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समानता किसे कहते हैं? | परिभाषा | प्रकार | विशेषताएं

समानता किसे कहते हैं? | परिभाषा | प्रकार | विशेषताएं

भारतीय संविधान सब व्यक्तियों को समान मानता है इसका अर्थ है कि देश के व्यक्ति चाहे वह पुरुष हो या स्त्री किसी भी जाति धर्म शैक्षिक और आर्थिक पृष्ठभूमि से संबंध रखते हो वह सब समान माने जाएंगे लेकिन इसके बाद भी हम यह नहीं कह सकते कि असमानता खत्म हो गई हैया खत्म नहीं हुई है लेकिन फिर भी कम से कम भारतीय संविधान में सब व्यक्तियों की समानता के सिद्धांत को माननीय किया गया है।

समानता का अर्थ

समानता का मतलब एक दूसरे लोगो को समान अवसर उपलब्ध कराना है। अर्थात सभी लोगों की एक समान अधिकार मिलना ही समानता कहलाता है।

समानता की परिभाषा | Definition of Social Equality?

समानता का अर्थ किसी समाज की उसप्रतिष्ठा स्थिति से है, जिसमें सभी लोग समान अधिकार या रखते हैं  हर किसी को एक समान अधिकार मिलें। इसके तहत सुरक्षा, मतदान का अधिकार, भाषण की स्वतंत्रता, एकत्र होने की स्वतंत्रता, संपत्ति का अधिकार है।

समानता का अर्थ किसी समाज की उसप्रतिष्ठा स्थिति से है, जिसमें सभी लोग समान अधिकार या रखते हैं  हर किसी को एक समान अधिकार मिलें।

समानता के प्रकार व स्वरूप | Types and forms of Social equality?

समानता के निम्नलिखित प्रकार व स्वरूप होते हैं।

  • प्राकृतिक समानता ( natural equality )
  • नागरिक समानता ( civil equality )
  • राजनीतिक समानता ( political equality )
  • आर्थिक समानता ( economic equality )
  • कानूनी समानता ( legal equality )
  • सामाजिक समानता ( social equality )
  • नैतिक समानता ( moral equality )

समानता की विशेषताएं | Features of Social equality 

  • आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति
  • प्रगति के समान अवसर
  • विशेष अधिकारों की अनुपस्थिति
  • समानता एक सकारात्मक पक्ष हैं।
  • समानता सभी के लिए बराबर होते हैं।

भारतीय संविधान में समानता के अधिकार का स्थान | Right to equality in Indian constitution

  • विधि के समक्ष समानता का अधिकार
  • धर्म मूल वंश जाति दुनिया जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध
  • लोग नियोजन के विषय में अवसर की समानता का अधिकार
  • अस्पृश्यता का अंत
  • उपाधियो का अंत