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तत्वों के निष्कर्षण एवं सिद्धांत क्या है?

तत्वों के निष्कर्षण एवं सिद्धांत क्या है?

तत्व निष्कर्षण: तत्व वह शुद्ध पदार्थ है जो एक ही प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बना होता है जैसे सोना, चांदी, तांबा आदि।

तत्व के निष्कर्षण

खनिजों या अयस्कों से शुद्ध धातु प्राप्त करना तत्वों का तत्व निष्कर्षण कहलाता है।

खनिज

पृथ्वी के अंदर से निकलने वाले समस्त पदार्थ को खनिज कहते हैं। जैसे- Nacl, CaCO₃ आदि।

अयस्क

ऐसे खनिज जिनसे कम खर्च में आसानी से धातु प्राप्त की जा सकती है, अयस्क कहलाते हैं। जैसे- एलुमिनियम का अयस्क बॉक्साइट और कॉपर का अयस्क कॉपर पाइराइट

खनिजों या अयस्कों से शुद्ध धातु प्राप्त करना तत्वों का तत्व निष्कर्षण कहलाता है।

अयस्कों का सांद्रण

  1. रेत, मिट्टी आदि का अयस्कों से निष्कर्षण का प्रक्रम अयस्क सांद्रण प्रसाधन अथवा सज्जीकरण कहलाता है।
  1. द्रविय धावन- 1. यह विधि अयस्क अथवा गैंग कणों के आपेक्षित घनलो के अंतर पर निर्भर करती है।
  2. यह गुरुत्वीय पृथक्करण का एक प्रकार है।
  3. धोने के समय बढ़ती हुई तेज जलधारा से धोया जाता है। हल्के गैंग के कण जल के साथ बाहर निकल जाते हैं तथा भारी अयस्क के कण रह जाते हैं।

धातुकर्म

वे समस्त भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाएं जिनके द्वारा अयस्क से शुद्ध धातु प्राप्त की जाती है, वह धातुकर्म कहलाता है।

कुछ धातु के प्रमुख अयस्क

  • एल्यूमीनियम- बॉक्साइट (Al₂O₃.H₂O) एलुमिना (Al₂O₃)
  • आयरन- हेमेटाइट (Fe₂O₃) मैग्नेटाइट (Fe₃O₄) आयरन पाइराइट्स (FeS₂)
  • कॉपर- कॉपर पायराइट (CuFeS₂) क्यूपराइट (Cu₂O) कॉपर ग्लास (Cu₂S)
  • जिंक- जिंक ब्लेण्डी (ZnS), जिंकाइट (ZnO), कैलेमाइन (ZnCO₃)

धातुओं की उपलब्धता

  1. धातुओं में एलुमिनियम की बाहुल्यता अधिकतम है।
  2. यह भूपर्ट्टी में सर्वाधिक पाया जाने वाला तीसरा तत्व है।
  3. भूपर्ट्टी में सबसे अधिक पाई जाने वाली तीसरा दूसरी धातु लोहा अयस्क है।
  4. एलुमिनियम आयरन कॉपर तथा जिंक के मुख्य अयस्क है।

ऑक्साइड का धातु में अपचयन

  1. धातु ऑक्साइड के अपचयन में इसे किसी दूसरे पदार्थ के साथ गर्म किया जाता है।
  2. अपचायक जैसे कार्बन, धातु ऑक्साइड की ऑक्सीजन के साथ संयोग करते हैं।
  3. कुछ धातु ऑक्साइड आसानी से अपचयित होते हैं, जबकि दूसरो को अपचयित करना कठिन होता है।
  4. अपचयन का अर्थ इलेक्ट्रॉन प्राप्ति या इलेक्ट्रॉनिककरण होता है।
  5. किसी भी स्थिति में इन्हें गर्म करने की आवश्यकता होती है।
  6. तापीय अपचयन पायो धातुकर्म में आवश्यक तापक्रम परिवर्तन को समझने तथा इस प्रागुक्त के लिए कोनसा तत्व दिए गए धातु ऑक्साइड के अपचयन के लिए अपचायी कर्मक के रूप में उपयुक्त होगा, गिब्ज ऊर्जा से अर्थ निर्णय किए जाते हैं।

अयस्क को पीसना

अयस्क को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ कर क्रेशर मील में डाल देते हैं, जहां यह पीस आता है और इसका चूर्ण बन जाता है।

फेन प्लवन विधि

इस विधि से सल्फाइड अयस्कों का सांद्रण किया जाता है। इसमें एक बड़ा टैंक होता है जिसमें अयस्कों को का चूर्ण डालकर जल से भर देते हैं। थोड़ी मात्रा में चीड़ का तेल और पोटेशियम एथिल जैन्येट मिला देते है और वायु की तेज धारा प्रवाहित करते हैं। तो धुल मिट्टी आदि के कण पेंदी पर बैठ जाते हैं और शुद्ध अयस्क फेन या झाग के रूप में ऊपर आ जाता है, जिसे हम छिद्रित चम्मचो से निकाल लेते हैं।

गुरुत्वीय पृथक्करण विधि

इस विधि द्वारा ऐसे अयस्कों का सांद्रण किया जाता है, जिनका घनत्व अधिक होता है। पिसे हुए अयस्क को जल की तेज धारा में गिराया जाता है। तो धूल मिट्टी आदि के कण पानी की धारा में बह जाते हैं, जबकि अयस्क पेंदी में बैठ जाता है, यह विधि गुरुत्वीय पृथक्करण विधि कहलाती है।

चुंबकीय पृथक्करण विधि

इस विधि द्वारा चुंबकीय पदार्थों का सांद्रण किया जाता है। इसमें दो चुंबकीय पुलिया होती हैं, जिन्हें बेल्ट द्वारा घुमाते रहते हैं। ऊपर से पिसे हुए अयस्क को गिराते हैं तो चुंबकीय अयस्क पुली के नीचे ढेरियों के रूप में एकत्र हो जाता है। जबकि धूल मिट्टी आदि के कण दूर छिटक जाते हैं।

निस्तापन

सांद्रित अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में उसके गलनांक से गलनांक से नीचे ताप पर गरम करना निस्तापन कहलाता है। निस्तापन के परिणामस्वरूप वाष्पशील अशुद्धियां दूर हो जाती हैं।