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विश्व पर रूसी क्रांति के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।

विश्व पर रूसी क्रांति के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको रूसी क्रांति के प्रभाव के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।

रूसी क्रांति

रूसी क्रांति बीसवीं सदी के इतिहास की केंद्रीय घटना थी। यह शीत युद्ध के रूप में अपने चरमोत्कर्ष तक पहुँचे विचार धारात्मक संघर्ष के युग में घटित हुई। और एक ‘विशेषरूप से राजनीतिकरण कर दी गई। ऐतिहासिक घटना के रूप में विधमान रही।

1991 में सोवियत संघ के विघटन मात्रा ने ही अंतत: रूसी क्रांति को एक ऐतिहासिक तथ्य के रूप में रूपांतरित किया। 1917 की रूसी क्रांति वस्तुत: जारशाही रूस में घटनाओं की एक श्रृंखला को संदर्भित है जो 1917 में सोवियत राज्य की स्थापना के साथ अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंची जिसे सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ ;यूनियन आपफ सोवियत सोशलिस्ट रिपबिलक – यूएसएसआरद्ध के नाम से जाना गया।

रूसी क्रांति बीसवीं सदी के इतिहास की सर्वाèािक केंद्रीय घटना थी। यह शीत युद्ध के रूप में अपने चरमोत्कर्ष तक पहुँचे विचार धारात्मक संघर्ष के युग में घटित हुई।

1917 की दो सपफलतापूर्ण क्रांतियां सामूहिक रूप से रूसी क्रांति को संदर्भित हैं। पहली क्रांति ने निरंकुश षारशाही राजतंत्रा को उखाड़ फैंका। 

रूस और विश्व पर रूसी क्रांति का प्रभाव

  • बोल्शेविक दल द्वारा रूस में सामाजिक वर्गीय मतभेदों से उत्पन्न अन्यायपूर्ण स्थिति से सुरक्षा प्रदान करने हेतु विभिन्न प्रयास किए गए और ये कुछ हद तक सफल भी हुए।
  • इस क्रांति के माध्यम से एक छोटे क्रांतिकारी समूह ने 300 वर्षों से सत्तासीन एक राजवंश का अंत किया और सत्ता प्राप्त की। ज़ार को पीपुल्स कमिश्नर काउंसिल के गठन द्वारा प्रतिस्थापित किया गया और निजी स्वामित्व को समाप्त कर दिया गया।
  • इसने अर्थव्यवस्था, समाज और सरकार के क्षेत्रों में पहली बार उत्पादन और शासन के सामंती एवं पूंजीवादी तरीकों का विकल्प प्रदान किया।
  • साम्यवादी आंदोलन का विश्व भर में प्रसार प्रारंभ हुआ, जिसने पूंजीवादी विश्व के समक्ष भय का संचार किया। हालांकि साम्यवाद अधिक स्थायी नहीं रहा, क्योंकि विश्व में यदि इसका कहीं अस्तित्व रहा तो वह रूसी क्रांति (बीसवीं शताब्दी की एक प्रमुख घटना) ही थी, जिसने इसे मूर्त रूप दिया था।
  • यह आर्थिक और सरकारी प्रतिष्ठानों के मॉडल के संदर्भ में, आमूलचूल परिवर्तन की स्थिति थी। इसे कमजोर वर्गों के लिए अधिक समतावादी शासन के रूप में देखा गया। इसने न केवल रूस में बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में साम्राज्यवाद विरोधी भावनाओं, विऔपनिवेशीकरण और समाजवादी संक्रमण को बढ़ावा दिया।