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प्रदूषण के प्रकार | types of pollution

प्रदूषण के प्रकार | types of pollution

नमस्कार दोस्तों अगर प्रदूषण के प्रकार जानना चाहते है तो आज के इस लेख में आपको प्रदूषण के प्रकार की सम्पूर्ण जानकारी देने वाला हूँ। उम्मीद हे मेरे द्वारा दी गयी जानकरी आपको अच्छी लगेगी।

प्रदूषण क्या है?

प्रदूषण (Pollution) – मनुष्य के वातावरण में हानिकारक, जीवन नाशक, विषैले पदार्थों ( harmful, life-threatening, toxic substances ) के एकत्रित होने को प्रदूषण कहते हैंप्रदूषण के प्रकार, जैसे – जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण आदि।

प्रदूषण (Pollution) – मनुष्य के वातावरण में हानिकारक, जीवन नाशक, विषैले पदार्थों ( harmful, life-threatening, toxic substances ) के एकत्रित होने को प्रदूषण कहते हैं।

प्रदूषक - वे पदार्थ जो प्रदूषण फैलाते हैं प्रदूषक (pollutant) कहलाते हैं।

जैसे - गैसे, धूल, घुओं, अम्ल ,यूरेनियम, शोर, कार्बनिक पदार्थ (gas, dust, mites, acid, uranium, noise, organic matter) आदि प्रदूषकों की प्रवृत्ति के आधार पर दो वर्गों में विभकत किया गया है -

  1. अनिम्नीकरणीय प्रदूषक - ये प्रदूषक सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित नही हो पाते है। जैसे - शीशा, प्लास्टिक, रेडियोधर्मी पदार्थ, मरकरी, स्मोग गैसे आदि
  2. जैव निम्नीकरणीय प्रदूक - इस प्रकार के प्रदूषकों का सूक्ष्म जीवों द्वारा अपधटन होता है। किन्तु अधिक मात्रा मे जमा होने पर ये भी समस्या उत्पन्न करते है।

पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार के होते है?

प्रदुषण कई प्रकार के होते है - (1) जल प्रदुषण , (2) वायु प्रदुषण , (3) मृदा प्रदूषण, (4) ध्वनि प्रदुषण आदि

जल प्रदूषण किसे कहते हैं?

जल समस्त प्राणियों के जीवन का आधार है। आधुनिक मानव सभ्यता के विकास के साथ जल प्रदूषण की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। औद्योगीकरण के कारण शहरीकरण की प्रवृत्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। जो पहले गांव हुआ हुआ करते थे, वे अब विभिन्न उद्योगों की स्थापना के बाद शहरों में तब्दील हो रहे हैं।

जल समस्त प्राणियों के जीवन का आधार है। आधुनिक मानव सभ्यता के विकास के साथ जल प्रदूषण की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। औद्योगीकरण के कारण शहरीकरण की प्रवृत्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

शहरों में अत्यधिक आबादी होने के कारण फ्लैट निर्माण की प्रवृत्ति बढ़ रही है, ताकि एक फ्लैट में तीन से छह परिवार आसानी से रह सकें। इन फ्लैटों में कम स्थान पर पानी की आवश्यकता अधिक होती है और वहां के भूमिगत जल भंडार पर दवाब बढ़ रहा है। डीप बोरिंग निर्माण करते हुए वहां के भूमिगत जल का दोहन किया जा रहा है।

वायु प्रदूषण किसे कहते हैं?

मनुष्य ने न केवल जल को प्रदूषित किया है, बल्कि अपने विभिन्न क्रियाकलापों एवं तकनीकी वस्तुओं के प्रयोग द्वारा वायु को भी प्रदूषित किया है। वायुमंडल में सभी प्रकार की गैसों की मात्रा निश्चित है। प्रकृति में संतुलन रहने पर इन गैसों की मात्रा में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आता, परंतु किसी कारणवश यदि गैसों की मात्रा में परिवर्तन हो जाता है तो वायु प्रदूषण होता है।

मनुष्य ने न केवल जल को प्रदूषित किया है, बल्कि अपने विभिन्न क्रियाकलापों एवं तकनीकी वस्तुओं के प्रयोग द्वारा वायु को भी प्रदूषित किया है। वायुमंडल में सभी प्रकार की गैसों की मात्रा निश्चित है।

अन्य प्रदूषणों की तुलना में वायु प्रदूषण का प्रभाव तत्काल दिखाई पड़ता है। वायु में यदि जहरीली गैस घुली हो तो वह तुरंत ही अपना प्रभाव दिखाती है और आस-पास के जीव-जंतुओं एवं मनुष्यों की जान ले लेती है। भोपाल गैस कांड इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। विभिन्न तकनीकों के विकास से यातायात के विभिन्न साधनों का भी विकास हुआ है।

भूमि प्रदूषण किसे कहते हैं?

भूमि समस्त जीवों को रहने का आधार प्रदान करती है। यह भी प्रदूषण से अछूती नही है। जनसंख्या वृद्धि के कारण मनुष्य के रहने का स्थान कम पड़ता जा रहा है, जिससे वह वनों की कटाई करते हुए अपनी जरूरत को पूरा कर रहा है। वनों की निरंतर कटाई से न केवल वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है और ऑक्सीजन की मात्रा घट रही है, बल्कि जमीन में रहने वाले जीव-जंतुओं का भी संतुलन बिगड़ रहा है।

भूमि समस्त जीवों को रहने का आधार प्रदान करती है। यह भी प्रदूषण से अछूती नही है। जनसंख्या वृद्धि के कारण मनुष्य के रहने का स्थान कम पड़ता जा रहा है, जिससे वह वनों की कटाई करते हुए अपनी जरूरत को पूरा कर रहा है।

पेड़, भूमि की ऊपरी परत को तेज वायु से उड़ने तथा पानी में बहने से बचाते हैं और भूमि उर्वर बनी रहती है। पेड़ों की निरंतर कटाई से भूमि के बंजर बनने एवं रेगिस्तान बनने की संभावनाएं बढ़ रही हैं। इस प्रकार वनों की कटाई से प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है। प्रकृति के संतुलन में परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण का प्रमुख कारण है। जनसंख्या वृद्धि से अनाज की मांग भी बढ़ गई है।

ध्वनि प्रदूषण किसे कहते हैं?

मानव सभ्यता के विकास के प्रारंभिक चरण में ध्वनि प्रदूषण गंभीर समस्या नहीं थी, परंतु मानव सभ्यता ज्यो-ज्यों विकसित होती गई और आधुनिक उपकरणों से लैस होती गई, त्यों-त्यों ध्वनि प्रदूषण की समस्या विकराल व गंभीर हो गई है। संप्रति यह प्रदूषण मानव जीवन को तनावपूर्ण बनाने में अहम् भूमिका निभाता है। तेज आवाज न केवल हमारी श्रवण शक्ति को प्रभावित करती है, बल्कि यह रक्तचाप, हृदय रोग, सिर दर्द, अनिद्रा एवं मानसिक रोगों का भी कारण है।

मानव सभ्यता के विकास के प्रारंभिक चरण में ध्वनि प्रदूषण गंभीर समस्या नहीं थी, परंतु मानव सभ्यता ज्यो-ज्यों विकसित होती गई और आधुनिक उपकरणों से लैस होती गई, त्यों-त्यों ध्वनि प्रदूषण की समस्या विकराल व गंभीर हो गई है।

औद्योगिक विकास की प्रक्रिया में देश के कोने-कोने में विविध प्रकार के उद्योगों की स्थापना हुई है। इन उद्योगों में चलने वाले विविध उपकरणों से उत्पन्न आवाज से ध्वनि प्रदूषित होती है। विभिन्न मार्गों चाहे वह जलमार्ग हो, वायु मार्ग हो या फिर भू-मार्ग, सभी तेज ध्वनि उत्पन्न करते हैं। वायुमार्ग में चलने वाले हवाई जहाज, रॉकेट एवं हेलीकॉप्टर की भीषण गर्जन ध्वनि प्रदूषण बढ़ाने में सहायक होती है।