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डेनियल सेल किसे कहते हैं? | कार्यविधि | उपयोग

डेनियल सेल किसे कहते हैं? | कार्यविधि | उपयोग

डेनियल सेल किसे कहते हैं, उपयोग, कार्यविधि: डेनियल सेल एक प्रारूपिक गैल्वेनिक सेल है इस सेल में दो प्रकार के विलयन CuSO₄ तथा ZnSO₄ प्रयुक्त किए जाते हैं तथा दोनों विलयनो का संपर्क एक U आकर की नली के साथ होता है, जिसे लवण सेतु कहते है।

डेनियल सेल किसे कहते हैं?

डेनियल सेल (Daniel Cell) एक धातु-उपकेंद्रित बैटरी है जो गैल्वेनिक कोशिकाओं का एक प्रकार है। यह बैटरी अपनी कार्यप्रणाली में जिंक (Zn) और कॉपर (Cu) धातुओं का उपयोग करती है। डेनियल सेल में रासायनिक प्रतिक्रियाएं जोड़ कर ऊर्जा उत्पन्न करती हैं और इसे इलेक्ट्रिक शक्ति में परिणामित करती हैं। यह बैटरी आमतौर पर शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्रों में उपयोग होती है।

डेनियल सेल की कार्यविधि

जिंक सल्फेट (ZnSO₄) विलयन में Zn²⁺ आयन होते है। जब जिंक की पट्टी इस विलयन के संपर्क में आती है, तो इलेक्ट्रोड जिंक विलयन में Zn²⁺ के रूप में घुलने लगता है और इस क्रिया में प्रत्येक परमाणु दो इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रोड पर छोड़कर Zn²⁺ बनाकर विलयन में आ जाता है। यह परिवर्तन जिंक धातु का Zn²⁺ में ऑक्सीकरण कहलाता है।

Zn(s) → Zn²⁺ (aq) + 2e⁻

यह क्रिया जिंक आयनों और इलेक्ट्रोड के बीच साम्य स्थापित होने तक चलती रहती है। जब इसमें साम्य स्थापित हो जाता है तो विलयन के बीच एक निश्चित विभवांतर आ जाता है, जिसे एकल इलेक्ट्रोड विभव कहते है। जब जिंक के इलेक्ट्रॉन तार से होते हुए कॉपर के इलेक्ट्रोड पर इकट्ठे हो जाते हैं तो यह परिवर्तन विलयन में कॉपर आयनों का अपचयन करता है।

Cu²⁺ (aq) + 2e⁻ →Cu(s)

इलेक्ट्रॉनों के इस प्रवाह के कारण विद्युत धारा उत्पन्न होती है। जब जिंक इलेक्ट्रोड से कॉपर इलेक्ट्रोड की ओर इलेक्ट्रॉन के बहाव के फलस्वरुप जिंक इलेक्ट्रोड का आयनन यानी घुलना और कॉपर इलेक्ट्रोड पर कॉपर का जमना पड़ता है बढ़ता है तो इलेक्ट्रोड जिस पर ऑक्सीकरण करता है उसे एनोड और जिस पर अवकरण करता है उसे कैथोड छोड़ कहते हैं। अतः जिंक छड़ सेल का ऋण तथा कॉपर छड़ धन टर्मिनल कहलाते है।

डेनियल सेल के उपयोग

डेनियल सेल का उपयोग मुख्य रूप से शैक्षिक प्रयोगशालाओं में विद्युत रासायनिक सेलों के सिद्धांतों को समझाने के लिए किया जाता है। यह विद्यार्थियों को ऑक्सीकरण-रिडक्शन प्रतिक्रियाओं, इलेक्ट्रोड पोटेंशियल, और विद्युत चालकता की मूल अवधारणाओं को समझने में मदद करता है। इसके अलावा, यह बैटरी के कार्य सिद्धांतों को समझने के लिए एक आदर्श मॉडल के रूप में काम करता है। हालांकि, व्यावहारिक अनुप्रयोगों में इसका उपयोग सीमित है क्योंकि इससे उत्पन्न विद्युत धारा कम होती है और इसे बड़े पैमाने पर ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोगी नहीं माना जाता है।

निष्कर्ष

डेनियल सेल विद्युतचुम्बकत्व के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खोज है, जिसने विद्युत और चुम्बकत्व के बीच संबंधों को समझने में मदद की है। इसका उपयोग शैक्षिक प्रयोगशालाओं में विद्युत रासायनिक सिद्धांतों को समझाने के लिए किया जाता है, जिससे छात्रों को इस क्षेत्र की मूल अवधारणाओं की गहराई से समझ विकसित होती है।