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जब भी कभी एक ठोस वस्तु को दूसरे ठोस वस्तु पर या किसी शुष्क सतह पर सरकाने या चलाने का प्रयास किया जाता है तो दोनों सतहों के मध्य एक बल उत्पन्न होता है जो जिस दिशा में वस्तु गति कर रही होती है उसके विपरीत दिशा में कार्य करता है व वस्तु को एक दूसरे पर सरकने से रोकने का प्रयास करता है। वह बल जो वस्तु को सरकने या चलने से रोकने का प्रयास करता है, घर्षण बल (Frictional Force) कहलाता है।
घर्षण के प्रकार
- चरम या सीमान्त घर्षण बल (Limiting Friction Force) - दो सतहों के बीच गति प्रदान करने के लिए आवश्यक न्यूनतम बल, चरम या सीमान्त घर्षण बल कहलाता है। यह गति की दिशा के विपरीत कार्य करता है।
- स्थैतिक घर्षण (Static Friction) - जब दो पिण्ड एक दूसरे को स्पर्श करते हुए साम्यावस्था में हों, तो इस स्थिति में उनके स्पर्श बिन्दु पर उत्पन्न घर्षण, स्थैतिक घर्षण कहलाता है।
- गतिक घर्षण (Dynamic Friction) - जब एक पिण्ड, दूसरे पिण्ड पर फिसल रहा हो अर्थात् उनके बीच गति हो, तो ऐसी अवस्था में उनके स्पर्श बिन्दु पर उत्पन्न घर्षण को, गतिक घर्षण कहते हैं।
घर्षण के नियम
- घर्षण बल हमेशा वस्तु की गति की दिशा के विपरीत दिशा में कार्य करता है।
- घर्षण बल हमेशा लगाए गए बाह्य बल के बराबर होता है जो वस्तु को चलाने का प्रयत्न करता है।
- घर्षण बल सम्पर्क सतहों की प्रकृति व स्थिति पर निर्भर करता है परन्तु उनके आकार और क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है।
- सीमान्त घर्षण बल दो सतहों के बीच की अभिलम्ब प्रतिक्रिया के समानुपाती होता है।