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भारत में जीव जंतुओं की कितनी प्रजातियां पाई जाती है?

भारत में जीव जंतुओं की कितनी प्रजातियां पाई जाती है?

हेलो, दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आपको भारत में जीव जंतुओं की कितनी प्रजातियां के बारे में जानकारी देने वाला हूँ, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।

भारत में जीव जंतुओं की निम्नलिखित प्रजातियां पाई जाती है।

सामान्य जातियां– ये वे जातियां हैं जिनकी संख्या जीवित रहने के लिए सामान्य मानी जाती है, जैसे- पशु, साल, चिड और क्रंटक(Krantak) इत्यादि।

संकटग्रस्त जातियां– ये वे जातियां हैं जिनके लुप्त होने का खतरा है। जिन विषम परिस्थितियों के कारण इनकी संख्या कम हुई है, यदि वे जारी रहती है तो इन जातियों का जीवित रहना कठिन(Hard) है। काला हिरण, मगरमच्छ (crocodile), भारतीय जंगली गधा, गैंडा (Rhinoceros), शेर-पूछ वाला बंदर, संगाई (मणिपुरी हिरण) इत्यादि इस प्रकार की जातियों(Castes) के उदाहरण है।

सुभेध (Vulnerable) जातियां– ये वे जातियां हैं जिनकी संख्या घट रही है। यदि इनकी संख्या पर विपरीत प्रभाव डालने वाली परिस्थितियां नहीं बदली जाती और इनकी संख्या घटती रहती है तो यह संकटग्रस्त जातियों की श्रेणी में शामिल हो जाएंगी। नीली भेड़, एशियाई हाथी, गंगा नदी की डॉल्फिन(Dolphin) इत्यादि इस प्रकार की जातियों के उदाहरण है।

दुर्लभ जातियां– इन जातियों की संख्या बहुत कम या सुभेध है और यदि इनको प्रवाहित करने वाली विषम परिस्थितियां नहीं परिवर्तित होती तो यह संकटग्रस्त जातियों की श्रेणी में आ सकती हैं।

स्थानिक जातियां– प्राकृतिक या भौगोलिक सीमाओं से अलग से क्षेत्रों में पाए जाने वाली जातियां अंडमानी टील(Teal), निकोबारी कबूतर, अंडमानी जंगली सूअर और अरुणाचल के मिथुन इन जातियों के उदाहरण हैं।

लुप्त जातियां– ये वे जातियां हैं जो इनके रहने के आवासों में खोज करने पर अनुपस्थित पाई गई है। यह उपजातियां स्थानीय एरिया(Area), प्रदेश, देश, महाद्वीपीय या पूरी पृथ्वी से ही लुप्त हो गई है। ऐसी उपजातियों(Subcastes) में एशियाई चीता और गुलाबी सिर वाली बत्तख शामिल है।