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सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या कारण थे? | कारण

सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या कारण थे? | कारण

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको सविनय अवज्ञा आंदोलन के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।

सविनय अवज्ञा आंदोलन किसे कहते हैं?

दिसंबर 1921 ईस्वी के अहमदाबाद अधिवेशन में महात्मा गांधी को सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने का एकाधिकार दे दिया गया था, परंतु चोरी-चोरा की हिंसक घटना,असहयोग आंदोलन की स्थान तथा महात्मा गांधी की गिरफ्तारी ने इस आंदोलन की योजना को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण

1927 ईस्वी में साइमन कमीशन की नियुक्ति और इसके प्रतिवेदन ने देशभर में असंतोष की लहर दौड़ा दी और सविनय अवज्ञा आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार हो गई।1930 ईस्वी में गांधी जी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन को प्रारंभ करने के निम्नलिखितलिखित प्रमुख कारण थे -

1. नेहरू रिपोर्ट की अस्वीकृति-सरकार ने सर्वदलीय सम्मेलन में पारितनेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया जिससे भारत में संवैधानिक तथा उत्तरदायीशासन की माँग समाप्त होती दिखाई दी।

2. अत्यधिक आर्थिक मन्दी-उस समय भारत बहुत अधिक आर्थिकमन्दी (Economic Depression) की चपेट में था जिससे मजदूरों तथा कृषकोंकी आर्थिक दशा निरन्तर शोचनीय होती जा रही थी।

3. स्वतन्त्रता की माँग की अस्वीकृति-ब्रिटिश सरकार ने भारत को पूर्णस्वराज्य देने से इनकार कर दिया था। वह अधिराज्य स्थिति (DominionStatus) के संविधान बनाने के लिए गोलमेज सम्मेलन को बुलाने के लिए तैयारन थी। इसलिए कांग्रेस के पास इस आन्दोलन को चलाने के अतिरिक्त कोई अन्यविकल्प शेष नहीं था।

4. बारडोली में सफल सत्याग्रह-ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध 1928 ई०के मध्य सरदार पटेल के नेतृत्व में किसानों ने बारडोली में एक सफल सत्याग्रहकिया था जिसमें किसानों ने सरकार को भूमि-कर देने से इनकार कर दिया था।इस सफलता से कांग्रेस का मनोबल बढ़ा जो अन्ततः सविनय अवज्ञा आन्दोलनको प्रारम्भ करने के लिए प्रेरक तत्त्व के रूप में सामने आया।

5. मेरठ षड्यन्त्र केस-1929 ई० में सरकार ने कम्युनिस्ट नेताओं कोगिरफ्तार करके उन पर केस चलाना प्रारम्भ कर दिया था जो मेरठ षड्यन्त्र केसके नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसमें अनेक व्यक्तियों पर राजद्रोह का अभियोग लगाकरउन्हें कठोर यातनाएँ दी गईं।इन परिस्थितियों को देखते हुए गांधी जी को बाध्य होकर सविनय अवज्ञाआन्दोलन प्रारम्भ करना पड़ा।

कालान्तर में यह आन्दोलन उग्र हो गया। 14 जुलाई, 1934 ई० को महात्मागांधी ने जन-आन्दोलन को रोक दिया परन्तु व्यक्तिगत सत्याग्रह चलता रहा। इससेजनता का उत्साह निरन्तर कम होता गया तथा नैतिक पतन के चिह्न दिखाई देनेप्रारम्भ हो गए। इसलिए 7 अप्रैल, 1934 ई० को महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञाआन्दोलन को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया।जवाहरलाल नेहरू सुभाष चंद्र बोस तथा पटेल आदि नेताओं ने गांधी जी के इस निर्णय की कटु आलोचना की।

परिणाम

सविनय अवज्ञा आंदोलन के नियम लिखित परिणाम सामने आए -

(1) इस आंदोलन ने भारतीयों में राष्ट्रीय भावना को जागृत किया।

(2) इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश सरकार का ध्यान भारत में संवैधानिक सुधार करने की ओर गया।

(3) इस आंदोलन के दौरान पूना समझौते के माध्यम से हिंदुओं और हरिजनों में पुनः एकता स्थापित हुई।

(4) इस आंदोलन ने ही 1935 ईस्वी के भारतीय शासन अधिनियम की पृष्ठभूमि तैयार की।