वाक्य की परिभाषा
- शब्दों के एक सार्थक समूह को ही वाक्य कहते हैं।
- सार्थक का मतलब होता है अर्थ रखने वाला। यानी शब्दों का ऐसा समूह जिससे कोई अर्थ निकल रहा हो, वह वाक्य कहलाता है। जैसे:
वाक्यों का वर्गीकरण
- रचना के आधार पर
- अर्थ के आधार पर
रचना के आधार पर वाक्य के भेद
रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं:
- सरल वाक्य
- सयुंक्त वाक्य
- मिश्रित/ मिश्र वाक्य-
1. सरल वाक्य
ऐसा वाक्य जिसमे एक ही क्रिया एवं एक ही कर्ता होता है या जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य एवं एक ही विधेय होता है, वे वाक्य सरल वाक्य कहलाते हैं।
उदाहरण:
- रोहन खेलता है।
- मीता दौड़ती है।
- आकाश भागता रहता है।
- श्याम पढ़ाई करता है।
- सीता खाना खाती है।
- संगीता चलती है।
(सरल वाक्य के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें –
2. सयुंक्त वाक्य
ऐसा वाक्य जिसमे दो या दो से अधिक उपवाक्य हो एवं सभी उपवाक्य प्रधान हों, ऐसे वाक्य को सयुंक्त वाक्य कहते हैं।
उदाहरण :
- वह सुबह गया और शाम को लौट आया।
- दिन ढल गया और अन्धेरा बढ़ने लगा।
- प्रिय बोलो पर असत्य नहीं।
- मैंने बहुत परिश्रम किया इसलिए सफल हो गया।
- मैं बहुत तेज़ दौड़ा फिर भी ट्रेन नहीं पकड़ सका।
(संयुक्त वाक्य के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें –
अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भी होते हैं:
- विधानवाचक वाक्य
- इच्छावाचक वाक्य
- आज्ञावाचक वाक्य
- निषेधवाचक वाक्य
- प्रश्नवाचक वाक्य
- विस्मयादिबोधक वाक्य
- संकेतवाचक वाक्य
- संदेहवाचक वाक्य
1. विधानवाचक वाक्य
- ऐसे वाक्य जिनसे किसी काम के होने या किसी के अस्तित्व का बोध हो, वह वाक्य विधानवाचक वाक्य कहलाता है।
- विधानवाचक वाक्यों को विधिवाचक वाक्य भी कहा जाता है।
उदाहरण:
भारत हमारा देश है।
राम ने खाना खा लिया।
राम के पिता का नाम दशरथ है।
राधा स्कूल चली गयी।
मनीष ने पानी पी लिया।
अयोध्या के राजा का नाम दशरथ है।
1-विधानवाचक
जिन वाक्यों में क्रिया के करने या होने की सूचना मिले, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे- मैंने दूध पिया। वर्षा हो रही है।
2-निषेधवाचक
जिन वाक्यों से कार्य न होने का भाव प्रकट होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे- मैंने दूध नहीं पिया। मैंने खाना नहीं खाया।
3-आज्ञावाचक
जिन वाक्यों में आज्ञा, प्रार्थना, उपदेश आदि का ज्ञान होता है, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं; जैसे- बाज़ार जाकर फल ले आओ। बड़ों का सम्मान करो।
4-प्रश्नवाचक
जिन वाक्यों से किसी प्रकार का प्रश्न पूछने का ज्ञान होता है, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे- सीता तुम कहाँ से आ रही हो? तुम क्या पढ़ रहे हो?
5-इच्छावाचक
जिन वाक्यों से इच्छा आशीष एवं शुभकामना आदि का ज्ञान होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं; जैसे- तुम्हारा कल्याण हो। भगवान तुम्हें लंबी उमर दे।
6-संदेहवाचक
जिन वाक्यों से संदेह या संभावना व्यक्त होती है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे- शायद शाम को वर्षा हो जाए। वह आ रहा होगा, पर हमें क्या मालूम। हो सकता है राजेश आ जाए।
7-विस्मयवाचक
जिन वाक्यों से आश्चर्य, घृणा, क्रोध शोक आदि भावों की अभिव्यक्ति होती है, उन्हें विस्मयवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे- वाह-कितना सुंदर दृश्य है। उसके माता-पिता दोनों ही चल बसे। शाबाश तुमने बहुत अच्छा काम किया।
8-संकेतवाचक
जिन वाक्यों में एक का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है। उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे- यदि परिश्रम करोगे तो अवश्य सफल होंगे। पिताजी अभी आते तो अच्छा होता। अगर वर्षा होगी तो फ़सल भी होगी।
रचना के आधार पर वाक्य के भेद
रचना के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं-
सरल वाक्य/साधारण वाक्य
जिन वाक्यों में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उन्हें सरल वाक्य या साधारण वाक्य कहते हैं, इन वाक्यों में एक ही क्रिया होती है; जैसे- मुकेश पढ़ता है। राकेश ने भोजन किया। इसमें कर्ता के साथ उसके विस्तारक विशेषण और क्रिया के साथ विस्तारक सहित कर्म एवं क्रिया-विशेषण आ सकते हैं। जैसे-अच्छा बच्चा मीठा दूध अच्छी तरह पीता है। यह भी साधारण वाक्य है।
संयुक्त वाक्य
दो अथवा दो से अधिक साधारण वाक्य जब सामानाधिकरण समुच्चयबोधकों जैसे- (पर, किन्तु, और, या आदि) से जुड़े होते हैं, तो वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं। ये चार प्रकार के होते हैं।
- संयोजक- जब एक साधारण वाक्य दूसरे साधारण या मिश्रित वाक्य से संयोजक अव्यय द्वारा जुड़ा होता है। जैसे-गीता गई और सीता आई।
- विभाजक- जब साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का परस्पर भेद या विरोध का संबंध रहता है। जैसे-वह मेहनत तो बहुत करता है पर फल नहीं मिलता।
- विकल्पसूचक- जब दो बातों में से किसी एक को स्वीकार करना होता है। जैसे- या तो उसे मैं अखाड़े में पछाड़ूँगा या अखाड़े में उतरना ही छोड़ दूँगा।
- परिणामबोधक- जब एक साधारण वाक्य दसूरे साधारण या मिश्रित वाक्य का परिणाम होता है। जैसे- आज मुझे बहुत काम है इसलिए मैं तुम्हारे पास नहीं आ सकूँगा।
मिश्रित/मिश्र वाक्य
जिन वाक्यों में एक मुख्य या प्रधान वाक्य हो और अन्य आश्रित उपवाक्य हों, उन्हें मिश्रित वाक्य कहते हैं। इनमें एक मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक से अधिक समापिका क्रियाएँ होती हैं, जैसे- ज्यों ही उसने दवा पी, वह सो गया। यदि परिश्रम करोगे तो, उत्तीर्ण हो जाओगे। मैं जानता हूँ कि तुम्हारे अक्षर अच्छे नहीं बनते।
विशेष
- इन वाक्यों में एक मुख्य या प्रधान उपवाक्य और एक अथवा अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं जो समुच्चयबोधक अव्यय से जुड़े होते हैं।
- मुख्य उपवाक्य की पुष्टि, समर्थन, स्पष्टता अथवा विस्तार हेतु ही आश्रित वाक्य आते है।
आश्रित वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
- संज्ञा उपवाक्य।
- विशेषण उपवाक्य।
- क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
1. संज्ञा उपवाक्य- जब आश्रित उपवाक्य किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम के स्थान पर आता है तब वह संज्ञा उपवाक्य कहलाता है। जैसे- वह चाहता है कि मैं यहाँ कभी न आऊँ। यहाँ कि मैं कभी न आऊँ, यह संज्ञा उपवाक्य है।
2. विशेषण उपवाक्य- जो आश्रित उपवाक्य मुख्य उपवाक्य की संज्ञा शब्द अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बतलाता है वह विशेषण उपवाक्य कहलाता है। जैसे- जो घड़ी मेज पर रखी है वह मुझे पुरस्कारस्वरूप मिली है। यहाँ जो घड़ी मेज पर रखी है यह विशेषण उपवाक्य है।
3. क्रिया-विशेषण उपवाक्य- जब आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बतलाता है तब वह क्रिया-विशेषण उपवाक्य कहलाता है। जैसे- जब वह मेरे पास आया तब मैं सो रहा था। यहाँ पर जब वह मेरे पास आया यह क्रिया-विशेषण उपवाक्य है