हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको जीवाश्म के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
जीवाश्म (Fossils) किसे कहते हैं?
प्राचीन कालीन जीवो के अवशेष, जो आदिकाल में पृथ्वी पर रहते थे, बाद में विलुप्त हो गए, भूपटल की चट्टानों में परिरक्षित (preeserved) मिलते हैं, जीवाश्म (Fossils) कहलाते हैं। जीवाश्म का अध्ययन जीवाश्म विज्ञान या पुराजीव विज्ञान (palaeontology) कहलाता है। इनमें हमें जीव जाति के उव्दिकास क्रम या जाति वृत्त (phylogeny) का ज्ञान होता है।
जीवाश्म की आयु के निर्धारण हेतु तल छठी चट्टानों के स्तरों की आयु का निर्धारण किया जाता है। जिनमें जी वास में मिलते हैं। आयु का निर्धारण चट्टानों में उपस्थित रेडियोधर्मी तत्व और उनके रेडियोधर्मी ताविहीन समस्थानिक तत्वों के अनुपात से किया जाता है। जीवाश्म के आधार पर युगों युगों से जय विकास की एक स्थूल रूपरेखा तैयार की गई है।
जीवाश्म के अध्ययन से निम्नलिखित तथ्य प्रकट होते हैं–
- पृथ्वी पर आदिकाल से आधुनिक काल तक जीवन में निरंतर परिवर्तन होता रहा है।
- आधुनिक जीवन से प्राचीन काल जीवधारी (पादप एवं प्राणी) भिन्न थे।
- ऐसी प्रजातियों को ज्ञान होता है जो कभी जीवित थी, परंतु अब विलुप्त हो गई है।
- ऐसी अनेक जीव धारियों के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं जिनमें दो वर्गों या संघों के लक्षण पाए जाते हैं। इससे यह ज्ञात होता है कि किस प्रकार के जीव धारियों से कौन-कौन से जीवधारी विकसित हुई हैं।
जैसे– आर्कियोप्टेरिक्स (Arechaeopteryx) के जीवाश्म के अध्ययन से ज्ञात होता है कि पक्षियों की उत्पत्ति सरीसृपों से हुई थी।
- आवृत्तबी पौधे और स्तनी वर्ग के प्राणी पृथ्वी पर सबसे अधिक विकसित जीवधारी हैं।
- जीवाश्म की आयु अथवा चट्टानों के विभिन्न स्तरों से प्राप्त जीवाश्म से जीवाश्म से जीव धारियों के भौतिक समय का ज्ञान होता है।