स्वतंत्रता दिवस
संकेत-बिंदु-(1) प्रस्तावना, (2) स्वतंत्रता दिवस का महत्व, (3) स्वतंत्रता दिवस मनाने की रीति,(4) स्वतंत्रता का स्वर्ण जयंती वर्ष,(5) उपसंहार
प्रस्तावना
जब भी किसी देश पर किसी बाहरी देश की सत्ता स्थापित होती हैं तो उस देश के निवासियों को अपमान, अत्याचार और शोषण का शिकार होना पड़ता है। 15 अगस्त, 1947 ईस्वी से पूर्व हमारा देश ब्रिटिश शासन के अधीन था। ब्रिटिश शासन के अधीन हम भी इस लज्जा जनक विवसत्ता से पीड़ित थे।
ब्रिटिश शासकों के अत्याचार और शोषण के विरुद्ध हमारा राष्ट्र बहुत पहले से ही संघर्षरत था। किंतु इस संघर्ष का फल प्राप्त हुआ 15 अगस्त, 1947 ईस्वी को, जब हमारा देश स्वतंत्र हो गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के इसी दिन को हम स्वतंत्रता दिवस के नाम से संबोधित करते हैं। और प्रतिवर्ष उत्साह के साथ इस राष्ट्रीय पर्व को मनाते हैं।
स्वतंत्रता दिवस का महत्व
किसी भी बाह्र शक्ति के अधीन रह कर कोई भी जीव पीड़ा का ही अनुभव करता है।ब्रिटिश शासन की शक्ति ने तो हमारे संपूर्ण समाज और राष्ट्र को ही अपने अमानुष नियंत्रण में ले रखा था। स्वतंत्रता दिवस के दिन ही हमने इस अत्याचारी विदेशी शक्ति की परतंत्रता से मुक्ति प्राप्त की थी,
इसलिए यह दिन हमारे लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।इस दिन ही ब्रिटिश शासन के प्रतीक यूनियन जैक का भारत में पतन हो गया और उसका स्थान हमारे राष्ट्र ध्वज तिरंगे ने ले लिया। इसके साथ ही हम एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा को प्राप्त करके विश्वा-समाज में अपना मस्तक ऊंचा कर सकें।
स्वतंत्रता दिवस मनाने की रीति
15 अगस्त, 1947 ईस्वी को हमारी परतंत्रता की बेड़ियां खुल गई। 14 अगस्त, 1947 ईस्वी की रात में 12:01 पर अंग्रेजों ने भारतीय कर्णधारओं को सत्ता सौंप दी। 15 अगस्त का सवेरा भारत वासियों के लिए एक नई उमंग लेकर आया। प्रातः काल से ही प्रभात-फेरीया प्रारंभ हो गई। दिल्ली के लाल किले पर ध्वजारोहण हुआ, जिसे देखने के लिए वहां भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
सेना ने राष्ट्रध्वज को सलामी दी। संपूर्ण भारत में राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान पूर्वक फहराकर उसे सलामी दी गई।तभी से प्रतिवर्ष इस दिन हम स्वतंत्रता प्राप्ति की वर्षगांठ मनाते हैं और राष्ट्रध्वज के प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हैं। इस दिन दिल्ली में लाल किले पर ध्वजारोहण किया जाता है। भारत के सभी राज्यों में भी ध्वजारोहण करके उसे सम्मान प्रदान किया जाता है।
सरकारी कार्यालयों, विद्यालयों एवं विभिन्न संस्थाओं ने भी इस दिन ध्वजारोहण किया जाता है। और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
स्वतंत्रता का स्वर्ण जयंती वर्ष
15 अगस्त, 1947 ईस्वी को जिस राजनीतिक स्वतंत्रता को प्राप्त करने में हम सफल हुए थे, 15 अगस्त 1997 ईस्वी को राजनीतिक स्वतंत्रता को प्राप्त किए 50 वर्ष पूर्ण हो गए।15 अगस्त 1947 ईस्वी में प्राप्त की गई स्वतंत्रता पर उत्साह व्यक्त करने और 50 वर्षों तक अपनी स्वतंत्रता को निरंतर बनाए रखने के उपलक्ष में, व्हाट्सएप 997 को स्वर्ण जयंती वर्ष घोषित किया गया।
इस वर्ष के प्रारंभ से ही स्वतंत्रा के स्वर्ण जयंती समारोह मनाने की तैयारी की गई।15 अगस्त 1997 ईस्वी को स्वतंत्रा का स्वर्ण जयंती समारोह मनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय, प्रांतीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर योजना समितियों तथा क्रियान्वय समितियों का गठन किया गया।इस प्रकार वर्ष 1997 में स्वतंत्रता का स्वर्ण जयंती समारोह विशेष धूमधाम और अत्याधिक उत्साह से मनाया गया।
स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए परम हर्ष और स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करने का दिन होता है, परंतु इसकी सार्थकता तभी है जब हम आजादी के महत्व को समझें तथा सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक समानता पर आधारित समाज की संरचना के सपने को साकार करने का संकल्प लें।
अपने देश की एकता, अखंडता और अपने अस्तित्व को बनाए रखने तथा भारत को प्रगतिशील बनाने की दृष्टि से यह एक ऐसा महान अवसर है,जब हमें निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर स्वयं में राष्ट्रीय भावना को जागृत करना चाहिए तथा अपने राष्ट्र की समृद्धि, प्रगति एवं खुशहाली हेतु समर्पित भाव से जुट जाना चाहिए।
उपसंहार
हमने अत्यंत कठिन संघर्ष एवं अथाह पीड़ा झेलने के बाद स्वतंत्रता प्राप्ति की है। निसंदेह इस दिन अपनी प्रसन्नता को सोल्लास व्यक्त करने का हमें अधिकार है, किंतु क्या हमने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करके स्वतंत्रा के वास्तविक लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है? वस्तुत ऐसा नहीं है।
आज भी हम द्वेष, सांप्रदायिक भावनाओं, जातीयता, तथा रूढ़ियों आदि के बंधन में जकड़े हुए हैं।समाज में प्रत्येक व्यक्ति को समाज अधिकार तथा प्रगति हेतु आवश्यक सामान अवसर भी प्राप्त नहीं है। हमारा प्रजातांत्रिक आदर्श एक दिखावा और पाखंड बनकर रह गया है।
जब तक हम इन सब बुराइयों से मुक्ति प्राप्त नहीं करते, हमारी राष्ट्रीय स्वतंत्रता निर्थक बनी रहेगी। हम अवश्य ब्रिटिश शासन से मुक्त होने की खुशियां मनाएं, किंतु यह ना बोले कि हमारा कर्तव्य अब मात्र झंडा फहराना और राष्ट्रीय गीत गाना ही नहीं रह गया है। हमें अभी अनेक बंधनों से स्वतंत्र होना है और इसके लिए हमें एक लंबा संघर्ष करना है।