एक लड़का पूरे साल मस्ती मजाक करता है। पढ़ाई मे उसका बिल्कुल भी मन नहीं करता था। ओर हर जगह अपना वक्त बर्बाद करता है। तो पूरा साल खत्म हुआ। ओर उसके स्कूल का रिजल्ट आया।
तो वह पूरी तरह से अपनी क्लास मे फेल हुआ। अपना रिजल्ट को देखकर पूरी तरह शांत हो गया था। एसा लग रहा था मानो वह एक पल में टूट गया हो। वह अपने घर तक जाने की भी हिम्मत नहीं कर पा रहा था। उसके बाद उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।
उसके बाद वह निराश होके घर गया। ओर अपनी माँ को गले लगाकर वह खूब रोया। वह रो रो कर अपनी गलती का अहसास किए जा रहा था। फिर में ने कहा कोई बात नहीं फेल ही तो हुआ है। न हारा तो नहीं। ज्यादा तो नहीं पर कुछ हिम्मत उसे जरूर मिली। वो दिन गुजरता रहा ओर शाम ढल गई ओर पड़ोस के लोग उसके घर पर आए।
वो एक कोने में बैठकर सोच रहा था। उम्मीद लगाए बैठा था। कि ये सारे आस-पड़ोस के लोग मुझे मेरे नंबर ना पूछे। पर हुआ कुछ ऐसा की जब आस-पड़ोस के लोगो ने उससे सुरू किया तो वह सरमिंदगी के कारण कुछ बोल नहीं पाया।
फिर उसकी माँ बोली की मेरे बेटे के तो बहुत अच्छे नंबर आए। उसे तो 100 मे से 90 प्रतिशत नंबर आए है। यह सुनकर वे सब चोक गए। क्योंकि आस पड़ोस के लोगो को पता था की वह पढ़ाई करने मे कमजोर था। लेकिन इतने ज्यादा नंबर कैसे आए होंगे। फिर उन्होंने उससे दुबारा नहीं पूछा क्योंकि यह जवाब तो उसकी माँ ने दिया था।
उसके कुछ समय बाद वे सारे लोग चले गये। तब वो लड़का उठकर अपनी माँ को बोलता है की आपने मेरे लिए झूठ क्यों बोल। मुझे बदनाम होने देते। मुझे मेरी चिंता नहीं है। लेकिन जब उन सब लोगो को पता चलेगा तो वे सारे लोग तुम्हें ताना मारेंगे। एक माँ ने झूट कहा ये सभी को बताएंगे।
तो माँ हश कर बोली की बेटा अगर तुझे में नहीं समझूँगी तो कौन समझेगा। कुछ ही नंबर से तो हारा है तू जिंदगी के खेल से तो नहीं। में तो तुझे देख के जी रही हूँ दुनिया को देख कर नहीं।