हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको समांतर प्लेट संधारित्र के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
संधारित्र के बारे में
parallel plate capacitor in hindi समान ज्यामिति एवं समान क्षेत्रफल की दो धातु प्लेट परस्पर अल्प दूरी पर एक दूसरे के समांतर स्थित हो तो यह व्यवस्था, समांतर प्लेट संधारित्र कहलाती है।
यह संधारित्र एक ऐसी युक्ति है। जिसकी सहायता से चालक के आकार एवं आयतन में बिना परिवर्तन किए उसकी विद्युत धारिता बढायी जा सकती है। इसका उपयोग विद्युत आवेश तथा विद्युत ऊर्जा को संचित करने में किया जाता है।
संधारित्र के प्रकार
संधारित्र निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं। समांतर प्लेट संधारित्र, गोलाकार संधारित्र, बेलनाकार संधारित्र।
समांतर प्लेट संधारित्र
चित्रानुसार समांतर प्लेट संधारित्र प्रदर्शित है जिसमें धातु की दो वर्गाकार या वृत्ताकार प्लेट एक दूसरे के समांतर रखी गई है। दूसरी प्लेट का संबंध पृथ्वी से है। धारिता बढ़ाने के लिए दोनों प्लेटों के बीच परावैद्युत माध्यम जैसे कांच, मोम, अभ्रक आदि भर देते हैं।
चित्रानुसार संधारित्र की दो प्लेटें A तथा B एक-दूसरे के समांतर है जिनके बीच की दूरी D है। प्लेट A को +Q आवेश देने से प्लेट B के समीपवर्ती तल पर आवेश -Q आवेश तथा दूरवर्ती तल पर +Q आवेश उत्पन्न हो जाता है। +Q आवेश का संबंध पृथ्वी से कर देते हैं।
माना दोनों प्लेटों के बीच कोई बिंदु P स्थित है।
प्लेट A के कारण बिंदु P पर तीव्रता E₁ = σ/2E₀k
प्लेट B के कारण बिंदु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E₂ = σ/2E₀k
चूंकि परिणामी तीव्रता E = E₁ + E₂, E = σ/2E₀k + σ/2E₀k,
E = σ + σ/2E₀k, E = 2σ/2E₀k, E = σ/E₀k,
विभवांतर = Va - Vb = E × d, = σd/E₀k, [Q = σ.a] [Q/A = σ] Va - Vb = Qd/AE₀k,
धारिता C = Q/Va - Vb, = Q/Qd/AE₀k, = Q × AE₀k/Q.d,
C = AE₀k/d फैरड
वायु या निर्वात में K = 1, C = AE₀/d फैरड, यही धारिता का व्यंजक है।
धारिता बढ़ाने के लिए
- दोनों प्लेटो का क्षेत्रफल अधिक होना चाहिए।
- तथा दोनों प्लेटो की बीच की दूरी कम होनी चाहिए।
- दोनों प्लेटों के बीच अधिक परावैद्युतांक वाला माध्यम।