हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको जीवोम के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
जीवोम किसे कहते हैं?
‘‘जीवोम’’ शब्द घर का संक्षिप्त रूप है। जहां तक जीवोम की परिभाषा एवं वर्गीकरण का संबंध हैं, वैज्ञानिक इस संदर्भ में एकमत नहीं हैं। जीवोम को एक वृहत् प्राकृतिक पारितंत्र के रूप में परिभाषित किया जा सकता हैं। जिससे हम पौधो औ र जानवरों के समुदायों के कुल संकलन का अध्ययन करते हैं। ‘जीवोम’ को ‘पर्यावास’ भी कहते हैं। किसी जन्तु के पर्यावास , वह स्थान है जहां वह रहता है।
जीवोम को प्रभावित करने वाले कारक
बहुत से कारक हैं जो जीवोम के आकार, स्थिति और उसकी विशेषताओं को प्रभावित करते है। महत्वपूर्ण कारक निम्न प्रकार हैं:-
- दिन के प्रकाश और अंधेरे की अवधि। यह मुख्य रूप से प्रकाश संश्लेषण की अवधि के लिये उत्तरदायी है।।
- औसत तापमान और ताप परिसर- चरम दशाओं को जानने के लिये (दैनिक तथा वार्षिक दोनों)।
- वर्धनकाल की अवधि।
- वर्षण, जिसके अंतर्गत वर्षण की कुल मात्रा एवं समय और तीव्रता के अनुसार इसमें परिवर्तन शामिल हैं।
- पवन प्रवाह गति, दिशा, अवधि और अंतराल सम्मलित हैं।
- मृदा प्रकार।
- ढ़ाल।
- अपवाह।
- अन्य पौधें और पशु जातियाँ।
जीवोम का वर्गीकरण
जलवायु के आधार पर
जिसमें आर्द्रता की उपलब्धता पर विशेष बल दिया जाता है- जहॉं आर्द्रता प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती हैं, वहाँ वन जीवोम की प्रधानता रहती हैं और जहाँ आर्द्रता कम होती हैं वहां मरूस्थलीय जीवोम की। परंतु प्रत्येक जीवोम में तापमान की दशाएॅं भिन्न उच्चावचों (ऊचांइर्यों) और भिन्न अक्षांशों के मध्य भिन्न- भिन्न होती हैं। इसलिये इसके भी कई उपविभाग करने की आवश्यकता होती है इसके आधार पर निम्नांकित उपविभाग किये जा सकते हैं।