ईंधन सेल की परिभाषा व इसके उपयोग, वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे सेल विकसित किए हैं, जिनमें ईंधन की रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल सकते हैं। इस प्रकार के सेल ईंधन की रासायनिक ऊर्जा को 74% तक विद्युत ऊर्जा में बदल देते हैं।
ईंधन सेल की ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलना
हम ईंधन सेल की रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के लिए ईंधन का जारण करके उष्मा उत्पन्न करते है। जो ऊष्मा प्राप्त होती है उससे भाग बनाई जाती है, जिससे टरबाइनो को घुमाकर जनरेटरो को चलाकर विद्युत पैदा की जाती है किंतु यह प्रक्रिया बहुत महंगी होती है।
सेल की बनावट
सेल को कुछ इस प्रकार बनाया जाता है कि रासायनिक ऊर्जा को सीधे ही विद्युत ऊर्जा में बदला जा सके। इनमें प्रमुख H₂-O₂ ईंधन सेल है, जो H₂ व O₂ का उपयोग करके विद्युत ऊर्जा प्रदान करता है।
इस सेल में छिद्रयुक्त दो कार्बन के इलेक्ट्रॉन होते है जिनके ऊपर प्लैटिनम का तार लपेट देते है जो उत्प्रेरक का काम करते है। सेल के मध्य में अम्ल या क्षार का मिश्रण भर दिया जाता है जो विद्युत अपघट्य का काम करता है। सेल के एक तरफ इलेक्ट्रोड से ऑक्सीजन व दूसरी तरफ से हाइड्रोजन गैस प्रवाहित की जाती है।
जब दोनों इलेक्ट्रॉनों को आपस में जोड़ते हैं तो विद्युत अपघटय होने पर सेल में एक निम्नलिखित इलेक्ट्रोड अभिक्रिया होती है।
कैथोड पर अपचयन- O₂ (g) + 4H⁺(aq) + 4e⁻ → 2H₂O
ऐनोड पर ऑक्सीकरण- 2H₂ (g) → 4H⁺ (aq) + 4e⁻
संपूर्ण सेल पर अभिक्रिया- 2H₂ + O₂ → 2H₂O
इसी प्रकार एक आदमी सेल है जिसे अपोलो स्पेस प्रोग्राम में उपयोग में लाया गया था। जिसमे NaOH के सांद्र विलयन का उपयोग विद्युत अपघट्य के रूप में होता है।
कैथोड पर अपचयन- O₂ (g) + 2H₂O (l) + 4e⁻ → 4OH⁻ (aq)
ऐनोड पर ऑक्सीकरण- 2H₂ (g) + 4OH⁻ (aq) → 4H₂O (l) + 4e⁻
कुल सेल अभिक्रिया- 2H₂ (g) + O₂ (g) → 2H₂O (l)
एक अन्य हाइड्रोकार्बन ऑक्सीजन ईंधन सेल होता है। इस सेल में हाइड्रोजन के स्थान पर मीथेन और ईथेन आदि हाइड्रोकार्बन उपयोग में लाये जाते है।
ऐनोड पर- C₂H₆(g) + 14 OH⁻ (aq) → 2CO₂ + 10H₂O + 14e⁻
कैथोड पर- [O₂(g) + 2H₂O (l) + 4e⁻ → 4OH⁻]
संपूर्ण अभिक्रिया- C₂H₆(g) + 7/2 O₂(g) → 2CO₂(g) + 3H₂O(l)
सेल की दक्षता
किसी ईंधन सेल की सैद्धांतिक दक्षता निम्न सूत्र से हम ज्ञात कर सकते है।
दक्षता = ∆G/∆H × 100, जहा मुक्त ऊर्जा परिवर्तन, ∆H = एन्थैल्पी परिवर्तन।