वास्तव में नदियां केवल जल ही प्रदान नहीं करती वरन् यह अपने साथ उपजाऊ मिट्टी, घुले हुए खनिज, मीठा जल और तीव्र वह सस्ता जल यातायात आदि संसाधन अनेक विकल्पों के रुप में साथ लेकर आती है। अतएव नदियों की इसी बहू उपयोगिता के कारण प्रत्येक समाज और सभ्यता इन पर आश्रित रही है।
चाहे वह आखेटक हो या फल संग्रह करने वाले, पशुपालक हो या कृषक सभी रूपों में मानव सभ्यताएं नदियों पर ही निर्भर रही है। मानव सभ्यता के विकास में नदियों के योगदान को देश की अर्थव्यवस्था के विकास के रूप में देखा जाता है। निम्नलिखित कथन इसकी पुष्टि करते हैं-
- कृषि, जिससे मानव को भोजन और पोषक तत्व प्राप्त होते हैं, नदियों के जल के अभाव में उत्पन्न नहीं हो सकती है।
- कृषि कार्य के लिए उपजाऊ भूमि की उपलब्धता नदियों द्वारा ही होती है।
- नदिया मनुष्य के लिए प्राकृति की सड़क है। इनका प्रयोग मनुष्य जल यातायात के रूप में करता है।
- विभिन्न प्रकार के उद्योगों के लिए जल की आपूर्ति और सस्ता यातायात वह बालू मिट्टी नदियों से प्राप्त होती है।
- वाणिज्य, व्यापार या विभिन्न प्रकार के रोजगार के साधन नदियों द्वारा ही विकसित होते हैं।
- सस्ती जल विद्युत का उत्पादन नदियों द्वारा लाये जल को बांध से रोककर ही किया जाता है।
- जल के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के अवसाद वह खनिज नदियां प्रदान करती हैं।
अतएव किसी देश के आर्थिक विकास में नदियों के योगदान कि किसी भी रूप में अवहेलना नहीं की जा सकती है। अनेक प्रकार के आहार उत्पन्न करने वह आर्थिक स्थिति को उन्नत करने में नदियां सदा ही सहायक रहती हैं। यही कारण है नदियों को मानव सभ्यता की जीवन रेखा भी कहा गया है।