सल्फ्यूरिक अम्ल क्या है? इसे बनाने की विधि- जितने भी अम्लों की खोज की गई है उनमें से सबसे प्रमुख सल्फ्यूरिक अम्ल का स्थान है और इसका उपयोग बहुत से रासायनिक उद्योगों में किया जाता है। यह माना जाता है कि किसी भी देश की उन्नति शीलता का अनुमान उस देश की सल्फ्यूरिक अम्ल की खपत से ही लगाया जाता है।
सल्फ्यूरिक अम्ल क्या है?
तो दोस्तों जान लेते हैं कि सल्फ्यूरिक अम्ल क्या है, सल्फ्यूरिक अम्ल को रसायनों का राजा भी कहा जाता है तथा इसे कसीस का तेल भी कहा जाता है, क्योंकि सबसे पहले इसे हरा कसीस के आसवन से प्राप्त किया गया था।
यह स्पेन के रायो टिंटो नामक नदी में मुक्त सल्फ्यूरिक अम्ल काफी मात्रा में मिलता है। यह नदी के पानी के आयरन पाइराइट के संपर्क में आने के कारण होता है।
सीस कक्ष विधि द्वारा सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण
दोस्तों आपको मैंने सल्फ्यूरिक अम्ल क्या है इसके बारे में बता दिया है अब जान लेते है कि इसको बनाने की विधि क्या है।
सीस कक्ष विधि में सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण निम्नलिखित पदों में होता है।
(1) सल्फर डाइऑक्साइड का निर्माण- आयरन पाइराइट अयस्क (FeS₂) को वायु के साथ गर्म करने पर अथवा सल्फर को वायु में दहन करके SO₂ का निर्माण किया जाता है।
4FeS₂ + O₂ → 2Fe O₃ + SO₂ या S (सल्फर) + O₂ → SO₂
(2) सल्फर डाइऑक्साइड का सल्फर ट्राईऑक्साइड में परिवर्तन-
SO₂ को NO₂ की उपस्थिति में वायु द्वारा ऑक्सीकृत कर सल्फर ट्राईऑक्साइड का निर्माण किया जाता है।
2SO₂ + O₂ →NO₂→ 2SO₃ (सल्फर ट्राईऑक्साइड)
(3) सल्फर ट्राईऑक्साइड का सल्फ्यूरिक अम्ल में परिवर्तन- SO₂ को जल के साथ अभिक्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल का निर्माण किया जाता है।
SO₃ + H₂O → H₂SO₄ (सल्फ्यूरिक अम्ल)
बनाने की विधि
(1) पाइराइट भट्टी- इसमें सल्फर तथा आयरन पाइराइट को ऑक्सीजन के साथ जलाकर SO₂ प्राप्त करते हैं।
S + O₂ → SO₂ या FeS₂ + O₂ → Fe₂O₃ + SO₂
(2) नाइटर पात्र- पाइराइट वर्नर से आने वाली गैसों को नाइटर पात्र के उपर से गुुुुजारते है। इन नाइटर पात्रों में NaNo₂ तथा सांद्र H₂SO₄ का मिश्रण भरा होता है। ये मिश्रण HNo₃ की वाष्प तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड का निर्माण करते हैं।
NaNo₂ + H₂SO₄ → NaHSO₄ + HNo₃ (वाष्प), 2HNO₃ + SO₂ → 2NO₂ + H₂SO₄
(3) ग्लोवर स्तंभ- नाइटर पात्र से गैसीय मिश्रण को ग्लोवर टावर में निचले सिरे से प्रवेश कराते हैं। इस स्तंभ में क्वार्ट्ज के टुकड़े भरे होते हैं तथा गर्म गैसे ऊपर की ओर उठती है। इसमें एक टंकी से नाइट्रोसिल हाइड्रोजन सल्फेट तथा तनु अम्ल (H₂SO₄) टपकता रहता है।
2NOHSO₄ + H₂O → 2N₂SO₄ + NO + NO₂
(4) सीस कक्ष या लेड कक्ष- यह कक्ष सिसे द्वारा निर्मित होता है तथा ग्लोवर स्तंभ से प्राप्त गैैसीय मिश्रण इन कक्षो में पहुंचता है, जिसमें ऊपर से जलवायु छोड़ते हैं जो गैसीय मिश्रण के साथ क्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल (H₂SO₄) का निर्माण करता है। इस प्रकार कक्षों से निर्मित सल्फ्यूरिक अम्ल को ग्राही एकत्रित कर लेते हैं।
(5) गैलुसैक स्तंभ- सीस कक्षों से निकलने वाली अपशिष्ट गैसों को गैलुसैक स्तंभ में भेज दिया जाता है तथा इस स्तंभ में कोक भरा होता है। ऊपर से ठंडे सल्फ्यूरिक अम्ल को बूंद-बूंद करके गिराते हैं।यह अम्ल नाइट्रोजन के ऑक्साइड से क्रिया करके नाइट्रोसिल सल्फ्यूरिक बना लेता है तथा जिसे पुनः ग्लोवर में भेज दिया जाता है।
NO₂ + NO + 2H₂SO₄ → 2(NO.HSO₄) + H₂O
सल्फ्यूरिक अम्ल के भौतिक गुण
- सल्फ्यूरिक अम्ल रंगहीन, संक्षारक और तेल जैसा गाढ़ा द्रव है।
- यह अम्ल नम वायु में धुआ देता है।
- सल्फ्यूरिक अम्ल जल में पूर्ण मिश्रणीय है।
सल्फ्यूरिक अम्ल के उपयोग
- सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग खाद बनाने जैसे अमोनियम सल्फेट, कैल्शियम सुपर-फास्फेट आदि बनाने में किया जाता है।
- इस अम्ल का उपयोग धावन सोडा और फास्फोरस के निर्माण में किया जाता है।
- सल्फ्यूरिक अम्ल का कपड़ा, कागज तथा रंजक बनाने के उद्योगों में भी उपयोग होता है।
- इसका उपयोग बैटरी बनाने में भी करते हैं।
- यह अम्ल को पेट्रोलियम साफ करने के काम में भी लिया जाता है।
अंतिम निष्कर्ष- आज मैंने आपको इस लेख के माध्यम से बताया कि सल्फ्यूरिक अम्ल क्या है और यह किस काम में उपयोग में आता है। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आती है तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करें और हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन अवश्य करें जी धन्यवाद।