हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको कृषि के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि
जिस प्रकार की खेती से केवल इतनी उपज होती हो कि उससे परिवार का पेट भर सके तो उसे प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि कहते हैं। इस प्रकार की खेती जमीन के छोटे टुकड़ों पर की जाती है। इसमें आदिम औजार और परिवार या समुदाय के श्रम का इस्तेमाल होता है।
यह मुख्यतया मानसून पर और जमीन की प्राकृतिक उर्वरता पर निर्भर करती है। इस प्रकार की कृषि में किसी स्थान विशेष की जलवायु के हिसाब से ही किसी फसल का चुनाव किया जाता है।इसे ‘कर्तन दहन खेती’ भी कहा जाता है। ऐसा करने के लिये सबसे पहले जमीन के किसी टुकड़े की वनस्पति को काटा जाता और फिर उसे जला दिया जाता है।
वनस्पति के जलाने से राख बनती है उसे मिट्टी में मिला दिया जाता है। उसके बाद फसल उगाई जाती है।किसी जमीन के टुकड़े पर दो चार बार खेती करने के बाद उसे परती छोड़ दिया जाता है। उसके बाद एक नई जमीन को खेती के लिये तैयार किया जाता है। इस बीच पहले वाली जमीन को इतना समय मिल जाता है कि प्राकृतिक तरीके से उसकी खोई हुई उर्वरता वापस हो जाती है।
गहन जीविका कृषि
जब कृषि बड़े भूभाग पर होती है और सघन आबादी वाले क्षेत्रों में होती है तो उसे गहन जीविका कृषि कहते हैं। इस प्रकार की कृषि में जैव रासायनिक निवेशों और सिंचाई का अत्यधिक इस्तेमाल होता है।
गहन जीविका कृषि की समस्याएँ: पीढ़ी दर पीढ़ी जमीन का बँटवारा होने लगता है। इससे जमीन का आकार छोटा होता चला जाता है। छोटे आकार के भूखंड से होने वाली पैदावार लाभप्रद नहीं रह जाती है। इसके फलस्वरूप किसानों को रोजगार की तलाश में पलायन करना पड़ता है।
वाणिज्यिक कृषि
जब खेती का मुख्य उद्देश्य पैदावार की बिक्री करना हो तो उसे वाणिज्यिक कृषि कहते हैं। इस प्रकार की कृषि में आधुनिक साजो सामान का इस्तेमाल होता है। इसमें अधिक पैदावार वाले बीज, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और खरपतवारनाशक का इस्तेमाल होता है।
भारत में पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ भागों में बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक कृषि होती है। इसके अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिल नाडु, आदि में भी इस प्रकार की खेती होती है।
रोपण कृषि - जब किसी एक फसल को एक बड़े क्षेत्र में उपजाया जाता है तो उसे रोपण कृषि कहते हैं। इस प्रकार की कृषि में बड़ी पूंजी और बहुत सारे कामगारों की जरूरत पड़ती है। रोपण कृषि से मिलने वाला उत्पाद अक्सर उद्योग में इस्तेमाल होता है। चाय, कॉफी, रबर, गन्ना, केला, आदि रोपण कृषि के मुख्य फसल हैं। चाय का उत्पादन मुख्य रूप से असम और उत्तरी बंगाल के चाय बागानों में होता है।
कॉफी तमिल नाडु में उगाई जाती है। केला बिहार और महाराष्ट्र में उगाया जाता है। रोपण कृषि की सफलता के लिये यातायात और संचार के विकसित माध्यम और अच्छे बाजार की आवश्यकता होती है।
फसल के प्रकार
रबी:रबी की फसल जाड़े में उगायी जाती है इसलिये इसे जाड़े की फसल भी कहते हैं। रबी की बुआई अक्तूबर से दिसंबर की बीच होती है। इसकी कटाई अप्रिल से जून के बीच होती है। रबी की मुख्य फसलें हैं गेहूँ, बार्ली, मटर, चना और सरसों। पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश रबी की फसल के मुख्य उत्पादक हैं।
खरीफ:खरीफ की फसल गरमी में उगायी जाती है इसलिये इसे गरमी की फसल भी कहते हैं। खरीफ की बुआई जुलाई में होती है और कटाई सितंबर अक्तूबर में होती है। खरीफ की मुख्य फसलें हैं धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, तुअर, मूंग, उड़द, मूंगफली और सोयाबीं।
धान के मुख्य उत्पादक हैं असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा के तटवर्ती इलाके, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार। असम, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में एक साल में धान की तीन फसलें उगाई जाती हैं; जिन्हें ऑस, अमन और बोरो कहते हैं।
जायद:जायद का मौसम रबी और खरीफ के बीच आता है। इस में तरबूज, खरबूजा, खीरा, सब्जियाँ और चारे वाली फसलें उगाई जाती हैं। गन्ने को भी इसी मौसम में लगाया जाता है लेकिन उसे पूरी तरह से बढ़ने में एक साल लग जाता है।
मुख्य फसलें
- चावल - चीन के बाद भारत दुनिया में चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। धान की खेती के लिए जरूरी होते हैं उच्च तापमान (25°C से अधिक), अधिक आर्द्रता और 100 सेमी से अधिक की सालाना वर्षा। यदि सिंचाई की सही व्यवस्था हो तो धान को कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। अब धान की खेती पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी होने लगी है। ऐसा इसलिये संभव हो पाया है कि इन क्षेत्रों में नहरों का सघन जाल है।
- गेहूँ - गेहूँ उगाने के लिए 50 से 75 सेमी की सालाना वर्षा की जरूरत होती है जिसका वितरण समान रूप से हो। पाला पड़ने से गेहूँ की फसल तबाह हो जाती है। गेहूँ के मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं; पश्चिम उत्तर के गंगा सतलज के मैदान और दक्कन के काली मृदा वाले क्षेत्र। गेहूँ के मुख्य उत्पादक हैं पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ भाग।
- मोटे अनाज - भारत में उगने वाले मोटे अनाज में से मुख्य हैं ज्वार, बाजरा और रागी। हालाँकि ये मोटे अनाज हैं लेकिन इनमें पोषक तत्वों की अधिक मात्रा होती है।
- ज्वार - ज्वार उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे है। ज्वार की खेती कर्णाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी होती है। ज्वार को अक्सर आर्द्र क्षेत्रों में उगाया जाता है इसलिये इसे सिंचाई की जरूरत नहीं होती है।
- बाजरा - बाजरे को बलुई और उथली काली मिट्टी में उगाया जाता है। राजस्थान बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है। बाजरे की खेती उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और हरियाणा में भी होती है।
- रागी - रागी को शुष्क प्रदेशों में लाल, काली, बलुआ दोमट और उथली काली मिट्टी में उगाया जाता है। रागी के उत्पादन में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है जिसके बाद तमिल नाडु का स्थान है।
- मक्का - मक्के का इस्तेमाल खाद्यान्न और चारे दोनों के रूप में होता है। पुरानी जलोढ़ मिट्टी में मक्के की पैदावार अच्छी होती है। मक्के की खेती के लिए 21°-27°C के बीच के तापमान की जरूरत पड़ती है। कर्णाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश मक्के के मुख्य उत्पादक हैं।
- दालें - भारत विश्व में दाल का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ साथ सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। दालों को सामन्यतया अन्य फसलों के आवर्तन में उगाया जाता है। इसका यह मतलब है कि हर दो फसल के बीच एक दाल की फसल उगाई जाती है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्णाटक दाल के मुख्य उत्पादक हैं।
- गन्ना - गन्ने की फसल के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु, 21°-27°C के बीच का तापमान और 75 cm से 100 cm की वर्षा की जरूरत होती है। गन्ने के उत्पादन में ब्राजील पहले नंबर पर है और भारत दूसरे नंबर पर। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्णाटक, तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार, पंजाब और हरियाणा गन्ने के मुख्य उत्पादक हैं।
- तिलहन - भारत तिलहन का सबसे बड़ा उत्पादक है। मूंगफली, सरसों, नारियल, तिल, सोयाबीन, अरंडी, बिनौला, अलसी और सूरजमुखी भारत के मुख्य तिलहन हैं।
- मूंगफली - भारत में पैदा होने वाले तिलहनों में मूंगफली का हिस्सा 50% है। आंध्र प्रदेश मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके बाद तमिल नाडु, कर्णाटक, गुजरात और महाराष्ट्र का स्थान आता है।मूंगफली एक खरीफ फसल है। अलसी और सरसों रबी की फसलें हैं। तिल उत्तरी भारत में खरीफ की फसल है और दक्षिण में रबी की फसल है। अरंडी को रबी और खरीफ दोनों मौसमों में उगाया जाता है।