वह विधि है जिसमें माध्यम के कण अपने स्थान पर ही कंपन करते हैं तथा ऊर्जा एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाती है। इसे ही हम तरंग (Wave) कहते हैं।
तरंग क्या है? | What is wave?
दोस्तों अगर मैं फिजिक्स को छोड़कर नॉर्मल भाषा में बात करूं तो, तरंगे होती है लहर तो हम तरंगों को आम भाषा में लहर भी कह सकते हैं। अब यह तरंग क्या है और आपकी रियल लाइफ में यह कैसे काम करता है वो चीज मैं आपको समझाता हूं, दोस्तों एक स्पीकर है जिसमें गाना बज रहा है वह आपके घर से बहुत दूर है या फिर शादी है वहां पर गाना बज रहा है तो दोस्तों जानिए जहां स्पीकर है तो जो स्पीकर बज रहा है वहां उसके स्पीकर के अंदर जो कण है वह कंपन कर रहे हैं।
लेकिन क्या हो रहा है कि कण कंपन वहां पर कर रहे हैं लेकिन उसकी आवाज सीमित तो नहीं है वह हमको भी सुनाई दे रही है। आपको उस स्पीकर की आवाज इसलिए सुनाई दे रही है क्योंकि वहां काम कर रही हैं तरंगे, तो दोस्तों कंपन तो स्पीकर कर रहा है लेकिन वहां कंपन के द्वारा जो लहरें बन रही हैं वह हमको सुनाई दे रही है तो यह कहलाएंगी ध्वनि तरंगे इसे ही तरंग कहते है।
तरंग के प्रकार | Types of wave
तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है।
- यांत्रिक तरंगें
- अयांत्रिक तरंगे या विद्युत चुंबकीय तरंगे
यांत्रिक तरंगें mechanical waves
दोस्तों अगर मैं यांत्रिक तरंगों के बारे में समझाओ तो इसमें एक माध्यम की जरूरत होती है। इससे एक प्रश्न भी बनता है कि, किन माध्यम में तरंगों की जरूरत होती है वो होती है यांत्रिक तरंगें, जैसे कि मैंने पिछली परिभाषा में आपको समझाया था कि वहां एक माध्यम था वह था स्पीकर।
तो दोस्तों अगर मैं एक उदाहरण दूं तो अगर मैं अपना मुंह बंद कर लूं तो मैं आवाज निकल पाऊंगा नहीं निकाल पाऊंगा तो यहां यांत्रिक तरंगों में एक माध्यम चाहिए, तभी यह काम करती है बिना माध्यम के यह काम नहीं कर पाएंगी।
इसकी परिभाषा कहे तो, वे तरंगे जो किसी माध्यम ठोस द्रव व गैस में संचरित होती है, यांत्रिक तरंगें कहलाती है। इन तरंगों के किसी माध्यम में संचरण के लिए यह आवश्यक है कि माध्यम में प्रत्यास्था या जड़तत्व के गुण मौजूद हो।
- यह वह तरंग है जो पदार्थ के कंपन के कारण होती है।
- यांत्रिक तरंगों के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।
- यांत्रिक तरंग के प्रकार: यह मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं अनुप्रस्थ तरंगे और अनुदैर्ध्य तरंगे।
अनुदैर्ध्य तरंग Longitudinal waves
यदि माध्यम के कण तरंग की गति की दिशा के दिशा में ही दोलन करते हैं तो उसे अनुदैर्ध्य तरंग कहते हैं। अनुदैर्ध्य तरंगों का संचरण संपीड़न तथा विरलन के रूप में होता है।
उदाहरण- वायु में उत्पन्न तरंगें, भूकंप तरंगे स्प्रिंग में उत्पन्न तरंगे आदि सभी अनुदैर्ध्य तरंगे होती हैं।
संपीड़न Compression
माध्यम के जिस स्थान पर कण पास-पास आ जाते हैं तथा घनत्व अधिक हो जाता है, उन्हें संपीड़न कहते है। संपीड़न पर माध्यम का घनत्व तथा दाब अधिकतम होता है।
विरलन Rarefaction
माध्यम के कण जिस स्थान पर दूर-दूर हो जाते हैं तथा घनत्व कम हो जाता है, उन्हें विरलन कहते है। विरलन पर माध्यम का घनत्व तथा दाब न्यूनतम होता है।
अनुप्रस्थ तरंगे Transverse waves
यदि माध्यम के कण तरंग की गति की दिशा के लंबवत दोलन करते हैं तो ऐसी तरंग को हम उसे अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं।
उदाहरण-
- तनी हुई डोरि या तार में कंपन- किसी डोरी के एक सिरे को दीवार से बांधकर उसके दूसरे मुक्त सिरे को बार-बार आवृत्ति रूप से ऊपर नीचे झटका दिया जाए तो इस प्रकार कंपन करती हुई डोरी में इसके कणों के कंपन तरंग की गति की दिशा के लंबवत होते हैं। अतः यह एक अनुप्रस्थ तरंग का एक उदाहरण है।
- पानी की सतह पर बनने वाली तरंगें (लहरें)- पानी में जब लहरें बनती हैं तक पानी के कण अपने स्थान पर ऊपर नीचे तरंग (ऊर्जा) संचरण के लंबवत दिशा में कंपन करते हैं।
यह भी जाने
दोस्तों अनुप्रस्थ तरंग का एक प्रश्न एग्जाम में पूछा गया था कि कौन सी तरंगे ठोस माध्यम एवं द्रव की ऊपरी सतह पर उत्पन्न कि जा सकती हैं।
अनुप्रस्थ तरंगे केवल ठोस माध्यम में एवं द्रव के ऊपरी सतह पर उत्पन्न की जा सकती है। द्रवों के भीतर एवं गैसों में अनुप्रस्थ तरंगे उत्पन्न नहीं की जा सकती है। अनुप्रस्थ तरंगे शीर्ष (crest) एवं गर्त (trough) के रूप में संचरित होती है।