neutral point in hindi उदासीन बिंदु क्या है, दोनों चुंबकीय क्षेत्रों के परिणामी चुंबकीय क्षेत्र में कुछ बिंदु ऐसे होते हैं, जहां चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र (magnetic Field) पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के बराबर तथा विपरीत होता है। इन बिंदुओं पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र (resultant magnetic field) शून्य होता है। ऐसे बिंदुओं को उदासीन बिंदु कहते हैं।
उदासीन बिंदुओं से होकर कोई भी क्षेत्र रेखा नहीं गुजरती है। उदासीन बिंदु पर यदि कंपास सुई (compass needle) को रखा जाए तो कंपास बॉक्स के चुंबकीय सुई (magnetic needle) किसी भी स्थिति में ठहर जाती है।
चुंबकीय क्षेत्र के बारे में
दोस्तों हमने उदासीन बिंदु क्या है यह तो जान लिया है तो अब चल देते हैं चुंबकीय क्षेत्र के बारे में भी कुछ जान लेते हैं।
जब हम किसी कंपास की सुई के माध्यम से चुंबकीय बल रेखाएं (magnetic force lines) खींचते हैं, तो यह क्षेत्र रेखाएं वास्तव में चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र तथा पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का परिणामी चुंबकीय क्षेत्र व्यक्त करती है।
पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र तो सभी जगह एकसमान माना जा सकता है, लेकिन चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र, चुंबक के पास अधिक प्रबल होता है तथा जैसे-जैसे चुंबक से दूर हटते जाते हैं, चुंबकीय क्षेत्र क्षीण (weak) हो जाता है।
अतः चुंबक के समीप चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की अपेक्षा प्रबल (strong) होता है, लेकिन जैसे-जैसे चुंबक से दूर हटते जाते हैं। चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र क्षीण होता जाता है तथा पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव बढ़ता जाता है।
उदासीन बिंदु के बारे में
(1) चुंबक का उत्तरी ध्रुव भौगोलिक उत्तर की ओर रखकर क्षेत्र रेखाएं खींचना:- चुंबक के उत्तरी ध्रुव (north Pole) के समीप पेंसिल से एक बिंदु लगाकर कम्पास सुई को इस प्रकार रखते हैं की सुई का दक्षिणी ध्रुव (south pole) इस बिंदु पर पड़े। सुई के उत्तरी ध्रुव पर पेंसिल से एक बिंदु (point) लगा लेते हैं।
अब सुई को खिसकाकर (moved) इस प्रकार रखते हैं कि सुई का दक्षिणी ध्रुव इस बिंदु पर पड़े। पुनः सुई के दूसरे सिरे पर पेंसिल से एक और बिंदु लगा लेते हैं। इस प्रकार, सुई को सरका-सरकाकर कागज पर बिंदु लगाते है, जब तक की सुई चुंबक के दक्षिणी ध्रुव पर ना आ जाए।
(2) चुंबक का उत्तरी ध्रुव भौगोलिक उत्तर की ओर होने पर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं:- अब कम्पास सुई को चुंबक के पास विभिन्न स्थानों पर रखते हुए अनेक क्षेत्र रेखाएं (field lines) खींच लेते हैं। यह क्षेत्र रेखाएं चुंबक का उत्तरी ध्रुव भौगोलिक उत्तर (geographic northern) की ओर रखकर प्राप्त होती है। प्रयोग से हम देखते हैं कि बिंदु P व बिंदु Q के चारों ओर ये क्षेत्र रेखाएं वक्रीय चतुर्भुज (curvilinear quadrilateral) बनाती है।
(3) चुंबक के उत्तरी ध्रुव को भौगोलिक दक्षिण दिशा में रखने पर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं:- जब चुंबक का दक्षिणी ध्रुव, भौगोलिक उत्तर दिशा में होता है, तो उदासीन बिंदु चुंबक की अक्षीय स्थिति (axial position) में अर्थात चुंबक के उत्तर व दक्षिण में उसके केंद्र से दोनों और बराबर बराबर दूरी पर होता है।