हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको साझेदारी के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
साझेदारी किसे कहते हैं?
व्यवसायिक संगठनों के क्रमिक विकास में साझेदारी संगठन द्वितीय प्रारुप है। अधिक पूंजी अधिक नियंत्रण, अधिक विशिष्टीकरण तथा श्रम विभाजन की आवश्यकता ने प्रकल स्वामित्व के स्थान पर साझेदारी व्यवसाय को उद्भव किया है। इसे भागीदारी, भागिता संगठन भी कहते हैं।
साझेदारी सगंठन 2 या 2 से अधिक व्यक्तियों की एक ऐसी संस्था है जिसमें वह अपनी स्वेच्छा किसी निर्धारित व्यवसायिक समझौते के अनुसार वैधानिक व्यवसाय को चलाने, अपना स्वामित्व रखने तथा सामूहिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से निजी धन, सम्पत्ति, श्रम तथा कुशलता का सामूहिक प्रयोग करते हैं।
साझेदारी के गुण
- साझेदारी व्यवसाय की स्थापना एवं समापन आसानी से हो जाता है।
- ग्राहकों से साझेदारों का प्रत्यक्ष रहता है।
- एकाकी व्यवसाय की अपेक्षा अधिक पूंजी के साधन।
- सुविचारित एवं संतुलित निर्णय लिए जाते हैं।
- साझेदारों में परस्पर प्रेम एवं सहयोग की भावना प्रबल होती है।
- किसी भी साझेदार को साझेदारी से हटने की पूर्ण स्वतन्त्रता रहती है।
साझेदारी के दोष
- कई बार साझेदारों में मतभेद, मनमुटाव, संघर्ष तथा झगड़ों के कारण साझेदारी खतरे में पड़ जाती है।
- कम्पनी प्रारुप की तुलना में आर्थिक साधन सीमित और साझेदारी की साख भी सीमित होती है।
- साझेदारी में कई लोगों के होने से गोपनीयता भंग होने का भय रहता है।
- किसी एक साझेदार की बेईमानी या मूर्खता सम्पूर्ण फर्म को संकट में धकेल सकती है।
- साझेदारी का अस्तित्व बड़ा अनिश्चित सा होता है।
- बड़े पैमाने वाले या अधिक जोखिम वाले उपक्रमों के लिए यह प्रारुप अनुपयुक्त रहता है।
- असीमित उत्तरदायित्व से साझेदारों को अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति का भी खतरा रहता है।