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प्राचीन सत्ता क्या है?
हड़प्पाई समाज में जटिल फैसले लेने और उन्हें कार्यान्वित करने के संकेत मिलते हैं। उदाहरण के लिए हड़प्पाई पुरावस्तुओं (harappan Antiquities) में असाधारण एकरूपता को ही ले, जैसा कि मृदभाण्डो, मुहरों, बांटो तथा ईंटों से स्पष्ट है।
महत्वपूर्ण बात है कि ईंटे, जिनका उत्पादन स्पष्ट रूप से किसी एक केंद्र पर नहीं होता था, जम्मू से गुजरात तक पूरे क्षेत्र में समान अनुपात (equal ratio) की थी।
पुरातत्वविदों ने यह भी देखा कि रेखा की अलग-अलग कारणों से बस्तियां (colony) विशेष स्थानों पर आवश्यकतानुसार स्थापित की गई थी। इसके अतिरिक्त ईंटे बनाने और विशाल दीवारों तथा चबूतरों के निर्माण के लिए श्रम संगठित (labor organized) किया गया था।
प्रासाद तथा शासक
पुरातत्वविदों ने मोहनजोदड़ो में मिले एक विशाल भवन (huge building) को एक प्रासाद की संज्ञा दी परंतु इससे संबंधित कोई भव्य वस्तुएं (grand items) नहीं मिली है। एक पत्थर की मूर्ति को 'पुरोहित राजा' की संज्ञा दी गई थी और यह नाम आज भी प्रचलित है।
ऐसा इसलिए है कि पुरातत्वविद मेसोपोटामिया के इतिहास (history of mesopotamia) तथा वहां के 'पुरोहित राजाओं' से परिचित थे और यही समानताएं उन्होंने सिंधु क्षेत्र (indus Region) में भी ढूंढी।
जैसा कि हम जानते हैं कि पुरातत्वविदो को पाई गई हड़प्पा सभ्यता (harappan Civilization) अभी तक ठीक तरीके से समझी नहीं जा सकी है और न ही यह रहस्य जानने के साधन उपलब्ध है कि क्या जो लोग इन अनुष्ठानों का निष्पादन करते थे, उन्हीं के पास राजनीतिक सत्ता (political power) होती थी।
कुछ पुरातत्वविद का मत है कि हड़प्पा समाज (harappan society) में शासक ही नहीं थे तथा सभी की सामाजिक स्थिति (social status) समान थी। दूसरे पुरातत्वविद यह मानते हैं कि यहां कोई एक नहीं बल्कि कई शासक थे, जैसे मोहनजोदड़ो, हड़प्पा आदि के अपने अलग-अलग राजा होते थे।
ईंटें, मनके तथा अस्थियां
नियोजित बस्तियों के साक्ष्यों, ईंटों के आकार में निश्चित अनुपात तथा बस्तियों के कच्चे माल के स्त्रोतों (raw material sources) के समीप संस्थापित होने से स्पष्ट है।
अभी तक की स्थिति में अंतिम परिकल्पना सबसे युक्तिसंगत प्रतीत होती है क्योंकि यह कदाचित संभव नहीं लगता है कि पूरे के पूरे समुदायों (communities) द्वारा इकट्ठे ऐसे जटिल निर्णय लिए तथा कार्यान्वित किए जाते होंगे।