बैंक हमारे आधुनिक आर्थिक जीवन की एक महत्वपूर्ण संस्था है। सामान्यतः बैंक को रुपैया जमा करने व ऋण देने वाली संस्था के नाम से जाना जाता है। परंतु आधुनिक समय में बैंक के कार्यों का अत्याधिक विस्तृत हो गया है। इसलिए बैंक की परिभाषाएं विस्तृत हो गई हैं। बैंक को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है-
बैंक वह व्यक्ति अथवा संस्था है जो मृदा और साख में व्यवसाय करती है, जहां जमा धन का संरक्षण और निर्गमन होता है। तथा ऋण एवं कटौती की सुविधाएं प्रदान की जाती हैऔर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने की व्यवस्था की जाती है।
बैंक के कार्य
एक आधुनिक बैंक निम्नलिखित कार्य संपन्न करता है-
1-जमा पर रुपया प्राप्त करना
व्यापारिक बैंक का मुख्य कार्य जनता की बचत को एकत्रित करना तथा उसे उन लोगों के लिए उपलब्ध करना है, जो उसका उचित उपयोग करना चाहते हैं। बैंक में रकम जमा करने के लिए प्राय पांच प्रकार के खाते खोले जाते हैं-
1-चालू खाता,
2-सावधि जमा खाता,
3-बचत खाता
4-ग्रह बचत खाता
5-आवर्ती जमा खाता
2-ऋण देना
व्यापारिक बैंक का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य अपने ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऋण देना है। बैंक के सामने तो पांच प्रकार की ऋण प्रदान करते हैं।
1-ऋण तथा अग्रिम धन,
2-नगद साख,
3-अधिविकर्ष,
4-बिलों का भुगतान,
5-धनराशि का सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश।
3-विनिमय का सत्ता माध्यम
बैंक समाज को सस्ते तथा सुविधाजनक विनिमय का माध्यम प्रदान करते हैं। इसके प्रमुख उदाहरण चेक तथा नोट है।
4-मुद्रा का स्थानांतरण
अपनी विभिन्न शाखाओं के माध्यम से बैंक मुद्रा को देश के एक भाग से दूसरे भाग को भेजने की सुविधाएं देते हैं। बैंक जो कार्य ड्राफ्ट या अकाउंट ट्रांसफर द्वारा करते हैं।
5-अभिकर्ता संबंधी कार्य
- ग्राहकों द्वारा भेजे गए चेक, विनिमय विपत्र आदि साख-पत्रों का भुगतान करना।
- ग्राहकों के बीमे की प्रीमियम, चेकों का भुगतान करना तथा ग्राहकों के बिल स्वीकार करना।
- अपने ग्राहकों की ओर से लाभांश, ब्याज, किराया, ऋण की किस्त आदि का भुगतान करना।
- अपने ग्राहकों की संपत्ति के प्रबंधक, ट्रस्टी अथवा व्यवस्थापक का कार्य करना।
6-विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के विकास के लिए कुछ व्यापारिक बैंक विदेशी विनिमय का क्रय विक्रय करते हैं यह कार्य उन्हें केंद्रीय बैंक द्वारा सौंपा जाता है।
7-साख निर्माण कार्य
अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से आधुनिक बैंक अपनी पूंजी तथा जमा राशि की कुल मात्रा से अधिक ऋण देते हैं। इस प्रकार के बैंक साख निर्माण करते हैं।