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प्रतिरक्षीकरण क्या है?

प्रतिरक्षीकरण क्या है?

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको प्रतिरक्षीकरण के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो। 

प्रतिरक्षीकरण किसे कहते हैं?

प्रतिरक्षीकरण एक जैविक प्रक्रिया है जो संक्रमण, बीमारी या अन्य विषाणुओं के लिए उचित मात्र में जैविक रोगों को रोकने कि क्षमता उत्पन्न करना है। 

प्रतिरक्षीकरण(या टीकाकरण) लोगों को रोग से बचाने के लिए शरीर में एक रोग की शुरुआत करता है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रारंभ करता है, वैसे ही जैसे आप स्वाभाविक रूप से एक बीमारी के संपर्क में थे।

वैक्सीन में एंटीजन या एंटीजन के कुछ हिस्से होते हैं जो बीमारी का कारण बनते हैं, लेकिन टीकों में एंटीजन या तो मारे जाते हैं या बहुत कमजोर हो जाते हैं। टीके काम करते हैं क्योंकि वे आपके शरीर को यह सोचकर चकमा देते हैं कि यह वास्तविक बीमारी द्वारा हमला किया जा रहा है।

शरीर पर वातावरण मैं उपस्थित वायरस, जीवाणु, कवक, परजीवी प्रोटोजोआ तथा अन्य परजीवी जीवो का आक्रमण होता रहता है। यह वायु, जल, खाद्य पदार्थ, संपर्क या अन्य साधनों से शरीर में पहुंचते रहते हैं। इनसे शरीर में रोग उत्पन्न होते हैं। इन रोगाणुओं के संक्रमण से बचने के लिए शरीर में तीन स्तर की सुरक्षा पाई जाती है-

प्रथम रक्षात्मक स्तर 

त्वचा, आहार नाल, स्वास नाल आदि, विभिन्न ग्रंथियों एवं कोशिकाओं से स्रावित रोगाणु नाशक रसायनों द्वारा रोगाणुओं को नष्ट या निष्क्रिय कर दिया जाता है।

द्वितीय रक्षात्मक स्तर

जब रोगाणु प्रथम रक्षात्मक स्तर को पार करके शरीर में पहुंचते हैं तो सुरक्षा का द्वितीय स्तर इनको नष्ट या निष्क्रिय करने का कार्य करता है। इसके द्वारा शरीर को स्वाभाविक या अविशिष्ट सुरक्षा उपलब्ध होती है। श्वेत रुधिराणु रोगाणुओं भक्षण करके उन्हें नष्ट कर देते हैं।

तृतीय रक्षात्मक स्तर या विशिष्ट प्रतिरक्षा

प्रथम एवं द्वितीय रक्षात्मक स्तर की प्रतिरक्षा को पार कर के रोगाणु संक्रमण की स्थिति स्थापित कर देते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार की लिंफोसाइट्स रोगाणुओ को नष्ट करने के लिए प्रतिविष या एंटीबॉडीज बनाकर रुधिर में मुक्त करती है। कुछ लिंफोसाइट्स 'स्मृति कोशिकाओं' (memory cells) के रूप में संचित हो जाती है। प्रतिविष या एंटीबॉडीज रोगाणुओ को नष्ट कर देते हैं। एक बार संक्रामक रोग हो जाने पर दोबारा रोग की संभावना नहीं रहती; क्योंकि पुनः संक्रमण होने की स्थिति मैं स्मृति या स्मरण कोशिकाएं तुरंत एंटीबॉडीज बनाकर रोगाणु को नष्ट कर देती है।इस व्यवस्था के अंतर्गत प्रथम संक्रमण की अपेक्षा द्वितीय संक्रमण शीघ्र समाप्त हो जाता है। यही प्रक्रिया प्रतिरक्षीकरण है। टीकाकरण द्वारा कृत्रिम रूप से रोग के लिए प्रतिरक्षा स्थापित की जाती है।