हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको कारक के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
कारक की परिभाषा
कारक का अर्थ होता है किसी कार्य को करने वाला। यानी जो भी क्रिया को करने में भूमिका निभाता है, वह कारक कहलाता है।
कारक के उदाहरण
- वह रोज़ सुबह गंगा किनारे जाता है।
- वह पहाड़ों के बीच में है।
- नरेश खाना खाता है।
- सूरज किताब पढता है।
कारक के भेद
कारक के मुख्यतः आठ भेद होते हैं -
- कर्ता कारक
- कर्म कारक
- करण कारक
- सम्प्रदान कारक
- अपादान कारक
- संबंध कारक
- अधिकरण कारक
- संबोधन कारक
कर्ता कारक
- जो वाक्य में कार्य को करता है, वह कर्ता कहलाता है। कर्ता वाक्य का वह रूप होता अहि जिसमे कार्य को करने वाले का पता चलता है।
- कर्ता कारक का विभक्ति चिन्ह ‘ने’ होता है।
उदाहरण
- रामू ने अपने बच्चों को पीटा।
- समीर जयपुर जा रहा है।
- नरेश खाना खाता है।
- विकास ने एक सुन्दर पत्र लिखा।
कर्म कारक
- वह वस्तु या व्यक्ति जिस पर वाक्य में की गयी क्रिया का प्रभाव पड़ता है वह कर्म कहलाता है।
- कर्म कारक का विभक्ति चिन्ह ‘को’ होता है।
उदाहरण
- गोपाल ने राधा को बुलाया।
- रामू ने घोड़े को पानी पिलाया।
- माँ ने बच्चे को खाना खिलाया।
- मेरे दोस्त ने कुत्तों को भगाया।
करण कारक
- वह साधन जिससे क्रिया होती है, वह करण कहलाता है। यानि, जिसकी सहायता से किसी काम को अंजाम दिया जाता वह करण कारक कहलाता है।
- करण कारक के दो विभक्ति चिन्ह होते है से और के द्वारा।
उदाहरण
- बच्चे गाड़ियों से खेल रहे हैं।
- पत्र को कलम से लिखा गया है।
- राम ने रावण को बाण से मारा।
- अमित सारी जानकारी पुस्तकों से लेता है।
सम्प्रदान कारक
- सम्प्रदान का अर्थ ‘देना’ होता है। जब वाक्य में किसी को कुछ दिया जाए या किसी के लिए कुछ किया जाए तो वहां पर सम्प्रदान कारक होता है।
- सम्प्रदान कारक के विभक्ति चिन्ह के लिए या को हैं।
उदाहरण
- माँ अपने बच्चे के लिए दूध लेकर आई।
- विकास ने तुषार को गाडी दी।
- मैं हिमालय को जा रहा हूँ।
- रमेश मेरे लिए कोई उपहार लाया है।
अपादान कारक (से पृथक् / से अलग)
वाक्य में जब किसी संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से एक वस्तु या व्यक्ति का दूसरी वस्तु या व्यक्ति से अलग होने या तुलना करने के भाव का बोध होता है। जिससे अलग हो या जिससे तुलना की जाय, उसे अपादान कारक कहते हैं। इसकी विभक्ति भी ‘से है किन्तु यहाँ ‘से पृथक या अलग का बोध कराता है।
(i) पेड़ से पत्ता गिरता है।
(ii) कविता सविता से अच्छा गाती है।
सम्बन्ध कारक (का, की, के./रा, री, रे, ना, ने, नी)
जब वाक्य में किसी संज्ञा या सर्वनाम का अन्य किसी संज्ञा या सर्वनाम से सम्बन्ध हो, जिससे सम्बन्ध हो, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं। इसके विभक्ति चिह्न का, के, की, रा, रा, रे, ना, ने, नी आदि हैं। यथा अजय की पुस्तक गुम गई।
तुम्हारा चश्मा यहाँ रखा है।
अपना कार्य स्वयं करें।
अधिकरण कारक (में, पर, पे)
वाक्य में प्रयुक्त, संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इसके विभक्ति चिह में, पे, पर हैं।
पक्षी आकाश में उड़ रहे हैं।
मेज पर पुस्तक पड़ी है।
सम्बोधन कारक (हे, ओ, अरे)
वाक्य में, जब किसी संज्ञा या सर्वनाम को पुकारा या बुलाया जाता है, अर्थात् जिसे सम्बोधित किया जाय, उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। सम्बोधन कारक के विभक्ति चिह्न हैं – हे, ‘ओ ! अरे! सम्बोधन कारक के बाद सम्बोधन चिह्न (;) या अल्प विराम (,) लगाया जाता है।
जैसे – हे प्रभु! रक्षा करो। अरे, मोहन यहाँ आओ।
विशेष सर्वनाम में कारक सात ही होते हैं। इसका सम्बोधन कारक नहीं होता है।
इस पोस्ट में आपको कारक किसे कहते है और इसके भेद उदाहरण सहित कारक किसे कहते हैं उदाहरण सहित कारक किसे कहते हैं संस्कृत में कारक किसे कहते है in english कारक अभ्यास प्रश्न से संबधित पूरी जानकारी दी गयी है।