यदि प्रकाश पुंज को कोलाइडी विलयन से गुजर जाए तो प्रकाश मार्ग एक चमकते हुए शंकु के रूप में दिखाई देती है। टिंडल की खोज करने वाले व्यक्ति का नाम टिंडल था उन्होंने सबसे पहले इसका अध्ययन किया था।
अतः इसे टिंडल प्रभाव (tyndall prabhav) व चमकीले शंकु को टिंडल शंकु कहते हैं। टिंडल ने यह बताया कि कोलाइडी कण प्रकाश को बिखेर देते हैं, जिसके कारण ये चमकने लगते हैं।
दूसरे शब्दों में,
जब प्रकाश ( light ) किसी रासायनिक मिश्रण (कोलायडी) के माध्यम से होकर गुजरता है तो, प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering) होता है। तथा प्रकाश का मार्ग दिखाई देने लगता है, प्रकाश की इस घटना को ही टिंडल प्रभाव (tyndall prabhav) कहा जाता है।
अर्थात, जब कोई प्रकाश के किरण का पुंज वायुमंडल के महीन कण जैसे- धुआ, सूक्ष्म बूंदे, मिट्टी का कण, वायु के अणु आदि से टकराता है। तो प्रकाश भी पुंज के किरणों का मार्ग दिखाई देने लगता है। कोलाइडी कणों के कारण प्रकाश के प्रकीर्णन की इस घटना को टिंडल प्रभाव कहलाता हैं।
टिंडल प्रभाव का उदाहरण
- जब किसी घने जंगल के वितान से सूर्य का प्रकाश गुजरता है तो भी टिंडल प्रभाव को देखा जा सकता है।
- आपने देखा होगा कि किसी अंधेरे कमरे में जब प्रकाश की किरणें आती है तो धूल के कण आपको चमकते हुए दिखाई देते हैं।
- सिनेमा घर में प्रोजेक्टर से प्रकाश पर्दे की ओर जाते हुए दिखाई देना टिंडल प्रभाव कहलाता है।
टिंडल प्रभाव को कैसे देखा जा सकता है?
- सबसे पहले एक टॉर्च लीजिए और एक कांच के गिलास में पानी लीजिए तथा टॉर्च जलाकर पानी के गिलास के एक साइड से दूसरी साइड तरफ टॉर्च जलाए वहां पानी के भीतर भी प्रकाश की किरण दिखाई देंगी।
- एक अगरबत्ती लीजिए और एक बोतल लीजिए जो कि पारदर्शी हो तथा अगरबत्ती जलाकर उसका धुआं बोतल में भर दीजिए और धुएं को बोतल से धीरे-धीरे निकलने दीजिए और वहां टॉर्च जलाए तो आप देखेंगे की धुएं में आपको रोशनी दिखाई देगी इसे भी टिंडल का प्रभाव कहते है