हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको उपभोक्ता व उत्पादक के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो। जीवमण्डल में दो प्रकार के प्राणी वास करते हैं-
उपभोक्ता किसे कहते हैं?
उपभोक्ता अपने भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं। इन्हें परपोषी भी कहा जाता है। इनकी चार श्रेणियाँ हैं-
- शाकाहारी या प्राथमिक उपभोक्ता - हिरन एवं खरगोश।
- मांसाहारी या गौण उपभोक्ता – शेर एवं चीता।
- सर्वाहारी या सर्वभक्षी उपभोक्ता - मनुष्य।
- अपघटक या अपरदभोजी उपभोक्ता - जीवाणु, कवक, दीमक आदि।
इस प्रकार अपघटक जीवों द्वारा जैव पदार्थों को अजैव पदार्थों में परिणत कर दिया जाता है। इन अजैव पदार्थों को सौर ऊर्जा की सहायता से पेड़ - पौधे पुन : अपना भोजन बना लेते हैं।
हिरन, खरगोश आदि पेड़ - पौधों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं जबकि शेर एवं चीता, हिरन, खरगोश आदि को खा जाते हैं। मनुष्य अपना भोजन पेड़ - पौधों एवं गौण उपभोक्ताओं से प्राप्त करता है। इस प्रकार यह क्रम अबाध गति से चलता रहता है तथा चक्रीय प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है।
उत्पादक किसे कहते हैं?
उत्पादक वे जीव हैं, जो भौतिक पर्यावरण से अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। इन्हें स्वपोषो जीव भी कहते हैं। हरे पेड़ - पौधे तथा सभी प्रकार की वनस्पति प्राथमिक उत्पादक हैं। महासागरीय जल में पादप , प्लवक प्राथमिक उत्पादक हैं, क्योंकि वे सौर ऊर्जा का उपयोग कर अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं।