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हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में अंतर के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
वायवीय श्वसन
- ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है।
- ग्लूकोस के पूर्ण ऑक्सीकरण के फल स्वरुप CO2 वह जल बनता है।
- सभी जीवो में सामान्य रूप से पाया जाता है।
- ग्लाइकोलिसिस को छोड़कर सभी क्रियाएं माइट्रोकांड्रिया में होती हैं।
- ऊर्जा की काफी मात्रा निरमुक्त होती है।
- निरमुक्त ऊर्जा के अनुबंध फलस्वरूप एक अणू ग्लूकोज 38 एटीपी अणु प्राप्त होते हैं।
अवायवीय श्वसन
- ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है।
- पूर्ण ऑक्सीकरण नहीं हो पाता अतः एल्कोहाल या लैक्टिक अम्ल तथा CO2 बनती है।
- केवल कुछ पौधों, कुछ जंतुओं में या उनके विशेष ऊतकों में होता है।
- सभी प्रकार की क्रियाएं कोशिका द्रव्य में होती है।
- ऊर्जा की बहुत कम मात्रा सामान्यतः 21-24 किलोकैलोरी उत्पन्न होती है।
- एक अणु ग्लूकोज से केवल 2 एटीपी और प्राप्त होते हैं।
अवायवीय श्वसन क्रिया यीस्ट जैसे कवक तथा कुछ जीवाणुओं में होती है। मांस पेशियों में ऑक्सीजन के अभाव में लैक्टिक अम्ल बनता है।