नाजीवाद, जिसे नात्सीवाद भी कहा जाता है, 20वीं शताब्दी के मध्य में जर्मनी में उभरा एक राजनीतिक और सामाजिक विचारधारा है। इसका पूरा नाम नात्सीवादी समाजवादी जर्मन वर्कर्स पार्टी (Nationalsozialistische Deutsche Arbeiterpartei, NSDAP) है, जिसे संक्षेप में नाजी पार्टी कहा जाता है। नाजीवाद की स्थापना और प्रमुख व्यक्ति एडोल्फ हिटलर थे, जिन्होंने 1933 से 1945 तक जर्मनी पर शासन किया।
नाजीवाद के मुख्य सिद्धांत
- राष्ट्रवाद और जातीय श्रेष्ठता - नाजीवाद ने जर्मन राष्ट्रवाद और आर्यन जाति की कथित श्रेष्ठता पर जोर दिया। नाजियों का मानना था कि जर्मन लोग अन्य जातियों से श्रेष्ठ हैं और उन्हें अधिकार है कि वे अन्य राष्ट्रों और जातियों पर राज करें।
- एकाधिकारवादी शासन - नाजीवाद ने एक एकाधिकारवादी और तानाशाही शासन की वकालत की, जहाँ सभी सत्ता एक व्यक्ति, विशेष रूप से हिटलर के हाथों में केंद्रित हो।
- अंतर्राष्ट्रीय विस्तारवाद - नाजीवाद ने जर्मनी के लिए "लीबेन्सराउम" या "जीवन स्थान" के विस्तार की नीति अपनाई, जिसका मतलब था कि जर्मनी को अपने लोगों के लिए अधिक भूमि और संसाधनों की आवश्यकता थी।
- यहूदी विरोधी - नाजीवाद में यहूदियों के प्रति गहरी नफरत और भेदभाव शामिल था। नाजियों ने यहूदियों को जर्मनी और विश्व की समस्याओं के लिए जिम्मेदार माना और उनके नरसंहार की नीति अपनाई।
नाजीवाद के प्रभाव
नाजीवाद के प्रभाव ने जर्मनी और पूरी दुनिया पर गहरा असर डाला। द्वितीय विश्व युद्ध, जिसमें लाखों लोगों की मौत हो गई, और होलोकॉस्ट, जिसमें छह मिलियन से अधिक यहूदियों का नरसंहार हुआ, नाजीवाद के सबसे भयावह परिणाम थे। नाजीवाद की विचारधारा और उसके कृत्यों ने विश्व इतिहास में एक काले अध्याय का निर्माण किया है, जिसकी निंदा और अस्वीकार आज भी की जाती है।