- प्रश्न 1.‘गाधिसुत' किसे कहा गया है? वे मुनि की किस बात पर मन ही मन मुस्करा रहे वे?
- प्रश्न 2.स्वयंवर स्थल पर शिव धनुष तोड़ने वाले को परशुराम ने किस प्रकार धमकाया?
- प्रश्न 3.परशुराम की स्वभावगत विशेषताएँ क्या हैं? पाठ के आधार पर लिखिए।
- प्रश्न 4.‘साहस और शक्ति के साव विनम्रता से तो बेहतर है- इस कथन पर अपने विचार ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद' पाठ के आलोक में लिखिए।
- प्रश्न 5.लक्ष्मण और परशुराम की चारित्रिक विशेषताओं में आप क्या अंतर पाते हैं? पाठ के आधार पर लिखिए।
- प्रश्न 6.'अयमय खाँड़ न ऊखमय' से क्या अभिप्राय है और यह कथन किसके लिए प्रयुक्त हुआ है।
- प्रश्न 7.लक्ष्मण 'कुम्हड़बतिया' और 'तरजनी' के उदाहरण से अपनी किस बात को सिद्ध करना चाहते हैं और क्यों?
- प्रश्न 8.परशुराम के साथ संवाद के संदर्भ में राम और लक्ष्मण में से किसका व्यवहार आपकी दृष्टि में अधिक प्रशंसनीय है और क्यों ?
- प्रश्न 9.लक्ष्मण के अनुसार बीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ परशुराम में नहीं हैं।
- प्रश्न 10.परशुराम के क्रोध का मूल कारण क्या था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न 11.‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद' के आधार पर लिखिए कि विनम्रता को साहस और शक्ति केसे कहा जा सकता है?
- प्रश्न 12.संकलित अंश में राम का व्यवहार विनयपूर्ण और संयन्न है, लक्ष्मण लगातार व्यंग्य बाणों का उपयोग करते हैं और परशुराम का व्यवहार क्रोध से भरा हुआ है। आप अपने आपको इस परिस्थिति में रखकर लिखें कि आपका व्यवहार कैसा होता?
- प्रश्न 13.अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न 14.दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिए-इस शीर्षक को ध्यान में रखते हुए एक कहानी लिखिए।
- प्रश्न 15.उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।
- प्रश्न 16.अवधी भाषा आज किन-किन क्षेत्रों में बोली जाती है?
प्रश्न 1.‘गाधिसुत' किसे कहा गया है? वे मुनि की किस बात पर मन ही मन मुस्करा रहे वे?
उत्तर:गाघिसुत मुनि विश्वामित्र को कहा गया है। परशुराम आत्मप्रशंसा में विश्वामित्र जी की ओर देखकर रहे थे कि वे उस उद्दंड बालक यानी लक्ष्मण को केवल उनके कारण छोड़ रहे हैं, वरना अपने फरसे से उसका वध करके गुरु के ऋण से उऋण हो जाते। यह कथन द्वारा राम-लक्ष्मण के शीर्य से परशुराम की अनभिज्ञता प्रकट होते देखकर ही विश्वामित्र मन-ही-मन मुस्करा रहे थे।
प्रश्न 2.स्वयंवर स्थल पर शिव धनुष तोड़ने वाले को परशुराम ने किस प्रकार धमकाया?
उत्तर:‘स्वयंवर' स्थल पर शिव धनुष तोड़ने वाले को परशुराम ने धमकाते हुए कहा कि जिसने इस धनुष को तोड़ा है वह अब मेरा शत्रु है। सहस्रबाहु के समान अब उसका विनाश निश्चित है। राम के यह कहने पर कि आपके ही किसी दास ने इसे तोड़ा होगा, परशुराम अत्यंत क्रोधित हो कहने लगे कि दास तो वह होता है, जो सेवा करे। यह तो शत्रु का काम है। इसलिए अन्य सभी राजा स्वतः ही अलग हो जाएँ। क्योंकि धनुष तोड़ने वाले को उनसे अब कोई नहीं बचा सकता।
प्रश्न 3.परशुराम की स्वभावगत विशेषताएँ क्या हैं? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:परशुराम के स्वभाव में अनेक विशेषताएँ दृष्टिगोचर होती हैं-(i) वे अत्यंत क्रोधी थे। उन्हें हर छोटी-सी बात पर गुस्सा आ जाता था और वे सबके समक्ष अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं रख पाते थे।(ii) वे दृढ़ निश्चयी थे। उन्होंने इस पृथ्वी को अपने दृढ़ प्रण के कारण अनेक बार क्षत्रिय विहिन कर दिया था।(ii) वे अत्यंत धीर व शक्तिशाली थे। सभी राजाओं का विनाश करना कोई छोटा कार्य नहीं हो सकता।(iv) वे बाल ब्रह्मचारी व बड़बोले थे। वे अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते थे और बढ़-चढ़ कर उसका बखान करते थे।(v) उनमें विवेक का अभाव था। वे राम-लक्ष्मण को पहचान न सके। अच्छाई और बुराई में अंतर न कर पाए।
प्रश्न 4.‘साहस और शक्ति के साव विनम्रता से तो बेहतर है- इस कथन पर अपने विचार ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद' पाठ के आलोक में लिखिए।
उत्तर:साहस और शक्ति दोनों ही मानव के अच्छे गुण हैं। विनम्रता भी अपने आप में एक महत्वपूर्ण गुण है। यदि व्यक्ति में साहस व शक्ति के साथ विनम्रता भी हो, तो सोने पर सुहागा हो जाता है। राम में ये तीनों ही गुण थे, जबकि परशुराम में साहस व शक्ति तो कूट-कूट कर भरी थी पर विनम्रता नहीं। कोई भी साहसी व्यक्ति विनम्रता को अपनाकर प्रशंसनीय व सबका प्रिय बना सकता है। लेकिन विनम्रता के अभाव में साहस, दुस्साहस में परिवर्तित हो जाता है। विनम्रता, साहस व शक्ति पर अकुश लगाकर उसे उद्दंड होने से रोकती है।
प्रश्न 5.लक्ष्मण और परशुराम की चारित्रिक विशेषताओं में आप क्या अंतर पाते हैं? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस से लिए गए ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ में परशुराम महाक्रोधी, उग्र एवं अति आत्मप्रशंसक यानी अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने वाले मुनि हैं। वे स्वयं को प्रचंड क्रोधी, महापराक्रमी, बाल ब्रह्मचारी एवं क्षत्रिय कुल का घातक बताते हैं। इस बायोलेपन के कारण उन्हें अपने बड़प्पन का भी ध्यान नहीं रहता, तभी वे लक्ष्मण से वाद-विवाद कर बैठते हैं, जबकि बड़प्पन की निशानी यही है कि छोटों के प्रति विनम्र रहा जाए। इसके विपरीत लक्ष्मण के चरित्र में वाक्चातुर्य एवं तर्कशीलता जैसे गुण तो हैं, किंतु इनके साथ-साथ उनमें ज़बान से बड़ों की बराबरी करने का दोष भी है। वे ऐसे-ऐसे व्यंग्य-बाण छोड़ते हैं, जिनसे परशुराम जी क्रोध में उफन पड़ते हैं। इस प्रसंग के आधार पर यह कहना गलत न होगा कि अगर श्री राम जैसेnविनम्र व संयमशील व्यक्ति बीच में न होते और विनम्रता के साथ परशुराम जी से क्षमा-याचना न करते, तो जनक-दरबार किसी अप्रिय घटना का साक्षी बन जाता।
प्रश्न 6.'अयमय खाँड़ न ऊखमय' से क्या अभिप्राय है और यह कथन किसके लिए प्रयुक्त हुआ है।
उत्तर:*अयमय खड़ न ऊखमय' यह कथन मन-ही-मन मुनि विश्वामित्र उस समय सोचते हैं, जब परशुराम बड़बोलेपन में कहते हैं कि वे पलभर में लक्ष्मण को मार डालेंगे। परशुराम को यह कहते देख वे सोचते हैं कि क्रोध में परशुराम जी ने कितनी सरलता से यह कह दिया कि वे अपने फरसे से लक्ष्मण को मार डालेंगे, किंतु उन्होंने यह विचार नहीं किया कि जिस बालक को वे गन्ने के रस की खांड़ समझ रहे हैं, वह लोहे से बना खाँडा यानी तलवार के समान अस्त्र है, जिसे काट पाना इतना सरल नहीं है।
प्रश्न 7.लक्ष्मण 'कुम्हड़बतिया' और 'तरजनी' के उदाहरण से अपनी किस बात को सिद्ध करना चाहते हैं और क्यों?
उत्तर:लक्ष्मण 'कुम्हड़बतिया' और 'तर्जनी' के उदाहरण से ये स्पष्ट करना चाहते हैं कि वे कद्दू के फूल से बने कोमल फल के समान नहीं हैं जो तर्जनी उँगली के दिखाने से ही मुरझा जाएँगे। वे एक शूरवीर और क्षत्रिय वंशी हैं। अतः वे परशुराम के फेंक मारने से उड़ नहीं जाएँगे। वे पर्वत के समान कठोर, अडिग और शक्तिशाली हैं। अतः परशुराम व्यर्थ की डींगें मारकर उन्हें डराने-धमकाने का प्रयास न करें।
प्रश्न 8.परशुराम के साथ संवाद के संदर्भ में राम और लक्ष्मण में से किसका व्यवहार आपकी दृष्टि में अधिक प्रशंसनीय है और क्यों ?
उत्तर:परशुराम के साथ संवाद के संदर्भ में राम और लक्ष्मण में से राम का व्यवहार प्रशंसनीय लगता है क्योंकि राम विनम्र और शांत रहकर ऋषि परशुराम की बातें सुनते हैं, जबकि लक्ष्मण उनकी बातें सुनकर भड़क जाते हैं। लक्ष्मण की बातें परशुराम की क्रोध रूपी अग्नि में घी डालने का काम करती हैं, जबकि राम के शांत वचन और स्वयं को उनका दास बताना अग्नि में पानी डालकर शांत रहने का काम करते हैं। क्रोध किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता है। क्रोधी व्यक्ति अपनी समझ व विवेक खो देता है और आवेश में आकर गलत कदम उठा सकता है। जबकि राम के समान धैर्यवान, मृदुभाषी, शांत व मर्यादा का पालन करना समस्या को समाधान की तरफ़ ले जाता है। अतः राम का व्यवहार ही प्रशंसनीय में स्वीकार्य है।
प्रश्न 9.लक्ष्मण के अनुसार बीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ परशुराम में नहीं हैं।
उत्तर:लक्ष्मण के अनुसार वीर योद्धा की निम्नलिखित विशेषताएँ परशुराम में नहीं हैं-(1) वीरों के समान परशुराम वीरता का प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, केवल उसका बखान कर रहे हैं।(ii) वीर युद्धभूमि में संग्राम कर अपना जौहर दिखाते हैं, न कि सिर्फ डींगें हाँकते हैं।(iii) वीर अपनी प्रशंसा स्वयं नहीं करते हैं। उनकी कथनी और करनी में अंतर नहीं होता है।(iv) वीरों के समान धैर्य व विनयशीलता के गुणों का अभाब भी लक्ष्मण परशुराम में बताते हैं।
प्रश्न 10.परशुराम के क्रोध का मूल कारण क्या था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:परशुराम के क्रोध का मूल कारण शिव धनुष का टूट जाना था। वह धनुष स्वयं परशुराम ने राजा जनक को दिया था। जब राम ने धनुष तोड़ा, तो चारों तरफ़ उनकी प्रशंसा होने लगी थी, परंतु परशुराम इससे क्रोधित हो गए थे। जब उन्होंने धनुष तोड़ने वाले के विषय में पूछा, तो लक्ष्मण ने उनके क्रोध में धी डालने का काम किया। वे कहते हैं कि उनके लिए तो सभी घनुष एक समान हैं। ऐसा इस धनुष में क्या है? जो आप इतना क्रोधित हो रहे हैं। हमने तो बचपन में अनेक घनुष तोड़े हैं। मेरे भैया राम ने तो धनुष पर केवल प्रत्यंचा ही चढ़ाई थी और हाथ लगते ही यह टूट गया। इसमें विशेष क्या है? शिव धनुष के विषय में यह सब सुनकर परशुराम के क्रोध की सीमा नहीं रहती।
प्रश्न 11.‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद' के आधार पर लिखिए कि विनम्रता को साहस और शक्ति केसे कहा जा सकता है?
उत्तर:‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद' कविता के अनुसार विनम्रता के साथ ही साहस और शक्ति का महत्व होता। है। बिना विनम्रता के साहस दुस्साहस बन जाता है और शक्ति निरंकुशता में परिवर्तित हो जाती है। कविता में राम को साहस और शक्ति के साथ विनम्र दिखाया गया है इसलिए वे पूजनीय व श्रेष्ठ हैं, वे अपनी शक्ति का प्रदर्शन बड़प्पन के लिए नहीं करते। जबकि दूसरी तरफ़ परशुराम में भी साहस और शक्ति है। पर वे विनम्र न होकर क्रोधी हैं, जिस कारण वे अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए सभा में भय उत्पन्न करते हैं और लक्ष्मण द्वारा व्यंग्य का पात्र बनते हैं।
प्रश्न 12.संकलित अंश में राम का व्यवहार विनयपूर्ण और संयन्न है, लक्ष्मण लगातार व्यंग्य बाणों का उपयोग करते हैं और परशुराम का व्यवहार क्रोध से भरा हुआ है। आप अपने आपको इस परिस्थिति में रखकर लिखें कि आपका व्यवहार कैसा होता?
उत्तर-राम, लक्ष्मण और परशुराम जैसी परिस्थितियाँ होने पर मैं राम और लक्ष्मण के मध्य का व्यवहार करूंगा। मैं श्रीराम जैसा नम्र-विनम्र हो नहीं सकता और लक्ष्मण जितनी उग्रता भी न करूंगा। मैं परशुराम को वस्तुस्थिति से अवगत कराकर उनकी बातों का साहस से भरपूर जवाब देंगा परंतु उनका उपहास न करूंगा।
प्रश्न 13.अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-छात्र अपने परिचित या मित्र की विशेषताएँ स्वयं लिखें।
प्रश्न 14.दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिए-इस शीर्षक को ध्यान में रखते हुए एक कहानी लिखिए।
उत्तर-
वन में बरगद का घना-सा पेड़ था। उसकी छाया में मधुमक्खियों ने छत्ता बना रखा था। उस पेड़ पर एक कबूतर भी रहता था। वह अक्सर मधुमक्खियों को नीचा, हीन और तुच्छ प्राणी समझकर सदा उनकी उपेक्षा किया करता था। उसकी बातों से एक मधुमक्खी तो रोनी-सी सूरत बना लेती थी और कबूतर से जान बचाती फिरती। वह मधुमक्खियों को बेकार का प्राणी मानता था। एक दिन एक शिकारी दोपहर में उसी पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रुका। पेड़ पर बैठे कबूतर को देखकर उसके मुँह में पानी आ गया। वह धनुषबाण उठाकर कबूतर पर निशाना लगाकर बाण चलाने वाला ही था कि एक मधुमक्खी ने उसकी बाजू पर डंक मार दिया। शिकारी का तीर कबूतर के पास से दूर निकल गया। उसने बाजू पकड़कर बैठे शिकारी को देखकर बाकी का अनुमान लगा लिया। उस मधुमक्खी के छत्ते में लौटते ही उसने सबसे पहले सारी मधुमक्खियों से क्षमा माँगी और भविष्य में किसी की क्षमता को कम न समझने की कसम खाई। अब कबूतर उन मधुमक्खियों का मित्र बन चुका था।
प्रश्न 15.उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।
उत्तर-एक बार मेरे अध्यापक ने गणित में एक ही सवाल के लिए मुझे तीन अंक तथा किसी अन्य छात्र को पाँच अंक दे दिया। ऐसा उन्होंने तीन प्रश्नों में कर दिया था जिससे मैं कक्षा में तीसरे स्थान पर खिसक रहा था। यह बात मैंने अपने पिता जी को बताई। उन्होंने प्रधानाचार्य से मिलकर कापियों का पुनर्मूल्यांकन कराया और मैं कक्षा में संयुक्त रूप से प्रथम आ गया।
प्रश्न 16.अवधी भाषा आज किन-किन क्षेत्रों में बोली जाती है?
उत्तर-अवधी भाषा कानपुर से पूरब चलते ही उन्नाव के कुछ भागों लखनऊ, फैज़ाबाद, बाराबंकी, प्रतापगढ़, सुलतानपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, इलाहाबाद तथा आसपास के क्षेत्रों में बोली जाती है।