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हड़प्पा सभ्यता की ईंट मनके तथा अस्थियाँ

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हड़प्पा सभ्यता की ईंट मनके तथा अस्थियाँ

हड़प्पा सभ्यता की ईंट मनके तथा अस्थियाँ

Bricks, Beads and Bones in hindi: मेरी वेबसाइट में आपका स्वागत है, इस लेख में हड़प्पा सभ्यता की ईंट मनके तथा अस्थियाँ के बारे में जानकारी दी गई है, आप जानकारी पाना चाहते हैं, तो इस पोस्ट को पूरा पढ़िए।

ईंट मनके तथा अस्थियाँ क्या है?

मैं आपको ईंट मनके तथा अस्थियाँ की सामान्य जानकारी दे रहा हूं जो कि कॉम्पिटिटिव एग्जाम में ज्यादातर पूछी जाती है।

  1. ईंट- हड़प्पा सभ्यता के लोग ईंटों का उपयोग अपने घरों का निर्माण करने के लिए करते थे जो कि आज के समय से काफी बड़ी और मजबूती होती थी।
  2. मनका- आज के समय में मोतियों की माला उपयोग की जाती है और हड़प्पा सभ्यता के समय में लोग मनके को धागे में पिरोकर पहना करते थे।
  3. अस्थियाँ- हड़प्पा सभ्यता की खोज के दौरान पुरातत्वविदों को हड़प्पा सभ्यता के लोगों की अस्थियां यानी की हड्डियां मिली है। जिससे यह साबित होता है कि उस समय उन्नत सभ्यता के लोग हड़प्पा में रहा करते थे।

मुहरें और मुद्रांकन

मुहरों और मुद्रांकनों (Seals and stamps) का प्रयोग लंबी दूरी के संपर्कों को सुविधाजनक (convenient) बनाने के लिए होता था। कल्पना कीजिए कि एक सामान से भरा थैला (bag) एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा गया।

थैले का मुख रस्सी से बांधा गया और गांठ पर थोड़ी गीली मिट्टी (wet soil) जमा कर एक या अधिक मुहरों (seal) से दबाया गया, जिससे मिट्टी पर मुहरों की छाप पड़ गई।

मैं आपको ईंट मनके तथा अस्थियाँ की सामान्य जानकारी दे रहा हूं जो कि कॉम्पिटिटिव एग्जाम में ज्यादातर पूछी जाती है।

यदि इस थैले के अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचने तक मुद्रांकन (stamping) अक्षुण्ण रहा हो तो इसका अर्थ था कि थैले के साथ किसी प्रकार की छेड़-छाड़ नहीं की गई थी। मुद्रांकन से प्रेषक की पहचान का भी पता चलता था। 

भारत की रहस्यमय लिपि

लिपि का शाब्दिक अर्थ लिखित या चित्रित होता है। ध्वनियों (sound) को लिखने के लिए जिन चिन्हों (signs) का प्रयोग किया जाता है, उन्हें लिपि (script) कहते हैं। लिपि मानव के महान आविष्कारों में से एक है।

मानव के विकास में, अर्थात मानव सभ्यता (human civilization) के विकास में, लिपि का वाणी के बाद लेखन का ही सबसे अधिक महत्व है। मानव के बोलने की कला (art of speaking), एक दूसरे को समझने की कला तथा लिखने की कला ही मानवों को जानवरों से सबसे श्रेष्ठ बना देती है।

भारत की सारी वर्तमान लिपियाँ अरबी और फारसी लिपि को छोड़कर ब्राहमी से ही विकसित हुई है। इतना ही नहीं तिब्बती, सिंहली तथा दक्षिण पूर्व एशिया (southeast Asia) के देशों की बहुत सी लिपियाँ ब्राह्मी (brahmi Scripts) से ही जन्मी थी। इससे तात्पर्य यह कि धर्म की तरह लिपियाँ भी देशों और जातियों की सीमाओं को लांघती चली गई।

सिंधु घाटी सभ्यता की खोज के दौरान पुरातत्वविदो को ईंट मनके तथा अस्थियाँ खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी, इससे यह साबित होता है कि पुरानी सभ्यता के लोग कितने विकसित समुदाय से थे।

हड़प्पा सभ्यता का बाट

विनिमय बांटो की एक सूक्ष्म या परिशुद्ध प्रणाली द्वारा नियंत्रित थे। ये बाट (weights) सामान्यतः चर्ट नामक पदार्थ से बनाये जाते थे और आमतौर पर ये किसी भी तरह के निशान से रहित घनाकार (cubic) होते थे।

इन बांटो के निचले मानदंड द्विआधारी 1, 2, 4, 8, 16, 32 से 12,800 तक थे, जबकि ऊपरी मानदंड दशमलव प्रणाली (decimal system) का अनुसरण करते थे। छोटे-छोटे बांटो का प्रयोग संभवतः आभूषणों और मनको (jewelery and beads) को तौलने के लिए किया जाता था और तराजू के धातु से बने पलड़े भी मिले हैं।

22 भाषाओं के नाम और उनकी लिपि

भाषाओं के नाम लिपियों के नाम
1. गुजराती गुजराती नागरी लिपि
2. हिंदी ब्राह्मी लिपि, देवनागरी लिपि, नागरी और फ़ारसी लिपि
3. कन्नड़ कन्नड लिपि
4. बांग्ला बांग्ला लिपि
5. कश्मीरी देवनागरी लिपि, नगरी और फारसी लिपि
6. कोंकणी मलयालम, कन्नड़, देवनागरी, रोमन और कोंकणी लिपि
7. मराठी देवनागरी लिपि और मोदी लिपि
8. नेपाली नेपाली लिपि
9. ओड़िया ओड़िया लिपि
10. पंजाबी पंजाबी लिपि
11. मलयालम शालाका लिपि
12. मणिपुरी मेइतेइ लिपि
13. उर्दू फ़ारसी-अरबी लिपि
14. तमिल तमिल लिपि
15. तेलुगु तेलुगु लिपि
16. सिंधी अरबी-सिंधी लिपि
17. संस्कृत संस्कृत लिपि
18. मैथिली मिथिलाक्षर लिपि, कैथी लिपि और देवनागरी लिपि
19. संथाली संथाली लिपि
20. डोगरी डोगर अख्खर या डोगरे लिपि
21. बोडो बोडो लिपि
22. असमिया असमिया लिपि