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परिनालिका क्या है? | Solenoid in hindi

परिनालिका क्या है? | Solenoid in hindi

Solenoid in hindi परिनालिका क्या है, एक कांच या गत्ते की नली पर तांबे की तार को थोड़ा-थोड़ा अलग कर सर्पिल रूप में लपेट देने से एक प्रकार की व्यवस्था बनती हैं, इस व्यवस्था को परिनालिका कहते हैं।

परिनालिका क्या है?

कागज या गत्ते की बेलनाकार नली लेकर उसके ऊपर तांबे के विद्युतरोधी तार (insulating wire) को लपेटकर एक लंबी कुंडलिनी (kundalini) बना लेते हैं, इसे परिनालिका कहते हैं।

कागज या गत्ते की बेलनाकार नली लेकर उसके ऊपर तांबे के विद्युतरोधी तार (insulating wire) को लपेटकर एक लंबी कुंडलिनी (kundalini) बना लेते हैं, इसे परिनालिका कहते हैं।

यह एक शक्तिशाली छड़ चुंबक (rod magnet) की तरह कार्य करता है। जब इसके चालक में धारा प्रवाहित की जाती है। परिनालिका पर चालक तारों के फेरों की संख्या जितनी अधिक होगी परिनालिका की शक्ति उतनी अधिक होगी। इसमें धारा के दिशा के अनुसार परिनालिका के दोनों छोरों पर क्रमशः उत्तरी ध्रुव (north Pole) तथा दक्षिणी ध्रुव (south pole) का निर्माण होता है।

परिनालिका के कारण चुंबकीय क्षेत्र

मैंने आपको परिनालिका क्या है यह तो बता दिया है आप जान लेते हैं कि परिनालिका के कारण चुंबकीय क्षेत्र के बारे में, तो चलिए जानते हैं।

जब परिनालिका में धारा प्रवाहित की करते है, तो परिनालिका में चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इस चुंबकीय क्षेत्र (magnetic Field) की दिशा समान होती है तथा बाहर के चुंबकीय क्षेत्र एक दूसरे का विरोध करते हैं, इसी कारण से चुंबकीय क्षेत्र का मान बाहरी बिंदुओं पर कम होता है। 

यदि परिनालिका के किसी सिरे को सामने से देखने पर परिनालिका पर लिपटी कुंडली में धारा की दिशा वामावर्त (counter-clockwise) अर्थात घड़ी की सुई के चलने की विपरीत दिशा में है, तो वह सिरा उत्तरी ध्रुव N होगा तथा दूसरा सिरा दक्षिणी ध्रुव S होगा। इसके विपरित, यदि धारा की दिशा दक्षिणावर्त (clockwise) अर्थात घड़ी की सुई के चलने की दिशा में है, तो सामने वाला सिरा दक्षिणी ध्रुव S होगा तथा उत्तरी ध्रुव N होगा

परिनालिका के महत्वपूर्ण तथ्य

  1. धारावाही परिनालिका भी चुंबकीय पदार्थों (magnetic materials) को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है।
  2. इसके सिरो पर ध्रुवता (polarity) परिनालिका में धारा की दिशा उलटने से उलट जाती है।
  3. धारावाही परिनालिका के अंदर चुंबकीय पदार्थ रखने पर उसमें चुंबकीय प्रेरण (magnetic induction) द्वारा चुम्बकत्व उत्पन्न हो जाता है।
  4. परिनालिका का चुम्बकत्व, इसमें प्रवाहित धारा का मान बदलकर बदला जा सकता है।
  5. परिनालिका में धारा का प्रभाव बंद करने पर इसका चुम्बकत्व (magnetism) समाप्त हो जाता है।
  6. धारावाहिक परिनालिका का चुम्बकत्व इसके अंदर लगभग एक समान होता है तथा सिरो पर कम होता है।