नमस्कार दोस्तों, क्या आप इकोसिस्टम के बारे में जानना चाहते है, तो अगर आप जानना चाहते है तो हमें इस लेख में आपको पूरी जानकारी देने का प्रयास किया है। जिसमे हम आपको पारिस्थिकी तंत्र के पूरी जानकारी देंगे, जैसे की परिभाषा, विशेषताए, प्रकार आदि। तो चलिए जानते है इकोसिस्टम के बारे में।
पारिस्थितिक तंत्र क्या है? | What does ecosystem mean?
एक पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) एक निश्चित स्थान और उसमें रहने वाले सभी जीवित प्राणियों द्वारा गठित एक समूह है। इस कारण हम कह सकते हैं कि वे भौतिक वातावरण और उसमें पाए जाने वाले जीवों से बनते हैं। जो जीवित जीवों के समुदायों और जिस वातावरण में वे रहते हैं (निवास या बायोटोप) के बीच मौजूद होते हैं।
उदाहरण के लिए: ऊंचे पहाड़, सवाना, शंकुधारी वन। पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) किसी दिए गए क्षेत्र में प्रजातियों का समूह है जो एक दूसरे के साथ और उनके अजैविक पर्यावरण के साथ बातचीत करता है।
दूसरे शब्दों: में कहे तो प्रकृति के जैविक और अजैविक घटकों (biotic and abiotic components) के परस्पर क्रिया से एक पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) नामक संरचना का निर्माण होता है। एक छोटे तालाब से लेकर घने जंगल या गहरे समुद्र तक, एक पारिस्थितिकी तंत्र अपने आकार में बहुत भिन्न हो सकता है। जबकि तालाब, झील, आर्द्र भूमि, नदी और मुहाना ‘जलीय पारिस्थितिकी तंत्र’ में शामिल हैं।
पारिस्थितिक तंत्र से आशय – पारितंत्र (ecosystem) या पारिस्थितिक तंत्र (ecological system) प्राकृतिक की एक इकाई है। जिसमें की एक क्षेत्र विशेष सभी जीवधारी जैसे की पौधे, जानवर और अणुजीव आदि शामिल हैं। जो कि अपने अजैव पर्यावरण के साथ अंतर्क्रिया करके एक सम्पूर्ण जैविक इकाई बनाते हैं।
पारिस्थितिक तंत्र की परिभाषा? | Define the what is ecosystem?
पारिस्थितिक तंत्र प्रकृति का एक खंड है जिसमें जीवित प्राणियों का एक समुदाय होता है और भौतिक पर्यावरण दोनों के बीच सामग्री का आदान-प्रदान और आदान-प्रदान करते हैं।
प्रकृति, जीव और पर्यावरण (environment) के दो घटक न केवल अत्यधिक जटिल और गतिशील हैं बल्कि अन्योन्याश्रित, पारस्परिक रूप से प्रतिक्रियाशील और परस्पर संबंधित हैं। पारिस्थितिकी विभिन्न सिद्धांतों से संबंधित है जो जीवों और उनके पर्यावरण के बीच संबंधों को नियंत्रित करते हैं।
पारिस्थितिकी तंत्र की मुख्य विशेषताएं? | Main features of ecosystem?
- पारिस्थितिकी तंत्र एक कार्यशील क्षेत्रीय इकाई होता है, जो क्षेत्र विशेष के सभी जीवधारियों एवं उनके भौतिक पर्यावरण के सकल योग का प्रतिनिधित्व करता है।
- इसकी संरचना तीन मूलभूत संघटकों से होती है-
- ऊर्जा संघटक,
- जैविक (बायोम) संघटक,
- अजैविक या भौतिक (निवास्य) संघटक (स्थल, जल तथा वायु)।
- पारिस्थितिकी तंत्र जीवमंडल में एक सुनिश्चित क्षेत्र धारण करता है।
- किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र का समय इकाई के संदर्भ में पर्यवेक्षण किया जाता है।
- ऊर्जा, जैविक तथा भौतिक संघटकों के मध्य जटिल पारिस्थितिकी अनुक्रियाएं होती हैं, साथ-ही-साथ विभिन्न जीवधारियों में भी पारस्परिक क्रियाएं होती हैं।
- पारिस्थितिकी तंत्र एक खुला तंत्र होता है, जिसमें ऊर्जा तथा पदार्थों का सतत् निवेश तथा उससे बहिर्गमन होता रहता है।
- जब तक पारिस्थितिकी तंत्र के एक या अधिक नियंत्रक कारकों में अव्यवस्था नहीं होती, पारिस्थितिकी तंत्र अपेक्षाकृत स्थिर समस्थिति में होता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र प्राकृतिक संसाधन होते हैं (अर्थात् यह प्राकृतिक संसाधनों का प्रतिनिधित्व करता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र संरचित तथा सुसंगठित तंत्र होता है।
- प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में अंतर्निमित नियंत्रण की व्यवस्था होती है। अर्थात् यदि पारिस्थितिकी तंत्र के किसी एक संघटक में प्राकृतिक कारणों से कोई परिवर्तन होता है तो तंत्र के दूसरे संघटक में परिवर्तन द्वारा उसकी भरपाई हो जाती है, परंतु यह परिवर्तन यदि प्रौद्योगिकी मानव के आर्थिक क्रियाकलापों द्वारा इतना अधिक हो जाता है।
- वह पारिस्थितिकी तंत्र के अंतर्निर्मित नियंत्रण की व्यवस्था की सहनशक्ति से अधिक होता है तो उक्त परिवर्तन की भरपाई नहीं हो पाती है और पारिस्थितिकी तंत्र अव्यवस्थित तथा असंतुलित हो जाता है एवं पर्यावरण अवनयन तथा प्रदूषण प्रारंभ हो जाता है।
पारिस्थितिकी तंत्र के प्रकार? | type of ecosystem?
1. निवास्य क्षेत्र के आधार पर वर्गीकरण – निवास्य क्षेत्र, जीव मंडल के खास क्षेत्रीय इकाई के भौतिक पर्यावरण की दशाएं, जैविक समुदायों की प्रकृति तथा विशेषताओं को निर्धारित करता है। चूंकि भौतिक दशाओं में क्षेत्रीय विभिन्नताएं होती हैं, अतः जैविक समुदायों में भी स्थानीय विभिन्नताएं होती हैं। इस अवधारणा के आधार पर पारिस्थितिकी तंत्रों को दो प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया जाता है-
(क) पार्थिव पारिस्थितिकी तंत्र – भौतिक दशाओं तथा उनके जैविक समुदायों पर प्रभाव के अनुसार पार्थिव या स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्रों में विभिन्नताएं होती हैं। अतः पार्थिव पारिस्थितिकी तंत्रों को पुनः कई उपभागों में विभाजित किया जाता है यथा (अ) उच्चस्थलीय या पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र (ब) निम्न स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र, (स) उष्ण रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र तथा (द) शीत रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र। विशिष्ट अध्ययन एवं निश्चित उद्देश्यों के आधार पर इस पारिस्थितिक तंत्र को कई छोटे भागों में विभाजित किया जाता है।
(ख) जलीय पारिस्थितिकी तंत्र – जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को दो प्रमुख उपभागों में विभाजित किया जाता है – (अ) ताजे जल वाले-ताजे जल वाले पारिस्थितिकी तंत्रों को पुनः कई भागों में विभाजित किया जाता है-सरिता पारिस्थितिक तंत्र, झील पारिस्थितिकी तंत्र, जलाशय पारिस्थितिकी तंत्र, दलदल पारिस्थितिकी तंत्र, आदि। (ब) सागरीय पारिस्थितिकी तंत्र-सागरीय पारिस्थितिकी तंत्रों को खुले सागरीय पारिस्थितिकी तंत्र, तटीय ज्वानद मुखी पारिस्थितिकी तंत्र, कोरलरिफ पारिस्थितिकी तंत्र आदि उप-प्रकारों में विभाजित किया जाता है। सागरीय पारिस्थितिकी तंत्रों को दूसरे रूप में भी विभाजित किया जा सकता है। यथा-सागरीय पारिस्थितिकी तंत्र तथा सागर-नितल पारिस्थितिकी तंत्र।
2. क्षेत्रीय मापक के आधार पर वर्गीकरण- क्षेत्रीय मापक या विस्तार के आधार पर विभिन्न उद्देश्यों के लिए पारिस्थितिकी तंत्रों को अनेक प्रकारों में विभाजित किया जाता है। समस्त जीवमंडल वृहत्तम पारिस्थितिकी तंत्र होता है। इसे दो प्रमुख प्रकारों में विभाजित किया जाता है – (अ) महाद्वीपीय पारिस्थितिकी तंत्र, (ब) महासागरीय या सागरीय पारिस्थिकी-तंत्र। आवश्यकता के अनुसार क्षेत्रीय मापक को घटाकर एकाकी जीव (पादप या जंतु) तक लाया जा सकता है। उदाहरण के लिए जीवमंडलीय पारिस्थितिकी तंत्र, महाद्वीपीय पारिस्थितिकी तंत्र, पर्वत, पठार, मैदान पारिस्थितिकी तंत्र, सरिता, झील, जलाशय पारिस्थितिकी तंत्र, फसल क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र, गोशाला पारिस्थितिक तंत्र, एकाकी पादप पारिस्थितिकी तंत्र, पेड़ की जड़ या ऊपरी वितान का पारिस्थितिकी तंत्र।
3. उपयोग के आधार पर वर्गीकरण- विभिन्न उपयोगों के आधार पर पारिस्थितिकी तंत्रों को कई प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए ई.पी. ओड्म (1959) ने नेट प्राथमिक उत्पादन तथा कृषि विधियों के उपयोग के आधार पर पारिस्थितिकी तंत्रों को दो प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया है-
(अ) कृषित पारिस्थितिकी तंत्र- कृषित पारिस्थितिकी तंत्रों को प्रमुख फसलों के आधार पर कई उप-प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। यथा-गेहूं क्षेत्र पारिस्थितिकी-तंत्र, चारा क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र आदि।
(ब) अकृषित पारिस्थितिकी तंत्र- अकृषित पारिस्थितिकी तंत्रों को वन पारिस्थितिकी तंत्र, ऊंची, घास पारिस्थितिक तंत्र, बंजर-भूमि पारिस्थितिकी तंत्र, दलदल क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र आदि।