उपयुक्त विवेचन का अभिप्राय यह नहीं है कि व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्व असीमित है। सत्य तो यह है कि व्यष्टि अर्थशास्त्र की उपयोगिता केवल कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है।
- व्यष्टि अर्थशास्त्र से संपूर्ण अर्थव्यवस्था की कार्य विधि तथा स्थिति का चित्र प्राप्त नहीं होता जैसा कि प्रो बोर्डिंग ने कहा, "आर्थिक पद्धति की भांति, तथ्यों के एक विशाल और जटिल समूह का, व्यक्तिगत मदों के रूप में वर्णन करना असंभव है"।
- व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण द्वारा प्राप्त निष्कर्ष संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर लागू नहीं होते।
- यह विवेचन पूर्ण रोजगार, पूर्व प्रतियोगिता जैसी अवास्तविक मान्यताओं पर आधारित है। अतः जब मूल मान्यताएं ही गलत हो तो सही निष्कर्षों की आशा कैसे की जा सकती है।
- यह विश्लेषण कुछ आर्थिक समस्याओं के अध्ययन एवं समाधान के लिए पूर्णतः अनुपयोगी है। जैसे- राजस्व, अंतरराष्ट्रीय व्यापार, विदेशी विनिमय, बैंकिंग आदि की समस्याओं का समाधान इस विश्लेषण द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता।
इन सीमाओं के बावजूद व्यष्टि अर्थशास्त्र का आर्थिक विश्लेषण में अपना एक विशेष स्थान है, जिसकी अपेक्षा नहीं की जा सकती।
सूक्ष्म तथा व्यापक अर्थशास्त्र में अंतर
- सूक्ष्म अर्थशास्त्र छोटी-छोटी अथवा व्यक्तिगत इकाइयां का अध्ययन करता है, जाट की व्यापक अर्थशास्त्र इकाइयों के योग अर्थात राष्ट्रीय योगो का अध्ययन करता है।
- व्यापक अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन करता है, जबकि सूक्ष्म अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था के एक अंग का जन करता है।
- व्यापक अर्थशास्त्र योग करने की क्रिया है, जबकि सूक्ष्म अर्थशास्त्र योग को टुकड़ों में तोड़ने की क्रिया है।
- सूक्ष्म अर्थशास्त्र का आधार अन्य बातें समान रही है, जबकि व्यापक अर्थशास्त्र का आधार सामान्य विश्लेषण है।
- सूक्ष्म अर्थशास्त्र रोजगार, उत्पादन तथा आय के वितरण को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के बीच परिवर्तनशील मानता है, जबकि व्यापक अर्थशास्त्र उन्हें स्थिर मानता है।