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लोहा क्या है? | अयस्क

लोहा क्या है? | अयस्क

लोहा क्या है, लोहा एक ऐसी धातु है जिसके बिना पृथ्वी पर होने वाले निर्माण अधूरे हैं जैसे बिल्डिंग, स्टेडियम, रेल की पटरिया आदि तथा आप धरती पर जहां भी नजर घुमाएंगे वहा आपको ज्यादातर लोहे के ही वस्तु व निर्माण दिखाई देंगे।

लोहा क्या है?

लोहा एक ऐसी धातु है जो पृथ्वी में पाए जाने वाले धातुओं में से चौथे नंबर की सबसे ज्यादा पायी जाने वाली धातु है। लोहे का परमाणु द्रव्यमान 55.845 u, गलनांक 1,538 डिग्री सेल्सियस, परमाणु संख्या 26, सघनता 7.874 g/cm³ इलेक्ट्रॉन विन्यास [Ar] 3d64s2 होता है।

लोहा एक ऐसी धातु है जो पृथ्वी में पाए जाने वाले धातुओं में से चौथे नंबर की सबसे ज्यादा पायी जाने वाली धातु है। लोहे का परमाणु द्रव्यमान 55.845 u, गलनांक 1,538 डिग्री सेल्सियस, परमाणु संख्या 26, सघनता 7.874 g/cm³ इलेक्ट्रॉन विन्यास [Ar] 3d64s2 होता है।

लोहे की खोज 1320 ईसापूर्व के आसपास मानी जाती है लेकिन लोहे के कुछ अंश उसके पहले भी पाए गए हैं।

लोहा कैसे बनता है?

दोस्तों मैने आपको बता दिया है कि लोहा क्या है तो अब जानते है कि यह बनता कैसे है, आयरन जिसे लोहा भी कहते हैं जो पृथ्वी पर सभी जगह पर पाया जाता है और ये न सिर्फ खनिजों के अंदर बल्कि पेड़ पौधों के अंदर भी होता है तथा हमारे शरीर में भी लोहे का कुछ अंश होता है।

दोस्तों मैने आपको बता दिया है कि लोहा क्या है तो अब जानते है कि यह बनता कैसे है, आयरन जिसे लोहा भी कहते हैं

पृथ्वी की पपड़ी का 5% भाग लोहे का होता है तथा ऐसी कल्पना की जाती है कि पृथ्वी के केंद्र में बहुत सारा लोहा है। पृथ्वी की पपड़ी में लोहा दूसरे पदार्थों से मिले-जुले रूप में मिलता है जैसे कि मैग्नेटाइट, हेमेटाइट, लिमोनाईट, सिडेराइट, पाइराइट यह सभी लोहे के मुख्य खनिज है।

लोहे के प्रकार

  1. हैमेटाइड- इसका रंग लाल और कत्थर्इ होता हैं। इसमें लोहे के अंश 60 से 70% होते हैं।
  2. सिडेराइट- इसका रंग राख जैसे होता हैं। इसमें लोहे के अंश 10 से 48% होते हैं।
  3. मेग्नेटाइट- यह सबसे उत्तम कोटि का अयस्क होता है। इसमें धातु का अंश 70% हैं और इसका रंग काला होता हैं।
  4. लिमोनाइट- इसका रंग पीला या भूरा होता हैं। इसमें लोहे के अंश 40 से 60% होते हैं।

भारत में लोहा कहा पाया जाता है

भारत में लोहे का अयस्क प्रमुख रूप से सिंहभूमि, रत्नागिरी, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उड़ीसा मयूरभंज आदि में पाये जाते है तथा इन खनिजों से लोहा प्राप्त किया जाता है और इन खनिजों को बारीक पीसकर कोयला और चूना पत्थर के साथ मिलाकर एक भट्टी में गर्म किया जाता है।

भट्टी में से पिघला हुआ लोहा पानी की तरह भरा जाता है जो ठंडा होने पर ठोस पदार्थ में बदल जाता है तथा इसी प्रकार से मिलने वाले लोहे को हम पीगारन कहते हैं। इसमें 5% कार्बन पाया जाता हैं तथा इसी लोहे में कार्बन की मात्रा को 0.2 से 2% तक कम करके स्टील में बदल दिया जाता है।

लोहे के उपयोग

देखा जाए तो आज इस संसार में लोहे का उपयोग सबसे अधिक किया जाता है और संसार का कोई उद्योग ऐसा नहीं है जिसमें लोहे का प्रयोग ना किया जाता हो।

हमारे दिन प्रतिदिन की बहुत सारी चीजें जैसे कैंची, ताले, चिमटा, तवा, बाल्टी आदि सभी सामान अधिकतर लोहे से बनाए जाते है और जलीय जहाज, वायुयान, रेलगाड़ी, कार, स्कूटर, रिक्सा, साईकिल आदि लोहे से बनाए जाते है।

लोहा का उपयोग पुल निर्माण, इमारत बनाने में काम में लाया जाता है और इसका प्रयोग नट-बोल्ट बनाने में भी किया जाता है।