हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको समावयवता के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
समावयवता किसे कहते हैं?
दो या दो से अधिक योगिक जिनका अनुसूत्र तथा अणुभार समान होता है परंतु संरचना या त्रिविम में परमाणुओं कि व्यवस्था भिन्न होती है उसे समावयवी कहलाते हैं तथा इस घटना को समावयवता कहते है।
समावयवता के प्रकार
समावयवता के दो प्रकार की होती है, जोकि निम्न प्रकार से हैं -
1.सरचना समावयवता
(क)श्रंखला समावयवता- , वे योगिक जिनके अनुसूत्र समान तथा अणुभार समान परंतु कार्बन परमाणुओ की श्रंखला की लंबाई भिन्न हो उसे श्रंखला समावयवता कहते हैंं।
(ख)स्थिति समावयवता-,वे योगिक जिनके अनुसूत्र समान तथाअणुभार समान परंतु क्रियात्मक समूह की स्थिति बिन हो उसे स्थिति समावयवता कहते हैै।
(ग)क्रियात्मक समावयवता-,वे योगिक जिनके अनुसूत्र समान तथा अणुभार समान परंतु क्रियात्मक समूह भिन्न हो उसे क्रियात्मक समूह समावयवता कहते हैं।
(घ)मध्यवयवता- यह समावयवता उन योगिक में पाई जाती है जिनमें क्रियात्मक समूह कार्बन श्रंखला के मध्य होता है उसे मध्यवयवता कहते हैं।
(ड)चलावयवता-यह समावयवता उन योगिक में पाई जाती है जिनके पास दो क्रियात्मक समूह गतिक साम्य में रहते हैं उससे चलावयवता कहते है।
2.त्रिविम समावयवता
दो या दो से अधिक योगिक जिनका अनुसूत्र तथा अणुभार समान होता है परंतु त्रिविम ने परमाणु की व्यवस्था भिन्न होती है उसे त्रिविम समावयवी कहलाते है।
(क)विन्यासी समावयवता- इस समावयवता में एक विन्यास को दूसरे विन्यास में बदलने के लिए बंध को तोड़ना पड़ता है।इस समावयवता में अधिक उर्जा की आवश्यकता होती है।
(ख)संरूपण समावयवता- इस समावयवता में एक विन्यास को दूसरे विन्यास में बदलने के लिए बंद को घुमाया जाता है।जिसमें कम ऊर्जा की आवश्यकता होती हैै।