेश के लिए समविभव पृष्ठ, समकेंद्रित गोले होते हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य

  1. किसी बिंदु आवेश के चारों ओर किसी अन्य आवेश को वृत्ताकार मार्ग में घुमाने में किया गया कार्य शून्य होता है।
  2. बिंदु आवेश के चारों और उसे केंद्र मानकर खींचा गया गोला समविभव पृष्ठ होता है।