हेलो दोस्तों मेरा नाम भूपेंद्र है। और आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे खाद्य सुरक्षा से आप क्या समझते हैं। तो आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें और ऐसी ही जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएं।
खाद्य सुरक्षा का अर्थ
पिछले 50 वर्षों में देश में खाद्यान्न के उत्पादन मैं आशा जनक वृद्धि हुई है तथा उत्पादन बढ़कर 4 गुने से भी अधिक हो गया है अर्थात खाद्यान्नों का वर्तमान उत्पादन देश में निवास करने वाली जनसंख्या के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। दूसरे शब्दों में खाद्यान्नों का वर्तमान भंडार जनसंख्या का पोषण करने में समर्थ है।
अतः खाद्य सुरक्षा से तात्पर्य जनसंख्या का पोषण करने वाले खाद्य पदार्थों के भंडार अर्थात अर्थात उनकी वर्तमान उपलब्धि से है।
खाद्य सुरक्षा से संबंधित पांच समस्याएं
- देश में खाद्यान्नों के अतिरिक्त विशाल भंडारों के होते हुए भी गरीबी के कारण बड़ी संख्या में लोगों के पास अनाज खरीदने के लिए प्राप्त धन नहीं है।
- भारत में खाद्यान्न तथा दलहनौ के अंतर्गत शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल घटता जा रहा है।
- जनसंख्या में वृद्धि के साथ-साथ खाद्यान्न उत्पादन के घटने से देश के सामने खाद्य सुरक्षा का बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है।
- उर्वरकों, कीटनाशकों और पीड़कनाशको आदि के उपयोग ने कृषि उत्पादन में चमत्कारी वृद्धि की थी, आज उन्हीं के द्वारा मिट्टी की गुणवत्ता कम होने लगी है। वास्तव में, इन रसायनों के उपयोग से मृदा की प्राकृतिक उर्वरता में कमी आती जा रही है।
- कभी-कभी पानी की कमी होने से सिंचित क्षेत्र भी घट जाता है। पानी के कुप्रबंधन ने जला क्रांति और क्षारीयता को बढ़ाया है। मृदा में क्षारीयता के समावेश के कारण उसकी उत्पादकता में कमी आती जा रही है।
इस प्रकार उपयुक्त सभी समस्याओं का प्रभाव खाद्य सुरक्षा पर पड़ा है।इसके साथ ही खाद्यान्न उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है तथा खाद्यान्नों का उत्पादन घट रहा है।