'यथार्थवाद' का अंग्रेजी रूपान्तर 'Realism' है। 'Real' शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘realis' से हुई है तथा' realis' शब्द 'res' शब्द से बना है जिसका अर्थ है- 'वस्तु'। इस प्रकार 'Realism' का शाब्दिक अर्थ हुआ। वस्तुवाद या वस्तु सम्बन्धी विचारधारा। वस्तुतः यथार्थवाद वस्तु सम्बन्धी विचारों के प्रति एक दृष्टिकोण है जिसके अनुसार संसार की वस्तुएँ यथार्थ हैं। इस वाद के अनुसार केवल इन्द्रियजन्य ज्ञान ही सत्य है। दूसरे शब्दों में, जो कुछ हमारे सामने है तयथा जो कुछ भी हमें दिखाई देता है, वही सत्य है। यथार्थवाद के अनुसार मिथ्या नहीं वरन् सत्य है।
यथार्थवाद की परिभाषा | yatharthvad ki paribhasha
ब्राउन (Brown) - “यथार्थवाद का मुख्य विचार है कि सब भौतिक वस्तुयें या बाह्य जगत् के पदार्थ वास्तविक हैं और उनका अस्तित्व देखने वाले से पृथक् है। यदि उनको देखने वाले व्यक्ति न हों , तो भी उनका अस्तित्व होगा और वे वास्तविक होंगे।"
यथार्थवाद के मूल सिद्धांत | yatharthvad ke Mul Siddhant
यह निम्न प्रकार से हैं-
प्रयोग पर बल (Emphasis on Experiment)
यथार्थवादी विचारधारा निरीक्षण, अवलोकन तथा प्रयोग पर बल देती है। इसके अनुसार किसी अनुभव को तब तक स्वीकार नहीं किया जा सकता जब तक कि वह निरीक्षण व प्रयोग की कसौटी पर सिद्ध न हो गया हो।
इन्द्रियाँ ज्ञान के द्वार हैं (Senses are the Gateways of Knowledge)
यथार्थवादियों के अनुसार हमें ज्ञान की प्राप्ति इन्द्रियों के माध्यम से प्राप्त संवेदना के आधार पर होती है। रसेल के शब्दों में, "पदार्थ के अन्तिम निर्णायक तत्त्व, अणु नहीं हैं, वरन् संवेदन हैं। मेरा विश्वास है कि हमारे मानसिक जीवन के रचनात्मक तत्त्व पूर्णतः संवेदनाओं और प्रतिभाओं में निहित होते हैं।"
यथार्थवाद की प्रमुख विशेषताएं | yatharthvad ki Pramukh visheshtaen
यह निम्न प्रकार से हैं-
ज्ञानेन्द्रियों के प्रशिक्षण पर बल (Emphasis on Training of Senses)
यथार्थवादियों ने ज्ञान देने के लिये बालकों की ज्ञानेन्द्रियों के प्रशिक्षण पर बल दिया क्योंकि उनके अनुसार जब तक बालक अपनी ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से ज्ञान प्राप्त नहीं करेगा, तब तक उसे वास्तविक ज्ञान की अनुभूति नहीं होगी। वस्तुतः इन्द्रिय प्रशिक्षण पर बल देकर यथार्थवाद ने शिक्षा में सहायक सामग्री तथा दृश्य-श्रव्य साधनों के महत्त्व को बढ़ाया।
आदर्शवाद का विरोध (Opposition of Idealism)
यथार्थवाद ने आदर्शवादी विचारधारा का विरोध किया, तथा शिक्षा के माध्यम से जीवन को सुखी बनाने के उद्देश्य पर बल दिया। उनका मत था कि कोरे आध्यात्मिक सिद्धान्त और आदर्श बालक के लिये कोई महत्त्व नहीं रखते।
व्यावहारिक ज्ञान पर बल (Emphasis on Practical Knowledge)
यथार्थवादी शिक्षा को एक प्रक्रिया मानते थे तथा उन्होंने 'ज्ञान के लिये ज्ञान' के सिद्धान्त का खण्डन किया। उनके अनुसार शिक्षा के द्वारा बालक को व्यावहारिक जीवन का ज्ञान मिलना चाहिए। दूसरे शब्दों में, शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक अपने जीवन की समस्याओं को सुलझाने में अपने अर्जित ज्ञान को उपयोग में ला सके।
वैज्ञानिक विषयों को महत्त्व (Importance to Sceientific subjects)
यथार्थवादियों ने बालकों को उपयोगी व व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने हेतु वैज्ञानिक विषयों को प्रमुखता दी। इसके साथ ही उन्होंने विद्यालय की कृत्रिम शिक्षा के स्थान पर प्रकृति की शिक्षा को महत्व दिया।