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मृदा जल क्या है? | मृदा जल के प्रकार

मृदा जल क्या है? | मृदा जल के प्रकार

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको मृदा जल के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।

मृदा जल के बारे में

मृदा में उपस्थित जल को मृदा जल (soil water) कहते हैं। यह पानी ही पौधों के लिए पानी का मुख्य स्त्रोत है। मिट्टी पानी का मुख्य स्त्रोत वर्षा है। वर्षा का संपूर्ण पानी में प्रवेश नहीं कर पाता तथा इसका कुछ भाग बहकर जलाशयों में चला जाता है, इसे अपवाहित पानी (runaway or runoff water) कहते हैं। यह पानी पौधों को प्राप्त नहीं होता। शेष जल मृदा (soil) में निम्न रूप में पाया जाता है।

मृदा जल के प्रकार

मृदा जल विभिन्न रूपों में मौजूद होता है, जिन्हें मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है -

गुरूत्वीय जल

यह गुरूत्वीय जल गुरुत्वाकर्षण (gravitation) के कारण मिट्टी में काफी गहराई तक पहुंच जाता है, जहां से पौधे अपनी जड़ों (root) द्वारा इसे प्राप्त नहीं कर पाते हैं। इस जल को भोम जल (ground water) कहते हैं।

केशिका जल

केशिका जल मृदा के कणों के बीच की कोशिकाओं (capillaries) में पाया जाता है। यह जल संपूर्ण मिट्टी में कोशिकाओं के जाल के रूप में फैला होता है। इस पानी को पौधे अपनी जड़ों द्वारा आसानीपूर्वक अवशोषित करते हैं अर्थात यही जल पौधों को उपलब्ध होता है। इसे प्राप्य जल (Available water) भी कहते हैं।

केशिका जल मृदा के कणों के बीच की कोशिकाओं (capillaries) में पाया जाता है। यह जल संपूर्ण मिट्टी में कोशिकाओं के जाल के रूप में फैला होता है।

अधिशोषित जल अथवा आर्द्रताग्राही

अधिशोषित जल मृदा कणों पर एक पतली पर्त के रूप में अधिशोषित होता है। पौधे इस पानी को प्रयोग में नहीं ला पाते क्योंकि यह पानी अत्यधिक बल के साथ मिट्टी कणों से चिपका होता है।

रासायनिक-बध्द जल

रासायनिक-बध्द जल मृदा के खनिज पदार्थों के साथ पाया जाने वाला पानी है जो रवे (crystal) के पानी का संयोजित पानी के रूप में रहता है। यह पानी भी पौधों के अवशोषण के योग्य नहीं होता है।

वाष्पीकृत जल

वाष्पीकृत जल (vaporated water) की वाष्प भी कुछ मात्रा में मिट्टी वायु के साथ मिली हुई रहती है। यह जल-वाष्प भी पौधे अवशोषित (absorbed) नहीं कर पाते।

  • मिट्टी में उपस्थित संपूर्ण पानी की मात्रा को होलार्ड (holard) कहते हैं। इसमें से पानी की वह मात्रा जो पौधों को प्राप्य होती है, उसे क्रेसार्ड (chresard) अथवा प्राप्य जल (Available water) कहते हैं। इसमें लगभग 75% केशिका जल की मात्रा होती है। शेष मिट्टी जल (अर्थात 25% केशिका जल, आर्द्रताग्राही जल, रासायनिक-बध्द जल एवं वाष्पीकृत जल) जो पौधों को प्राप्य नहीं होता, उसे इकाई (echard) अथवा अप्राप्य जल (non-available water) कहते हैं।
  • गुरूत्वीय जल के भली-भांति रिस जाने (percolate) के पश्चात मिट्टी में बचे शेष पानी की अधिकतम मात्रा को मिट्टी जलधारिता (field capacity) कहते हैं। इसका मान केशिका पानी एवं आर्द्रताग्राही जल के योग के बराबर होता है।
  • मृदा जल की वह प्रतिशत मात्रा जिस पर उस मिट्टी में उगने वाले पौधे स्थायी रूप से मुरझा जाये, स्थायी म्लानि प्रतिशत (permanent wilting percentage, PWP) कहलाती है।

निष्कर्ष

मृदा जल कृषि, वनस्पति विज्ञान, और पारिस्थितिकी के क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण घटक है। यह पौधों को न केवल जीवनदायिनी जल प्रदान करता है बल्कि मिट्टी के पोषण तत्वों को भी घुलनशील रूप में रखता है, जिससे पौधे इन्हें आसानी से अवशोषित कर सकें। मृदा जल की उपलब्धता और प्रबंधन कृषि उत्पादन और जल संरक्षण की रणनीतियों में महत्वपूर्ण होती है।